तेलंगाना के मुख्यमंत्री ने शीतयुद्ध के बाद राज्यपाल के साथ मंच साझा किया

Telangana CM shares stage with Governor after cold war
तेलंगाना के मुख्यमंत्री ने शीतयुद्ध के बाद राज्यपाल के साथ मंच साझा किया
के. चंद्रशेखर राव तेलंगाना के मुख्यमंत्री ने शीतयुद्ध के बाद राज्यपाल के साथ मंच साझा किया

डिजिटल डेस्क, हैदराबाद। तेलंगाना के मुख्यमंत्री के. चंद्रशेखर राव ने महीनों तक चले शीतयुद्ध के बाद मंगलवार को राजभवन का दौरा किया और राज्यपाल तमिलिसाई सुंदरराजन के साथ मंच साझा किया। अवसर था तेलंगाना हाईकोर्ट के मुख्य न्यायाधीश के रूप में न्यायमूर्ति उज्‍जवल भुइयां के शपथ ग्रहण का। राज्यपाल से मतभेद को दरकिनार करते हुए मुख्यमंत्री ने मुख्य न्यायाधीश के शपथ ग्रहण समारोह में शामिल होने की परंपरा को जारी रखा।

मुख्यमंत्री ने राज्यपाल के साथ शुभकामनाओं का आदान-प्रदान किया और उन्हें एक गुलदस्ता भेंट किया। उन्होंने न्यायमूर्ति भुइयां को बधाई दी। इसके बाद राज्यपाल और नए मुख्य न्यायाधीश, दोनों के साथ संक्षिप्त बैठक में भी भाग लिया। कयास लगाए जा रहे थे कि राज्यपाल के साथ शीतयुद्ध को देखते हुए मुख्यमंत्री समारोह से दूर रहेंगे और नए मुख्य न्यायाधीश से अलग से मुलाकात करेंगे।

दोनों नेताओं के रिश्तों में तनाव के बाद केसीआर का यह पहला राजभवन दौरा था। शीतयुद्ध तब शुरू हुआ था, जब तमिलिसाई ने आरोप लगाया कि राज्य सरकार राज्यपाल के संवैधानिक पद का अपमान कर रही है, वहीं राज्य के कई मंत्रियों ने उन पर भाजपा के प्रवक्ता की तरह काम करने का आरोप लगाते हुए उनकी आलोचना की थी।

राज्यपाल और मुख्यमंत्री के बीच दरार मार्च में तब सामने आई थी, जब राज्य सरकार ने विधानमंडल के बजट सत्र की शुरुआत में पारंपरिक रूप से होने वाले राज्यपाल के अभिभाषण का कार्यक्रम नहीं रखा। राज्यपाल ने कहा कि राज्य सरकार ने तकनीकी कारणों के बहाने संवैधानिक परंपरा का पालन नहीं किया। मुख्यमंत्री, उनके कैबिनेट सहयोगियों और सत्तारूढ़ तेलंगाना राष्ट्र समिति (टीआरएस) के नेताओं ने अप्रैल में राजभवन में राज्यपाल द्वारा आयोजित उगादी पूर्व उत्सव का बहिष्कार किया था।

राज्यपाल ने शिकायत की थी कि हालांकि उन्होंने निमंत्रण दिया, लेकिन न तो मुख्यमंत्री और न ही उनके मंत्री या अधिकारी समारोह में शामिल हुए और न ही उन्होंने भाग लेने में असमर्थता जताई। राज्यपाल को मुख्यमंत्री के आधिकारिक आवास प्रगति भवन में आयोजित उगादी समारोह में भी आमंत्रित नहीं किया गया था। इससे पहले, राज्य सरकार ने यादाद्री में पुनर्निर्मित लक्ष्मी नरसिम्हा स्वामी मंदिर के उद्घाटन के लिए राज्यपाल को आमंत्रित नहीं किया था।

तमिलिसाई ने यह भी आरोप लगाया कि जब वह फरवरी में एक आदिवासी मेले सम्मक्का सरलम्मा जतारा में भाग लेने के लिए मुलुगु जिले के मेदारम गए थे, उस समय राज्य सरकार ने प्रोटोकॉल का पालन नहीं किया। राज्यपाल ने अपनी यात्राओं के दौरान राज्य सरकार द्वारा प्रोटोकॉल का पालन नहीं करने की शिकायत केंद्र से की थी। राज्यपाल ने 10 जून को राजभवन में प्रजा दरबार आयोजित कर लोगों से मिलना शुरू किया था। उन्होंने अपने इस कदम का बचाव करते हुए कहा कि वह राज्य सरकार और जनता के बीच सेतु का काम करना चाहते हैं।

उन्होंने इस आलोचना को खारिज कर दिया कि वह अपनी सीमा पार कर रहे हैं। उन्होंने तर्क दिया कि जब वह सर्वोच्च संवैधानिक प्राधिकारी के रूप में लोगों की सेवा करने के लिए तैयार हैं तो उन्हें इस अवसर से वंचित क्यों किया जाना चाहिए। टीआरएस के नेताओं के बयान के बारे में पूछे जाने पर राज्यपाल ने कहा, जो लोग इसे असंवैधानिक कहते हैं, उन्हें पहले संविधान का सम्मान करना चाहिए।

सोर्स- आईएएनएस

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Created On :   28 Jun 2022 5:30 PM IST

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