चाचा शिवपाल यादव नही बनेगें भतीजे के बीच का रोड़ा
- चाचा शिवपाल का भतीजे अखिलेश से वादा
डिजिटल डेस्क, लखनऊ। यूपी में विधानसभा चुनाव में बस कुछ ही समय बाकी है। चुनाव के लिए सभी राजनीतिक पार्टियां जमकर तैयारियों में जुटी हुई है। समाजवादी पार्टी और प्रसपा के बीच तनातनी के बावजूद भी खबर है कि शिवपाल यादव अपने भतीजे अखिलेश यादव के लिए चुनावी रोड़ा नहीं बनना चाहते हैं। सूत्रों के मुताबिक शिवपाल ने तय किया है कि अगर सपा और प्रसपा का गठबंधन नहीं भी होता है उसके बाद भी प्रसपा कानपुर में सपा की सीटों पर अपने उम्मीदवारों को नहीं उतारेगी।
2022 का विधानसभा चुनाव प्रसपा का पहला विधानसभा चुनाव है। प्रसपा के मुखिया शिवपाल यादव करीब 150 सीटों पर अपने उम्मीदवारों को उतारेंगे। इससे पहले 2019 में हुए लोकसभा चुनाव के लिए शिवपाल यादव ने अपने कई प्रत्याशियों को मैदान में उतारा था। इतना ही नहीं वह खुद अपने भतीजे और भाई रामगोपल यादव के बेटे अक्षय यादव के खिलाफ फिरोजाबाद सीट से चुनावी मैदान में उतर गए थे। लेकिन इस बार सपा की सीटों पर शिवपाल यादव ने अपनी प्रत्याशी को उतारने से साफ इंकार कर दिया है।
प्रसपा ने सपा के लिए छोड़ी ये सीटें
आपको बता दें कि कानपुर में 10 विधानसभा सीटे हैं। साल 2017 में हुए विधानसभा चुनाव के दौरान बीजेपी ने इन 10 सीटों में से 7 सीटों पर जीत हासिल की थी। बाकी की बची हुई 3 सीटों में से 2 सीटों पर सपा ने और 1 सीट पर कांग्रेस ने अपना परचम लहराया था। कानपुर की 2 विधानसभा सीट यानी आर्यनगर और सीसामऊ पर सपा का कब्जा है। सूत्रों के मुताबिक दोनों पार्टियों का गठबंधन ना होने के बावजूद भी शिवपाल कानपुर की विधानसभा सीट सीसामऊ और आर्यनगर पर अपने प्रत्याशी को मैदान में नहीं उतारेंगे। प्रसपा इन दोनों सीटों को छोड़कर बाकी सभी सीटों पर अपने प्रत्याशी उतारेगी।
प्रसपा का ग्रामीण क्षेत्रों पर सबसे ज्यादा फोकस
ग्रामीण क्षेत्रों में प्रसपा का सबसे ज्यादा फोकस है। ग्रामीण क्षेत्र के युवा बड़ी संख्या में वोटर पार्टी से जुड़ रही है। प्रसपा का फोकस युवाओं के साथ साथ ब्राह्मण, ओबीसी, एससी और मुस्लिम वोटरों को साधना है। बता दें कि युवाओं को पार्टी से जोड़ने का काम शिवपाल यादव ने अपने बेटे आदित्य यादव को दिया है। प्रसपा किसानों के मुद्दों को उठाकर उनके बीच में अपनी जगह बनाने में भी जुटी हुई है।
Created On :   1 Sept 2021 11:47 AM GMT