सुप्रीम कोर्ट ने चुनाव से पहले राजनीतिक दलों के मुफ्त उपहार के वादे पर केंद्र, चुनाव आयोग से मांगा जवाब

Supreme Court seeks response from Centre, Election Commission on promise of free gifts to political parties
सुप्रीम कोर्ट ने चुनाव से पहले राजनीतिक दलों के मुफ्त उपहार के वादे पर केंद्र, चुनाव आयोग से मांगा जवाब
नोटिस जारी सुप्रीम कोर्ट ने चुनाव से पहले राजनीतिक दलों के मुफ्त उपहार के वादे पर केंद्र, चुनाव आयोग से मांगा जवाब

डिजिटल डेस्क, नई दिल्ली। सुप्रीम कोर्ट ने मंगलवार को चुनाव से पहले सार्वजनिक धन से मुफ्त उपहार देने के वादे या वितरण के खिलाफ एक जनहित याचिका पर केंद्र और चुनाव आयोग को नोटिस जारी किया। याचिकाकर्ता का मानना है कि यह एक स्वतंत्र और निष्पक्ष चुनाव की जड़ों को हिला देता है और चुनाव प्रक्रिया की शुद्धता को भंग करता है।

मुख्य न्यायाधीश एनवी रमण की अध्यक्षता वाली पीठ ने मामले में दलीलें सुनने के बाद केंद्र और चुनाव आयोग से जवाब मांगा। याचिकाकर्ता अधिवक्ता अश्विनी उपाध्याय की ओर से वरिष्ठ अधिवक्ता विकास सिंह ने पक्ष रखा। याचिका में शीर्ष अदालत से यह घोषित करने का निर्देश देने की मांग की गई है कि चुनाव से पहले जनता के धन से अतार्किक मुफ्त वादा या वितरण का वादा संविधान के अनुच्छेद 14, 162, 266 (3) और 282 का उल्लंघन करता है, खासकर तब, जब यह सार्वजनिक उद्देश्यों के लिए नहीं है।

याचिका में कहा गया है कि राजनीतिक दलों द्वारा मतदाताओं को अपने पक्ष में लुभाने का वादा रिश्वत और अनुचित प्रभाव के समान है। याचिका में कहा गया है कि आम आदमी पार्टी ने 18 वर्ष और उससे अधिक उम्र की प्रत्येक महिला को 1,000 रुपये प्रति माह का वादा किया है, और शिरोमणी अकाली दल (शिअद) ने प्रत्येक महिला को लुभाने के लिए 2,000 रुपये का वादा किया है, और कांग्रेस ने भी प्रति माह हर गृहिणी 2,000 रुपये और साल में 8 गैस सिलेंडर का वादा किया है।

याचिका में कहा गया है कि अगर आप सत्ता में आती है तो पंजाब को राजनीतिक वादों को पूरा करने के लिए प्रति माह 12,000 करोड़ रुपये, शिअद के सत्ता में आने पर 25,000 करोड़ रुपये और कांग्रेस के सत्ता में आने पर 30,000 करोड़ रुपये की जरूरत है। याचिकाकर्ता ने कहा कि राज्य का जीएसटी संग्रह केवल 1,400 करोड़ रुपये है।

याचिका में दावा किया गया है, वास्तव में, कर्ज चुकाने के बाद, पंजाब सरकार वेतन-पेंशन भी नहीं दे पा रही है, फिर वह मुफ्त में अपने वादे कैसे पूरा करेगी? कड़वा सच यह है कि पंजाब का कर्ज हर साल बढ़ता जा रहा है। राज्य का बकाया कर्ज बढ़ गया है।

आईएएनएस 

Created On :   25 Jan 2022 1:30 PM IST

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