आतंकवाद का एके-47 से वर्चुअल एसेट्स तक का परिवर्तन चिंता का विषय : अमित शाह
डिजिटल डेस्क, नई दिल्ली। नो मनी फॉर टेरर मंत्रिस्तरीय सम्मेलन का दिल्ली में आगाज हो चुका है। 78 देशों और संगठनों के प्रतिनिधि इसमें शामिल होकर आतंकवाद के वित्तपोषण से निपटने पर चर्चा कर रहे हैं। सम्मेलन के पहले सत्र को संबोधित करते हुए केंद्रीय गृहमंत्री अमित शाह ने कहा कि आतंकवाद का डायनामाइट से मेटावर्स और एके-47 से वर्चुअल एसेट्स तक का यह परिवर्तन दुनिया के देशों के लिए निश्चित ही चिंता का विषय है। उन्होंने कहा कि सभी को साथ में मिलकर इसके खिलाफ साझी रणनीति तैयार करनी होगी।
केंद्रिय गृह मंत्री ने कहा कि आतंकवाद निस्संदेह, वैश्विक शांति और सुरक्षा के लिए सबसे गंभीर खतरा है। लेकिन मेरा मानना है कि आतंकवाद का वित्तपोषण, आतंकवाद से कहीं अधिक खतरनाक है, क्योंकि आतंकवाद को फंड से पोषित किया जाता है। इसके साथ-साथ दुनिया के सभी देशों के अर्थतंत्र को कमजोर करने का भी काम आतंकवाद के वित्तपोषण से होता है। गृह मंत्री ने कहा कि हम यह भी मानते हैं कि आतंकवाद का खतरा किसी धर्म, राष्ट्रीयता या किसी समूह से जुड़ा नहीं हो सकता है और न ही होना चाहिए।
अमित शाह ने आगे कहा कि आतंकवाद का मुकाबला करने के लिए सुरक्षा ढांचे तथा कानूनी और वित्तपोषण व्यवस्था को मजबूत करने में हमने काफी प्रगति की है। इसके बावजूद आतंकी लगातार हिंसा को अंजाम देने, युवाओं को रैडिकलाइज करने तथा वित्त संसाधन जुटाने के नए तरीके खोज रहे हैं। उन्होंने कहा कि आतंकी अपनी पहचान छिपाने और रेडिकल मटेरियल को फैलाने के लिए डार्क-नेट का उपयोग कर रहे है। इसके साथ ही क्रिप्टो-करेंसी जैसे वर्चुअल एसेट्स का उपयोग भी बढ़ रहा हैं। हमें डार्क-नेट पर चलने वाली इन गतिविधियों के पैटर्न को समझना होगा और उसके उपाय भी ढूंढने होंगे।
शाह ने कहा कि अंतरराष्ट्रीय समुदाय का एक संगठित तौर पर मानना है कि आतंकवाद के सभी रूपों की निंदा की जानी चाहिए। उन्होंने जोर दिया कि तकनीकी क्रांति से आतंकवाद के रूप और प्रकार निरंतर बदल रहे है। ये हमारे लिए एक चुनौती है। आज आतंकी या आतंकी संगठन आधुनिक हथियार तथा इनफार्मेशन टेक्नोलॉजी और साइबर तथा फाइनेंसियल वल्र्ड को अच्छी तरह से समझते हैं और उसका उपयोग भी करते हैं।
अमित शाह ने ये भी कहा कि भारत का मानना है कि आतंकवाद से निपटने का सबसे प्रभावी तरीका अंतरराष्ट्रीय समन्वय और राष्ट्रों के बीच रियल-टाइम तथा पारदर्शी सहयोग ही है। उन्होंने कहा कि वैश्विक स्तर पर नारकोटिक्स के अवैध व्यापार के उभरते खतरे और नार्को-टेरर जैसी चुनौतियों से टेरर फाइनेंसिंग को एक नया आयाम प्राप्त हुआ है। इसको देखते हुए सभी राष्ट्रों के बीच इस विषय पर घनिष्ठ सहयोग की आवश्यकता है।
भारत सूचनाओं का आदान-प्रदान, प्रभावी सीमा नियंत्रण के लिए क्षमता निर्माण, आधुनिक तकनीकों के दुरुपयोग को रोकने, अवैध वित्तीय प्रवाह की निगरानी और रोकथाम तथा जांच और न्यायिक प्रक्रियाओं में सहयोग करके आतंकवाद का मुकाबला करने के सभी प्रयासों में प्रतिबद्ध है। उन्होंने अंत में कहा कि वैश्विक समुदाय को वन माइंड, वन एप्रोच के सिद्धांत को अपनाना होगा।
(आईएएनएस)
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Created On :   18 Nov 2022 3:01 PM IST