दूसरे चरण की दो सीटों पर बाप-बाप, बेटे-बेटे के बीच कड़ा मुकाबला
डिजिटल डेस्क, लखनऊ। उत्तर प्रदेश में पहले चरण का मतदान खत्म हो गया है, अब आगामी 14 फरवरी को दूसरे चरण के नौ जिलों की 55 विधान सभा सीटों पर मतदान होगा। अबकी बार रामपुर व स्वार सीट पर बाप-बाप, बेटे-बेटे के बीच कड़ी टक्कर देखने को मिल रही है। जैसे-जैसे दूसरे चरण का चुनाव नजदीक आ रहा है। वैसे-वैसे ही रामपुर व स्वार सीटों को लेकर सियासत में गरमी बढ़ गई है।
यहां की दो सीटों पर दो खानदान आमने-सामने हैं। एक तो सपा नेता व सांसद आजम खां व दूसरा रामपुर का नवाब खानदान। रामपुर सीट पर जहां सपा के कद्दावर नेता आजम खां और नवाब काजिम अली उर्फ नवेद मियां आमने सामने हैं। तो वहीं इन दोनों के बेटे यानी आजम के बेटे अब्दुल्ला आजम सपा से और नवेद मियां के बेटे हैदर अली उर्फ हमजा मियां भाजपा गठबंधन दल अपना दल के प्रत्याशी हैं।
आजम व नवाब काजिम के बीच होगा संग्रााम
दूसरे चरण की रामपुर विधानसभा सीट पर मुकाबला काफी अहम माना जा रहा है। काजिम अली इस बार रामपुर में कांग्रेस के टिकट पर चुनाव लड़ रहे हैं, तो वहीं सपा से क़द्दावर नेता आजम खान मैदान में हैं। फिलहाल वो सीतापुर जेल में बंद हैं और उनके लिए जनता से वोट उनके बेटे अब्दुल्ला आज़म ही मांग रहे हैं। गौरतलब है कि नावेद मियां 2017 में स्वार सीट से बीएसपी के टिकट पर चुनाव लड़े थे, लेकिन उन्हें अब्दुल्ला आजम से 65 हजार वोट से हार का सामना करना पड़ा था।
अबकी बार काजिम अली उर्फ नवेद मियां रामपुर सीट से कांग्रेस के टिकट पर आजम खान को हराने के लिए पूरी ताकत झोंक रहे हैं। अब्दुल्ला आजम कह रहे कि रामपुर की जनता खुद चुनाव लड़ रही है। वहीं नवाब काजिम अली खान ने कह रहे हैं कि आजम खान ने केवल जुल्म किए हैं, दहशत फैलाई। वो तो यहां के हैं भी नहीं, वो बाहरी हैं। रामपुर सीट मुस्लिम बहुल है, लेकिन यहां पर बीजेपी ने मुकाबले को दिलचस्प बनाने की कोशिश की है।
स्वार सीट पर इन दोनों की बीच कड़ी टक्कर
आजम खान के बेटे अब्दुल्ला आजम के खिलाफ स्वार सीट से नवाबों की रियासत के चिराग हैदर अली खान अपना दल से उम्मीदवार हैं। जहां आजम के बेटे को कड़ी टक्कर देने के लिए हैदर अली स्वार सीट से उतरे हैं तो वहीं रामपुर सीट से हैदर अली के पिता नवाब काजिम अली उर्फ नवेद मियां और आजम खान के आमने-सामने चुनाव लड़ रहे हैं। गौरतलब है कि 2014 के बाद यह पहली बार है, जब बीजेपी गठबंधन ने किसी मुस्लिम प्रत्याशी को टिकट दिया है। स्वार विधानसभा सीट की बात करें तो यहां की लड़ाई इसलिए और भी दिलचस्प हो गई है क्योंकि अब्दुल्ला आजम के लिए ये साख की लड़ाई है।
साल 2017 विधानसभा चुनाव में मिली जीत के बाद अब्दुल्ला आजम की विधायकी रद्द कर दी गई थी। अब्दुल्ला को कम उम्र में चुनाव लड़ने और फर्जी कागजात लगाने के चलते विधायकी रद्द कर जेल भेज दिया गया था। करीब 23 महीने बाद अब्दुल्ला आजम 15 जनवरी को जेल से बाहर आए हैं। अब्दुल्ला आज़म चुनाव की तैयारियों में जी जान से जुटे हैं।
Created On :   12 Feb 2022 6:30 PM IST