2024 के चुनाव के लिए पिछड़ी जातियों को लुभाने में जुटी राजनीतिक पार्टियां
डिजिटल डेस्क, लखनऊ। उत्तर प्रदेश में सभी राजनीतिक दल अगले लोकसभा चुनाव की तैयारी के रूप में एक बार फिर पिछड़ी जाति को लुभाने की ओर बढ़ रहे हैं। राज्य के सभी प्रमुख चार राजनीतिक दलों ने ओबीसी / दलितों को अपने राज्य प्रमुख के रूप में चुना है, जिससे यह स्पष्ट संकेत मिलता है कि अगले आम चुनाव में ओबीसी और दलितों पर ध्यान केंद्रित किया जाएगा, जो मतदाताओं का एक बड़ा हिस्सा है।
भाजपा ने जाट, भूपेंद्र चौधरी को अपने राज्य प्रमुख के रूप में नियुक्त कर एक बड़ा दांव खेला और समाजवादी पार्टी ने एक कुर्मी जाति के नरेश उत्तम पटेल को फिर से राज्य अध्यक्ष के रूप में नियुक्त किया। पश्चिमी यूपी में जहां जाट वोटों पर बीजेपी की नजर है, वहीं सपा कुर्मियों को अपने यादव वोट बेस में जोड़ने की कोशिश कर रही है।
हाल के विधानसभा चुनावों में कुर्मी को लाने का समाजवादी पार्टी का प्रयास बेकार साबित हुआ है, क्योंकि यह समुदाय बड़े पैमाने पर भाजपा और उसके सहयोगी अपना दल के साथ है। दूसरी ओर बहुजन समाज पार्टी (बसपा) के प्रदेश अध्यक्ष भीम राजभर हैं। जाहिर तौर पर बसपा का इरादा राजभर समुदाय को अपने पाले में लाने का है। हालांकि, भीम राजभर के पास अपने समुदाय को प्रभावित करने के लिए आवश्यक पहचान और कद का अभाव है।
इसके अलावा, सुहेलदेव भारतीय समाज पार्टी (एसबीएसपी) अपने लिए सक्रिय रूप से एक यात्रा के साथ प्रचार कर रही है, जो सभी राजभर बहुल निर्वाचन क्षेत्रों का दौरा कर रही है। एसबीएसपी लोकसभा चुनाव में अपने लिए सीटें अर्जित करें या न करें, लेकिन यह निश्चित रूप से अन्य दलों को नुकसान पहुंचा सकती है।
इस बीच, कांग्रेस ने दलित बृजलाल खबरी को उत्तर प्रदेश में अपना प्रदेश अध्यक्ष नियुक्त किया है। सूत्रों के मुताबिक, पार्टी को उम्मीद है कि सालों से बसपा के वफादार रहे खबरी दलित वोट लाएंगे, जो पार्टी के पुनरुत्थान में मदद करेंगे। बता दें, 2022 के विधानसभा चुनावों से पहले, ब्राह्मणों का भाजपा से मोहभंग होने की खबरें आ रही थीं। भाजपा नेतृत्व ने इस समुदाय की भावनाओं को अपनी ओर खींचने का प्रयास किया था।
(आईएएनएस)
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Created On :   2 Oct 2022 2:30 PM IST