राजनीति में सक्रिय कुछ नेता राजनीति से अलविदा कह रहे, सीपीआईएम नेताओं की पसंद बन रहा वीआरएस

Some leaders active in politics are saying goodbye to politics, VRS is becoming the choice of CPIM leaders
राजनीति में सक्रिय कुछ नेता राजनीति से अलविदा कह रहे, सीपीआईएम नेताओं की पसंद बन रहा वीआरएस
केरल राजनीति में सक्रिय कुछ नेता राजनीति से अलविदा कह रहे, सीपीआईएम नेताओं की पसंद बन रहा वीआरएस
हाईलाइट
  • पोलित ब्यूरो की सदस्यता

डिजिटल डेस्क, तिरुवनंतपुरम। सरकारी सेवा से स्वैच्छिक सेवानिवृत्ति योजना (वीआरएस) का विकल्प चुनना काफी आम है, लेकिन ऐसा लगता है कि यह राजनीति में भी पसंद बन रहा है, खासकर सीपीआई (एम) की केरल इकाई में। राजनीति में सक्रिय कुछ नेता राजनीति से अलविदा कह रहे हैं।

ऐसा करने वाले पहले व्यक्ति माकपा के गढ़ तालीपरम्बा से तत्कालीन दो बार के विधायक 61 वर्षीय जेम्स मैथ्यू थे। जब जेम्स मैथ्यू को ऐसा लगा कि तीसरी बार उनके नाम पर विचार नहीं किया जाएगा तो उन्होंने सक्रिय राजनीति दल से हटने का फैसला किया। माकपा के छात्र राजनीतिक क्षेत्र से उठे मैथ्यू एक सम्मानित राजनीतिज्ञ थे। यहां तक कि विपक्षी खेमे भी उनके व्यवहार और चीजों के ज्ञान के कारण उनका सम्मान करते थे।

कतार में अगला कोई और नहीं बल्कि वर्तमान सत्तारूढ़ वाम लोकतांत्रिक मोर्चा संयोजक और पार्टी केंद्रीय समिति के सदस्य ईपी जयराजन हैं। ईपी जयराजन को अक्सर राज्य उद्योग मंत्री होने के कारण पहली पिनाराई विजयन सरकार 2016 से 21 में नंबर दो के रूप में जाना जाता था। लेकिन साल 2021 के विधानसभा चुनावों के लिए बाहर रखा गया था।

पार्टी के मौजूदा सचिव कोडियेरी बालाकृष्णन की सेहत बिगड़ती जा रही है, यह जानकर जयराजन के लिए उम्मीदें बढ़ गईं। लेकिन, उन्हें पहला झटका तब लगा जब उनके जूनियर पार्टी के सहयोगी और मौजूदा राज्य मंत्री एमवी गोविंदन को सचिव बनाया गया और उन्हें पोलित ब्यूरो की सदस्यता भी दी गई।

कन्नूर के रहने वाले 72 वर्षीय जयराजन भी नजरअंदाज किए जाने से नाराज दिखाई दिए और वह सक्रिय राजनीति से अलविदा कह रहे हैं। रिपोर्ट के अनुसार, एक अन्य 66 वर्षीय सुरेश कुरुप नेता जो चार बार के लोकसभा सदस्य और दो बार के विधायक हैं, वे भीसक्रिय राजनीति से अलविदा कह रहे हैं। कोट्टायम के रहने वाले 66 वर्षीय सुरेश कुरुप अपने मिलनसार स्वभाव और अच्छे व्यवहार के लिए जाने जाते हैं। एक मीडिया समीक्षक ने नाम न छापने की शर्त पर कहा कि इन तीन दिग्गजों के साथ जो हुआ है, उसमें सामान्य फेक्टर यह है कि वे किसी कारणवश विजयन की गुड बुक में शामिल नहीं हैं।

कौन नहीं जानता कि विजयन 2016 में मुख्यमंत्री बनने के बाद से ही पार्टी में अंतिम शब्द हैं और जो वह सोचते हैं वही पार्टी में होगा है। ये सभी छोटे आश्चर्य हैं और जल्द ही बड़ा होने की उम्मीद है जब वह अपने दामाद को राज्य के पर्यटन और पीडब्ल्यूडी मंत्री पीए मोहम्मद रियास को अपना उत्तराधिकारी बनाएंगे।

 

आईएएनएस

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Created On :   19 Dec 2022 4:00 PM IST

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