लाभ के पद के लिए सोरेन को अयोग्यता का सामना करना पड़ रहा, भाजपा को ठहराया दोषी

Soren facing disqualification for office of profit, blames BJP
लाभ के पद के लिए सोरेन को अयोग्यता का सामना करना पड़ रहा, भाजपा को ठहराया दोषी
झारखंड राजनीति लाभ के पद के लिए सोरेन को अयोग्यता का सामना करना पड़ रहा, भाजपा को ठहराया दोषी

डिजिटल डेस्क, रांची। विधायक के तौर पर लाभ के पद के लिए अयोग्य ठहराए जाने की प्रक्रिया का सामना कर रहे झारखंड के मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन ने गुरुवार को इस विवाद के लिए विपक्षी भाजपा को जिम्मेदार ठहराया। सूत्रों ने संकेत दिया कि इस संबंध में चुनाव आयोग ने राज्यपाल रमेश बैस को अपनी रिपोर्ट सौंप दी है।

सोरेन ने कहा कि ऐसा लगता है कि भाजपा नेताओं और उनकी कठपुतली ने रिपोर्ट का मसौदा तैयार किया है जो सीलबंद लिफाफे में है। उन्होंने कहा कि आधिकारिक तौर पर उनसे कोई संवाद नहीं हुआ है। हालांकि, सूत्रों ने कहा कि भाजपा उनके खिलाफ उनकी याचिका को लेकर आश्वस्त दिख रही है। सोरेन की विधानसभा सदस्यता के मुद्दे पर चुनाव आयोग ने राज्यपाल को पत्र भेजा है और इसी बीच पूर्व मुख्यमंत्री रघुबर दास और भाजपा ने उनकी अयोग्यता की मांग की है। सोरेन पर खुद को खनन पट्टा देने का आरोप लगाते हुए उन्होंने इसे लाभ के पद और जनप्रतिनिधित्व कानून का उल्लंघन करार दिया और इस मुद्दे पर राज्यपाल को पत्र लिखा।

पोल पैनल की सिफारिशों पर राज्यपाल का आदेश जारी होने से सोरेन की विधानसभा सदस्यता खत्म हो सकती है और ऐसे में उन्हें मुख्यमंत्री पद से इस्तीफा देना पड़ सकता है। हालांकि, सोरेन के नेतृत्व वाले झामुमो-कांग्रेस गठबंधन के पास विधानसभा में बहुमत है और उनके इस्तीफे के बाद, वह फिर से राज्य में सरकार बनाने का दावा पेश कर सकते हैं। यह स्पष्ट नहीं है कि सोरेन को भी चुनाव लड़ने के लिए अयोग्य घोषित किया गया है या नहीं।

राज्यपाल, जो इस समय दिल्ली में हैं, दिन में बाद में रांची पहुंचेंगे और उसके बाद एक घोषणा की उम्मीद है। रांची के अंगड़ा प्रखंड में एक पत्थर की खदान का पट्टा सोरेन के नाम पर जारी किया गया था, लेकिन बाद में उन्होंने इसे सरेंडर कर दिया था। हालांकि, भाजपा की शिकायत पर चुनाव आयोग ने मामले की सुनवाई की और 18 अगस्त को अपना फैसला सुरक्षित रख लिया।

2019 में, सोरेन दुमका और बरहेट विधानसभा क्षेत्रों से विधायक चुने गए। बाद में उन्होंने दुमका से इस्तीफा दे दिया और उनके भाई बसंत सोरेन ने उपचुनाव जीता। हालांकि, बसंत सोरेन पर भी विधायक रहते हुए एक खदान का पट्टा लेने का आरोप है और चुनाव आयोग ने मामले की सुनवाई 28 अगस्त को तय की है। चूंकि बसंत सोरेन का मामला हेमंत सोरेन के समान है, इसलिए उनकी भी सदस्यता जाने की संभावना है।

 

(आईएएनएस)

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Created On :   25 Aug 2022 6:00 PM IST

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