यूपी विधानसभा ऐतिहासिक घटना की बनी साक्षी, छह पुलिसकर्मियों को मिली सजा
डिजिटल डेस्क, लखनऊ। यूपी की 18वीं विधानसभा का पहला बजट सत्र शुक्रवार को एक ऐतिहासिक घटना का साक्षी बना। विशेषाधिकार तथा सदन की अवमानना के दोषी छह पुलिसकर्मियों को तिथि बदलने तक सदन में स्थापित लॉकअप में रखने की सजा दी गयी। सत्तापक्ष और विपक्ष के कुछ दलों ने इस बावत कोई भी निर्णय लेने के लिए विधानसभाध्यक्ष को अधिकृत किया।
भाजपा के तत्कालीन विधायक सलिल विश्नोई जो इस समय विधानपरिषद के सदस्य है ने 15 सिंतबर 2004 में अपने साथ हुई अभद्रता और मारपीट की घटना पर विशेषाधिकार और सदन की अवमानना की सूचना 25 अक्टूबर 2004 को दी थी। इस प्रकरण में 14वीं विधानसभा और मौजूदा विधानसभा की विशेषाधिकार समिति ने दोषी पुलिसकर्मियों पर लगे आरोप को सही मानते हुए कार्रवाई किए जाने की संस्तुति की थी। जिसके चलते आज सभी दोषी पुलिसकर्मियों को तलब किया था, जिसके लिए सदन में कटघरा रखा गया था और सदन को अदालत के रूप में भी परिवर्तित किया गया, जहां विधानसभा के मार्शल ने सभी को सदन में पेश किया। दोषी पुलिसकर्मियों में कानपुर नगर के बाबूपुरवा के तत्कालीन क्षेत्राधिकारीअब्दुल समद, किदवईनगर के तत्कालीन थानाध्यक्ष रिशिकांत शुक्ला, थाना कोतवाली के तत्कालीन उपनिरीक्षक त्रिलोकी सिंह, तत्कालीन कास्टेबिल छोटे सिंह यादव, विनोद मिश्र व मेहरबान सिंह यादव शामिल थे। संसदीय कार्यमंत्री सुरेश कुमार खन्ना ने इस प्रकरण के प्रस्तुत होने के बाद सदन को न्यायालय के रूप में परिवर्तित किए जाने का प्रस्ताव किया। जिसका संपूर्ण सदन ने समर्थन किया।
इस मौके पर सदन से मुख्यविपक्षी दल समाजवादी पार्टी नदारद थी। सपा के सदस्य पहले ही मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ द्वारा समाजवाद पर की गयी टिप्पणी से अंसतुष्ट होकर सदन से वाकआउट कर गए थे। संबधित प्रकरण पर संसदीय कार्यमंत्री सुरेश कुमार खन्ना ने कहा कि आज जो भी दोषी पुलिसकर्मी कटघरे में खड़े हैं, इन्होंने तत्कालीन विधायक सलिल विश्नोई जो बिजली समस्या को लेकर प्रदर्शन कर डीएम को ज्ञापन देने जा रहे थे। उसी दौरान इन पुलिसकर्मियों द्वारा उन्हे रोका गया। लाठीचार्ज में विधायक सलिल विश्नोई की टांग भी टूट गयी थी। इस प्रकरण में विशेषाधिकार समिति ने अपनी जांच में उन्हे दोषी पाया और 27-02-2023 को उक्त सभी पुलिसकर्मियों को दोषी मानते हुए कारावास का दंड किए जाने की सिफारिश की थी। सदन में सत्तारूढ़ दल के अलावा कांग्रेस विधानमंडल दल की नेता आराधना मिश्रा मोना, सुभासपा के ओमप्रकाश राजभर, जनसत्ता दल के रघुराज प्रताप सिंह, बसपा के उमाशंकर सिंह, अपना दल सोनेलाल के सदस्य आशीष पटेल ने इस प्रकरण में विधानसभाध्यक्ष सतीश महाना द्वारा निर्णय लेने के लिए अधिकृत किया। सदन में पूरे प्रकरण की सुनवाई के बाद कृषि मंत्री सूर्यप्रताप शाही ने सुझाव दिया कि चूंकि सभी आरोपी पुलिसकर्मी को बुलाकर प्रताड़ित किया जा चुका है। ऐसे में सभी को उदारता दिखाते हुए उन्हे अवमुक्त किया जाए। उनके इस सुझाव को सत्तारूढ़ दल के सभी सदस्यों ने सिरे से खारिज किया। संपूर्ण प्रकरण की सुनवाई के बाद विधानसभाध्यक्ष सतीश महाना ने कार्यपालिका और न्यायपालिका के उपर विधायिका है। इसके अधिकारों पर अतिक्रमण नहीं किया जा सकता। उन्होंने कहा कि सदनों और उसके सदस्यों की गरिमा को बनाएं रखने की जिम्मेदारी सबकी है।
