केरल में इस बात पर कोई सस्पेंस नहीं कि किसके विपक्ष में होगी राष्ट्रपति चुनाव में वोटिंग
डिजिटल डेस्क, तिरुवनंतपुरम। राष्ट्रपति चुनाव जुलाई के अंतिम सप्ताह में होने की संभावना है और केरल में इस बात पर कोई सस्पेंस नहीं है कि यहां किस तरह मतदान होगा। केरल में एक बात पूरी तरह स्पष्ट है कि यहां भारतीय जनता पार्टी नीत राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन के प्रत्याशी के पक्ष में वोटिंग नहीं होगी।
केरल की 140 सदस्यीय विधानसभा में 99 सीटों के साथ वाम सत्ता में है और विपक्ष कांग्रेस नीत संयुक्त प्रगतिशील गठबंधन है, जिसके पास 40 सीटें हैं। कांग्रेस विधायक पी टी थॉमस के निधन के बाद से एक सीट त्रिक्काकारा रिक्त है। इस सीट पर 31 मई को उपचुनाव होना है।
वाम पार्टियों ने स्पष्ट रूप से कहा है कि उनका मुख्य मकसद नरेंद्र मोदी की अगुवाई वाली भाजपा सरकार को गिराना है। इससे यह बात साफ हो जाती है कि वाम पार्टियां राजग के प्रत्याशी को कोई समर्थन नहीं देने जा रही हैं। केरल की दो मुख्य पार्टियां भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी और मार्क्सवादी कम्युनिस्ट पार्टी है और दोनों ने यह स्पष्ट किया है कि वे राजग प्रत्याशी का विरोध करेंगी। अभी दोनों ने लेकिन यह तय नहीं किया है कि वे किसके पक्ष में वोट देंगी।
केरल में भाजपा या राजग का एक भी विधायक नहीं है इसीलिये यहां से उसके प्रत्याशी के खाते में एक भी वोट नहीं जायेगा। माकपा के वरिष्ठ नेता एस रामचंद्रन पिल्लै ने आईएएनएस से कहा कि माकपा एक ऐसी राजनीतिक पार्टी है जो भाजपा की प्रत्यक्ष विरोधी है। हम अपनी नीति के अनुसार रुख तय करेंगे। उन्होंने कहा कि पार्टी ने अभी निर्णय नहीं लिया है। उन्होंने इस बात पर टिप्पणी करने से इनकार कर दिया कि क्या उनकी पार्टी कांग्रेस की वोटिंग रणनीति अपनायेगी।
केंद्र में कांग्रेस और वामदल दोनों भाजपा के विरोधी हैं लेकिन केरल में कांग्रेस और वाम दल दोनों एक दूसरे के विपरीत खड़े हैं। इसी वजह से वाम दलों को बहुत बहुत सोच समझकर रणनीति तय करनी पड़ेगी। भाकपा की वरिष्ठ नेता एन्नी राजा ने आईएएनएस से कहा कि 12 मई को पार्टी की बैठक होने वाली है, जहां इस पर निर्णय लिया जायेगा। कांग्रेस का कहना है कि कांग्रेस की संचालन समिति की बैठक के बाद ही राष्ट्रपति चुनाव की रणनीति तय होगी।
केरल के पूर्व कांग्रेस अध्यक्ष एम रामचंद्रन से आईएएनएस से कहा कि केंद्र में कांग्रेस भाजपा की मुख्य विपक्षी है। अब जहां तक बात राष्ट्रपति चुनाव की है तो यह जुलाई में होना है तो अभी पार्टी के पास काफी समय है। अभी इस बारे में कुछ कहना जल्दबाजी होगी। भाकपा और माकपा भी पोलित ब्यूरो और केंद्रीय सचिवालय की बैठक के बाद ही इस पर निर्णय लेंगे लेकिन कुल मिलाकर दोनों दलों का कहना है कि उनका मुख्य एजेंडा भाजपा के प्रत्याशी को हराना ही होगा।
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Created On :   8 May 2022 5:00 PM IST