पीएम के दौरे को रोकने या उनके कार्यक्रम में बाधा डालने की कोई योजना नहीं थी
डिजिटल डेस्क, नई दिल्ली। पंजाब में फिरोजपुर के पास किसानों के विरोध के चलते प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के काफिले की सुरक्षा में सेंध लगने के 24 घंटे से अधिक समय बाद, संयुक्त किसान मोर्चा ने गुरुवार को दावा किया कि प्रधानमंत्री के दौरे को रोकने या उनके कार्यक्रम में बाधा डालने की उनकी कोई योजना नहीं थी। एसकेएम के मुताबिक, वहां के किसानों को इस बात की पुख्ता जानकारी तक नहीं थी कि पीएम का काफिला गुजरने वाला है।
बुधवार को, फिरोजपुर में प्रधानमंत्री की रैली को सुरक्षा चूक के कारण रद्द करना पड़ा, क्योंकि कुछ प्रदर्शनकारियों ने एक मार्ग को अवरुद्ध कर दिया और उनके काफिले को एक फ्लाईओवर पर लगभग 20 मिनट बिताने के लिए मजबूर किया। घटना के वक्त प्रधानमंत्री हुसैनीवाला में राष्ट्रीय शहीद स्मारक जा रहे थे। संयुक्त किसान मोर्चा (एसकेएम) ने गुरुवार को एक बयान में दावा किया कि उन्होंने 5 जनवरी को प्रधानमंत्री की प्रस्तावित पंजाब यात्रा की खबर मिलने पर विरोध प्रदर्शन की योजना बनाई थी।
संगठन ने कहा, एसकेएम से जुड़े कुल 10 किसान संगठनों ने (केंद्रीय गृह राज्य मंत्री) अजय मिश्रा टेनी की गिरफ्तारी और अन्य बकाया मांगों की मांग को लेकर प्रतीकात्मक विरोध की घोषणा की थी। एसकेएम के बयान के अनुसार, इस उद्देश्य के लिए, 2 जनवरी को पंजाब भर में ग्रामीण स्तर पर और 5 जनवरी को जिला और तहसील मुख्यालय पर विरोध प्रदर्शन और पुतला जलाने के कार्यक्रमों की घोषणा की गई थी। प्रधानमंत्री की यात्रा को रोकने या उनके कार्यक्रम में बाधा डालने के लिए कोई कार्यक्रम नहीं था।
एसकेएम द्वारा एक साल से अधिक समय के विरोध के बाद संसद द्वारा तीन विवादास्पद कृषि कानूनों को निरस्त करने के बावजूद किसान अभी भी विरोध कर रहे हैं, खासकर पंजाब में उनका विरोध जारी है। वह अपनी अधूरी मांगों के लिए, जिसमें गृह राज्य मंत्री अजय मिश्रा टेनी को हटाने, (पिछले साल की लखीमपुर खीरी हिंसा मामले में), किसान आंदोलन के दौरान शहीद हुए लोगों के परिवारों को मुआवजा, कृषि उपज के लिए न्यूनतम समर्थन मूल्य, शामिल है, आंदोलनरत है।
किसान संघ ने आगे कहा कि पूर्व निर्धारित कार्यक्रम के अनुसार 5 जनवरी को पंजाब के हर जिले और तहसील मुख्यालयों पर शांतिपूर्ण विरोध प्रदर्शन किया गया। संगठन ने दावा किया कि कुछ किसानों को पुलिस ने फिरोजपुर जिला मुख्यालय जाने से रोका तो उन्होंने कई जगह सड़कों पर बैठ कर विरोध किया।
इनमें से वो फ्लाईओवर भी था, जहां पीएम का काफिला आया, रुका और वापस चला गया। एसकेएम के मुताबिक वहां के किसानों को इस बात की पुख्ता जानकारी नहीं थी कि पीएम का काफिला गुजरने वाला है। उन्हें यह जानकारी प्रधानमंत्री की वापसी के बाद मीडिया से मिली।
संयुक्त किसान मोर्चा ने आगे कहा कि मौके के वीडियो से साफ है कि प्रदर्शन कर रहे किसानों ने पीएम के काफिले की तरफ जाने की कोई कोशिश तक नहीं की। केवल बीजेपी का झंडा और नरेंद्र मोदी जिंदाबाद के नारे लगाता हुआ एक समूह पीएम के काफिले के पास पहुंचा था। इस वजह से पीएम की जान को खतरा वाली कहानी मनगढ़ंत है।
किसानों ने आगे आरोप लगाया कि अपनी रैली की विफलता को छिपाने के लिए, प्रधानमंत्री ने पंजाब राज्य और किसान आंदोलन दोनों को बदनाम करने की कोशिश की। संगठन ने आगे कहा कि संयुक्त किसान मोर्चा को उम्मीद है कि देश के प्रधानमंत्री अपने पद की गरिमा को ध्यान में रखते हुए इस तरह के गैर-जिम्मेदाराना बयान नहीं देंगे।
(आईएएनएस)
Created On :   6 Jan 2022 11:30 PM IST