शहरी निकाय चुनावों में द्रमुक और अन्नाद्रमुक के बीच कांटे की टक्कर
डिजिटल डेस्क, चेन्नई। तमिलनाडु में एक दशक बाद हो रहे स्थानीय निकाय चुनाव में सत्तारूढ़ द्रविड़ मुनेत्र कषगम (द्रमुक)गठबंधन और विपक्षी अखिल भारतीय अन्ना द्रविड़ मुनेत्र कषगम (अन्नाद्रमुक) के बीच कांटे की टक्कर होगी। राज्य में शहरी निकाय चुनाव एकल चरण में 19 फरवरी को होंगे।
शक्तिशाली वन्नियार समुदाय की राजनीतिक इकाई, पट्टाली मक्कल काची (पीएमके) अपने दम पर चुनाव लड़ रही है और उसे उत्तरी तमिलनाडु में जमीनी स्तर पर अपने प्रभाव को साबित करना होगा। पीएमके 2021 के विधानसभा चुनावों में अन्नाद्रमुक की गठबंधन सहयोगी था और राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन का हिस्सा था, लेकिन पिछले वर्ष 20 और 21 अक्टूबर को हुए नौ जिलों के ग्रामीण स्थानीय निकाय चुनावों में पार्टी ने अलग-अलग चुनाव लड़ा।
अभिनेता से राजनेता बने विजयकांत की देसिया मुरपोक्कू द्रविड़ कड़गम (डीएमडीके), अभिनेता कमल हासन की मक्कल निधि मय्यम (एमएनएम), और निर्देशक से राजनेता बने सीमान की तमिलर काची (एनटीके), जैसे छोटे राजनीतिक दलों को अपना वर्चस्व साबित करना होगा। एमएनएम और एनटीके ने ग्रामीण स्थानीय निकाय चुनावों में कमल हासन की राजनीतिक महत्वाकांक्षाओं को एक बड़ा झटका दिया है।
एक अन्य प्रमुख कारक हैं जिसे राजनीतिक विश्लेषक उत्सुकता से देख रहे हैं, वह है विजय और उनके प्रशंसकों के संघ का राजनीति में पदार्पण। ग्रामीण स्थानीय निकाय चुनावों में, विजय के प्रशंसकों द्वारा समर्थित निर्दलीय उम्मीदवारों ने अविश्वसनीय जीत हासिल की थी। अब सबसे बड़ा सवाल यह है कि क्या शहरी स्थानीय निकाय चुनावों में विजय के प्रशंसक वही जीत दोहराएंगे।
चुनावी विश्लेषकों की राय है कि द्रमुक गठबंधन को ठीक उसी तरह से चलना होगा जैसे उसने अक्टूबर 2021 के ग्रामीण स्थानीय निकाय चुनावों में किया था।
अन्नाद्रमुक ने 2011 से 2021 तक दस वर्षों तक तमिलनाडु पर शासन किया और बाद में विधानसभा चुनाव हारने पर पार्टी पूरी तरह बिखर गई थी। पार्टी के दो शीर्ष नेताओं और दोनों पूर्व मुख्यमंत्रियों के. पलानीस्वामी और ओ. पन्नीरसेल्वम के बीच मतभेदों के कारण ग्रामीण स्थानीय निकाय चुनावों में अन्नाद्रमुक के खराब प्रदर्शन के कारणों में से एक है।
शहरी स्थानीय निकाय चुनावों से पहले एक प्रमुख मुद्दा पार्टी को परेशान कर रहा है। अन्नाद्रमुक की पूर्व नेता वी.के. शशिकला भी पार्टी में वापसी के लिए बेताब हैं। लेकिन उन्हें कई बाधाओं का सामना करना पड़ रहा है, हालांकि पार्टी नेतृत्व का एक वर्ग उन्हें अपने पाले में लाना चाहता है। शहरी स्थानीय निकाय चुनाव द्रमुक, अन्नाद्रमुक और छोटे राजनीतिक दलों के साथ-साथ कांग्रेस और भाजपा जैसे राष्ट्रीय दलों के लिए अहम माने जा रहे हैं।
आईएएनएस
Created On :   27 Jan 2022 9:00 PM IST