आज ही नेता प्रतिपक्ष अखिलेश यादव ने सदन में मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ द्वारा समाजवाद पर की गयी टिप्पणी पर आपत्ति दर्ज कराई। उन्होंने कहा कि नेता सदन को यह बताना चाहिए कि उन्होंने किस नेता के भाषण की कांपी की है। सदन में मौजूद संसदीय कार्यमंत्री सुरेश कुमार खन्ना ने कहा कि उनकी सरकार संविधान का पूरा सम्मान करती है। नेता सदन ने अपने भाषण में जो भी कहा उसमें कुछ भी आपित्तजनक या अमर्यादित नहीं था। संसदीय कार्यमत्री के इस जवाब से अंसतुष्ट सपा सदस्यों ने सदन से वाकआउट किया।
इससे पूर्व प्रश्न प्रहर में श्रम सेवायोजन मंत्री अनिल राजभर ने सपा सदस्य डा.आर.के.वर्मा के एक सवाल के जवाब में बताया कि विपक्ष केवल विरोध के लिए विरोध करता है। कोविडकाल में दूसरे प्रदेशों के प्रवासी मजदूरों का ख्याल रखा गया उनके रहने खाने के साथ ही उनके रोजगार के अवसर मुहैया कराए गए। करीब दस लाख लोगों को रोजगार के अवसर उपलब्ध कराएं। उन्होंने कहा कि प्रदेश की योगी नेतत्व सरकार में उप्र श्रमिक कामगार आयोग का गठन किया है। जिसके जरिए बड़ी संख्या में लोगों के रोजगार के अवसर उपलब्ध कराए गए। उन्होंने कहा कि उनकी सरकार में कैरियर कांउसलिंग का भी गठन किया गया है। उन्हांेने कहा कि इसी के साथ लोगों को रोजगार मुहैया कराने के लिए विभिन्न आयोगों का गठन किया गया। श्रममंत्री ने कहा कि युवा बेरोजगार सरकार की प्राथमिकता में शामिल है। श्रमिकों के लिए सरकार पूरी तरह से संवेदनशील है।
उन्होंने कहा कि बेरोजगार युवाओं को रोजगार देने की गरज से ही एक्सप्रेस-वे के किनारें उद्योग स्थापित कर रोजगार के अवसर दिए जा रह है। सपा के ही वरिष्ठ सदस्य अवधेश प्रसाद ने प्रजापति समाज के मूल व्यवसाय के उपेक्षा का आरोप लगाते हुए कहा कि इस समाज के लोगों के सामने आज जीविका का संकट है। इस पर श्रममंत्री अनिल राजभर ने उनकी सरकार समाज के हर वर्ग के उóयन के लिए कृतसंकल्प है। इसी सरकार ने कुम्हारों के लिए इलेक्टनिक चाक मुहैया कराए गए हैं। यही नहीं माटीकला बोर्ड का गठन भी किया गया है। कुम्हारों को चैबीस घंटे बिजली आपूर्ति की जा रही है। प्रदेश के कारागार होमगार्ड राज्यमंत्री धर्मवीर प्रजापति ने एक अन्य प्रश्नोत्तर में बताया कि उनकी सरकार ने वर्ष 2018 में होमगाडरे का दैनिक भत्ता 375 से बढ़ाकर किया है। इसके अलावा डयूटी के दौरान उनके विकलांग होने या निधन पर पांच लाख दिए जाने का भी प्राविधान है। सदन में शुक्रवार को ही विनियोग विधेयक ध्वनिमत से पारित कर दिया गया और सदन की कार्यवाही अनिश्चिकाल के लिए स्थगित कर दिया गया
डिस्क्लेमरः यह आईएएनएस न्यूज फीड से सीधे पब्लिश हुई खबर है. इसके साथ bhaskarhindi.com की टीम ने किसी तरह की कोई एडिटिंग नहीं की है. ऐसे में संबंधित खबर को लेकर कोई भी जिम्मेदारी न्यूज एजेंसी की ही होगी.
Created On :   3 March 2023 7:00 PM IST