सहानुभूति अंतर्कलह और जनता के भरोसे पर टिका पृथ्वीपुर सीट का उपचुनाव, योजनाओं के सहारे बीजेपी की किलाबंदी
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डिजिटल डेस्क, भोपाल। मध्य प्रदेश में इस बार चार सीटों पर उपचुनाव हैं। इनमें एक लोकसभा व तीन विधानसभा सीटों पर कब्जा जमाने के लिए कांग्रेस और बीजेपी पूरा दमखम लगा रही हैं। पृथ्वीपुर सामान्य विधानसभा सीट पर ज्यादातर कांग्रेस ही जीतती रही है। केवल 2013 में इस सीट पर भाजपा ने कब्जा किया था। उसके बाद 2018 में फिर कांग्रेस के बृजेन्द्र सिंह राठौर यहां से जीते थे। बृजेन्द्र सिंह राठौर की छवि काफी अच्छी थी। कांग्रेस ने उनके बेटे नितेन्द्र सिंह को चुनाव मैदान में उतारा है। नितेन्द्र को सहानुभूति का लाभ मिल सकता है, जबकि भाजपा ने इस सीट से शिशुपाल सिंह यादव को टिकट देकर पिछड़ा वर्ग का कार्ड खेला है।
विधानसभा सीट पृथ्वीपुर का इतिहास
निवाड़ी विधानसभा सीट का हिस्सा रहे पृथ्वीपुर को 2008 में परिसीमन के बाद विधानसभा सीट बना दिया गया। इस विधानसभा क्षेत्र में करीब 151 गांव, 56 ग्राम पंचायत और 2 नगर पंचायत हैं। 2 लाख 6 हजार वोटर्स के लिए यहां 242 पॉलिंग बूथ हैं। 2008 से अब तक यहां तीन बार चुनाव हुए। 2008 और 2018 में कांग्रेस और 2013 में बीजेपी ने जीत दर्ज की।
पूर्व विधायक बृजेंद्र सिंह राठौर
पृथ्वीपुर सीट पर 2018 विधानसभा चुनाव में कांग्रेस के बृजेंद्र सिंह राठौर ने विजय हासिल की थी। वह अपने राजनीतिक इतिहास में पांच बार विधायक रहे और केवल एक ही विधानसभा चुनाव हारे। 1993 में पहली बार निवाड़ी से निर्दलीय विधायक बने, 1998 में निर्दलीय और फिर 2003 में कांग्रेस से निवाड़ी सीट का चुनाव जीता। 2008 और 2018 में उन्होंने कांग्रेस से लड़ते हुए पृथ्वीपुर विधानसभा सीट पर चुनाव जीता।
दरअसल, निवाड़ी और पृथ्वीपुर सीट 2008 से पहले एक ही थी। ऐसे में बृजेंद्र सिंह राठौर निवाड़ी से लड़ते थे। लेकिन 2008 में हुए परिसमीन में निवाड़ी से अलग पृथ्वीपुर सीट बना दी गई। जिसके बाद राठौर निवाड़ी की जगह पृथ्वीपुर से चुनाव लड़ने लगे क्योंकि यह उनका गृह जनपद था। राठौर ने यहां से दो बार चुनाव जीता। अप्रैल 2021 में कोरोना के कारण उनका निधन हो गया। इसी कारण इस सीट पर उपचुनाव हो रहे हैं। उपचुनाव में उनके बेटे नितेंद्र सिंह राठौर मैदान में है।
आयातित, पॉलिटिकल टूरिस्ट और सहानुभूति
पृथ्वीपुर विधानसभा उपचुनाव में शिशुपाल को आयातित प्रत्याशी माना जा रहा हैं। वो इससे पहले समाजवादी पार्टी में थे। शिशुपाल के सामने सबसे बड़ी चुनौती भाजपा के एक बागी नेता अखंड प्रताप सिंह द्वारा चुनाव मैदान में निर्दलीय प्रत्याशी के रूप में उतरना है। अखंड का यादव समाज में काफी असर है। अखंड भाजपा के लिए मुश्किलें पैदा कर रहे है। साथ ही बीजेपी में दल बदलकर आए आयातित प्रत्याशी को लेकर पार्टी के भीतर विरोध लगातार जारी है जिसे भुनाने में बीजेपी असफल होती हुई दिखाई दे रही है। वैसे राजनीति में अखंड को "पॉलिटिकल टूरिस्ट" श्रेणी का नेता माना जाता है। वो सभी पार्टियों में रह चुके हैं। उपचुनाव में सपाक्स पार्टी उनका समर्थन कर उनके साथ प्रचार भी कर रही है।
