तीन दिवसीय दत्त जयंती उत्सव शुरू, सुरक्षा में तैनात 3500 पुलिसकर्मी

Three-day Dutt Jayanti festival begins, 3500 policemen deployed in security
तीन दिवसीय दत्त जयंती उत्सव शुरू, सुरक्षा में तैनात 3500 पुलिसकर्मी
कर्नाटक तीन दिवसीय दत्त जयंती उत्सव शुरू, सुरक्षा में तैनात 3500 पुलिसकर्मी

डिजिटल डेस्क, चिक्कमंगलूर । कर्नाटक के चिक्कमंगलूर जिले में मंगलवार को विवादास्पद बाबाबुदनगिरी-दत्ता पीठ में तीन दिवसीय दत्त जयंती समारोह शुरू होने के साथ ही हजारों भक्तों की भीड़ उमड़ पड़ी।भीड़ को ध्यान में रखते हुए कर्नाटक पुलिस ने जिले में कानून व्यवस्था, शांति बनाए रखने के लिए 3,500 पुलिस कर्मियों की प्रतिनियुक्ति की। पुलिस ने 46 चेक पोस्ट भी बनाए हैं।पहली बार, अदालत के निर्देश के अनुसार, हिंदू पुजारियों ने बाबाबुदनगिरी पहाड़ी के ऊपर एक मंदिर में गुरु दत्तात्रेय की पूजा की। वहीं विश्व हिंदू परिषद (विहिप) और बजरंग दल के कार्यकर्ताओं ने पूजा स्थल के चारों पर सुरक्षा घेरा बनाया।हिंदू कार्यकर्ताओं के लंबे संघर्ष के बाद सरकार ने पुजारी की नियुक्ति की है। विवादास्पद स्थल को अक्सर कर्नाटक की अयोध्या कहा जाता है।

हालांकि, यह मंदिर हिंदुओं और मुसलमानों के बीच सद्भाव का प्रतीक है, लेकिन यह तीन दशकों से अधिक समय तक संकट और संघर्ष का केंद्र बना रहा। कोर्ट के आदेश के अनुसार सरकार ने आठ सदस्यीय प्रबंधन समिति का गठन किया था।

विपक्षी कांग्रेस ने आरोप लगाया था कि समिति ने मुसलमानों के लिए अल्प प्रतिनिधित्व दिया था। हालांकि, सत्तारूढ़ बीजेपी ने इस पर कोई प्रतिक्रिया देने की जहमत नहीं उठाई। समिति ने हिंदू पुजारियों की नियुक्ति का प्रस्ताव दिया था और इसे मंजूरी मिल गई।

राष्ट्रीय महासचिव व भाजपा विधायक सी.टी. रवि, बजरंग दल दक्षिण प्रांत समन्वयक रघु सकलेशपुर और प्रमुख हिंदू कार्यकर्ता दत्त जयंती में भाग ले रहे हैं।दत्ता पीठ, चिक्कमगलुरु में मंदिर हिंदुओं और मुसलमानों दोनों के लिए एक तीर्थ स्थान रहा है। हालांकि, बीजेपी इस जगह को हिंदू मंदिर घोषित करने की मांग कर रही है।

1964 से पहले, मंदिर हिंदुओं और मुसलमानों दोनों द्वारा पूजनीय था। यह सूफी संस्कृति, हिंदू और इस्लाम संस्कृतियों की एकता का प्रतीक है। इस मंदिर को श्री गुरु दत्तात्रेय बाबाबुदन स्वामी दरगाह के नाम से जाना जाता था। जो दो धर्मों के लिए एक तीर्थस्थल था, वह हिंदुओं और मुसलमानों के बीच एक विवादित स्थल बन गया है।हिंदू पहाड़ी को दत्तात्रेय का अंतिम विश्राम स्थल मानते हैं, मुसलमानों का मानना है कि दरगाह दक्षिण भारत में सूफीवाद के शुरूआती केंद्रों में से एक है। उनका मानना है कि सूफी संत दादा हयात मिर्कलंदर के साथ वहां वर्षों से रह रहे हैं।

 

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Created On :   6 Dec 2022 5:00 PM IST

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