दरअसल अखंड प्रताप सिंह यादव दल बदलने में माहिर नेता माने जाते है। 1977 में उन्होंने पहला चुनाव जनसंघ से लड़ा था, इसके बाद कांग्रेस में आए उसके बाद फिर बीजेपी में आए अखंड समाजवादी पार्टी की साइकिल पर भी सवार हो चुके हैं। हाल ही में उपचुनाव में अखंड प्रताप सिंह यादव ने बहुजन समाज पार्टी टिकट पर नामांकन दाखिल किया था, लेकिन बाद में बसपा सुप्रीमो ने मध्य प्रदेश के उपचुनावों में कोई भी प्रत्याशी मैदान में नहीं उतारने की घोषणा कर दी थी। जिसके बाद अखंड प्रताप सिंह यादव निर्दलीय प्रत्याशी के तौर पर मैदान में उतरे हैं। अब उन्होंने सपाक्स का दामन थाम कर एक बार फिर सबको हैरान कर दिया।
शिशुपाल और नितेंद्र में मुख्य मुकाबला
पृथ्वीपुर विधानसभा उपचुनाव में भाजपा ने डॉ शिशुपाल सिंह यादव पर दांव लगाया है। डॉ शिशुपाल सिंह इससे पहले समाजवादी पार्टी से चुनाव लड़ चुके हैं। वहीं कांग्रेस ने स्वर्गीय पूर्व मंत्री बृजेंद्र सिंह राठौर के बेटे नितेंद्र सिंह राठौर को प्रत्याशी बनाया है। इसीके साथ कई निर्दलीय प्रत्याशी अपना भाग्य आजमा रहे है। निर्दलीय प्रत्याशी के रूप में ताल ठोंकने वाले अखंड प्रतापसिंह यादव की चर्चा चुनावी माहौल में जोर पकड़ती दिखाई दे रही है।
मतदाताओं को रिझाने में जुटे दिग्गज
उपचुनाव के प्रचार में कुछ दिन ही बचे हैं। लेकिन अपनी अपनी पार्टी के समर्थित उम्मीदवारों के पक्ष में सभी पार्टियों के दिग्गज नेता मतदाताओं को रिझाने में जुटे है। कांग्रेस के गढ़ माने जानी वाली पृथ्वीपुर सीट पर मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान और उनके दर्जनभर मंत्री बीजेपी उम्मीदवार के पक्ष में तूफानी सभाएं कर रहे है। वहीं भारतीय जनता पार्टी के प्रदेशाध्यक्ष वीडी शर्मा ने जमीनी स्तर पर कार्यकर्ताओं से मुलाकात कर चुनावी माहौल अपने पक्ष करने के लिए पूरी ताकत झौंक दी है। बीजेपी इस सीट पर जीत सुनिश्चित करने के लिए एड़ी चोटी का जोर लगा रही है। वहीं कांग्रेस के प्रदेशाध्यक्ष व पूर्व मुख्यमंत्री कमलनाथ सीट गंवाने के डर से लगातार प्रचार करने में जुटे है। उन्हें सहानुभूति मिलने की उम्मीद है। सीट पर कड़ा मुकाबला कांग्रेस और बीजेपी में देखने को मिल रहा है। वहीं निर्दलीय प्रत्याशी भी दम लगाने में जुटे हैं। और उनकी किस्मत जनता के भरोसे पर टिकी है। लेकिन मुख्य मुकाबला बीजेपी और कांग्रेस में देखा जा रहा है। उपचुनाव के पेंच दोनों मुख्य दलों में फंसा है। पिछले चुनाव में बीजेपी के सत्ता में होने के बाद भी सीट पर कांग्रेस ने जीत दर्ज की थी।
विशेषज्ञ की राय
पृथ्वीपुर विधानसभा उपचुनाव पर ज्यादा जानकारी के लिए भास्कर हिंदी संवाददाता आनंद जोनवार ने स्थानीय पत्रकार मनीष यादव से बातचीत की,उनका मानना है कि उपचुनाव पर बीजेपी योजनाओं के सहारे कांग्रेस के गढ़ में सेंध लगाने का प्रयास कर रही है। मुख्य मुकाबला बीजेपी और कांग्रेस में ही देखने को मिल रहा है लेकिन दल बदलू को उम्मीदवार बनाने से बीजेपी के प्रति जनता में कई जगह नाराजगी भी देखी जा रही है, जिससे भाजपा को कुछ नुकसान भी देखने को मिल सकता है। वहीं कांग्रेस सहानुभूति के मजबूती फैक्टर के साथ बढ़ती महंगाई और बेरोजगारी के मुद्दे लेकर जनता को लुभाने का प्रयास कर रही है। स्थानीय पत्रकार का मानना है कि स्थानीय जातिगत समीकरण यहां की हार जीत तय करने में मुख्य भूमिका निभाते आए है।
Created On :   26 Oct 2021 3:38 PM IST