छोटे दलों ने दिखाया दम, भाजपा और सपा के लिए बने बड़ी ताकत, अपना दल ने हासिल की 12 सीटें

Small parties showed power, made big power for BJP and SP, Apna Dal got 12 seats
छोटे दलों ने दिखाया दम, भाजपा और सपा के लिए बने बड़ी ताकत, अपना दल ने हासिल की 12 सीटें
उत्तर प्रदेश विधानसभा चुनाव छोटे दलों ने दिखाया दम, भाजपा और सपा के लिए बने बड़ी ताकत, अपना दल ने हासिल की 12 सीटें

डिजिटल डेस्क, लखनऊ। उत्तर प्रदेश के चुनाव के नतीजे आने के बाद देखा गया है कि इस बार छोटे दलों ने अपना बड़ा दम दिखाया है। उन्होंने न सिर्फ इस बार चुनाव जीता बल्कि कांग्रेस और बसपा को पीछे छोड़ दिया। बड़े दलों के साथ मिलकर मैदान में उतरे छोटे क्षेत्रीय दलों ने एक बार फिर बड़ी ताकत देने का काम किया है।

 

अपना दल 12 सीटों पर जीती

भाजपा की सहयोगी अपना दल (सोनेलाल) को सबसे ज्यादा फायदा हुआ। 17 में 12 सीटों पर विजय हासिल की है। इस बार यूपी में वह भाजपा सपा के बाद सबसे बड़ी पार्टी बन गयी है। जबकि 2017 के विधानसभा में इन्हें नौ सीटों पर सफलता मिली थी। मऊरानीपुर से इनकी प्रत्याशी रश्मि आर्या ने तकरीबन 58,595 मतो से सफलता हासिल की है। यह बड़ी जीत है। इस दल ने बसपा और कांग्रेस जैसे बड़े दलों से ज्यादा संख्या सीटें जीतकर अपना डंका बजा दिया है। इसके पीछे केन्द्रीय मंत्री अनुप्रिया पटेल की कड़ी मेहनत दिखती है।

निषाद पार्टी को मिली 6  सीटें 

भाजपा से गठबंधन करके चुनाव लड़ी निषाद पार्टी को अच्छी सफलता मिली है। हालांकि उसके 10 उम्मीदवार ही पार्टी के चुनाव चिन्ह पर चुनाव मैदान में उतरे जबकि छह अन्य ने भाजपा के टिकट पर चुनाव लड़ा है। जिसमें से निषाद पार्टी को छह पर सफलता मिली है। पार्टी प्रमुख डॉ. संजय निषाद के छोटे बेटे भाजपा के टिकट से जीतकर विधानसभा पहुंच गए। पिछला चुनाव निषाद पार्टी छोटे-छोटे दलों के साथ मिल कर लड़ी थी और बाहुबली विजय मिश्रा के रूप में एक ही सीट जीत पाई थी। 2017 के विधानसभा चुनावों की बात करें तो निषाद पार्टी ने 72 सीटों पर अपने उम्मीदवार उतारे थे लेकिन भाजपा की लहर में उसका केवल एक ही उम्मीदवार विधानसभा पहुंच सका था। उसके बाकी के 70 उम्मीदवारों की जमानत तक जब्त हो गई थी।

रालोद ने दी साइकिल को रफ्तार

भले ही समाजवादी पार्टी चुनाव में सफलता न हासिल की हो, लेकिन छोटे दलों ने उन्हें बड़ा सहारा दिया है। किसान आंदोलन के बाद पश्चिमी यूपी में साइकिल की रफ्तार को बढ़ाने में रालोद ने अच्छी भूमिका निभाई है। उसे इस चुनाव में आठ सीटें मिली है। रालोद सपा गठबंधन ने शामली में तीन, मुजफ्फरनगर में चार तो मेरठ में भी चार सीटों पर जीतने में सफलता मिली है। इन जगहों पर सपा को 2017 में महज एक सीट मिली थी। पूर्वांचल में सुहेलदेव भारतीय समाज पार्टी ने सपा को काफी ताकत दी है। मऊ में सपा-सुभासपा गठबंधन को चार में तीन सीटों पर विजय मिली है। गाजीपुर में सात सीटों पर सफलता मिली है। सुभासपा को पूर्वांचल में छह सीटों पर सफलता मिली है। सुभासपा पिछला विधानसभा चुनाव भाजपा के साथ लड़ी थी और आठ में चार सीटें जीती थीं। कृष्णा पटेल के नेतृत्व वाला अपना दल (के) इस चुनाव में सपा के साथ उतरा। पार्टी तीन सीटों पर लड़ी और तीनों पर हार मिली, लेकिन कार्यकारी अध्यक्ष पल्लवी पटेल सपा के सिंबल पर चुनाव लड़ी और उपमुख्यमंत्री केशव प्रसाद मौर्य को हरा कर अपने को साबित किया है।

वरिष्ठ राजनीतिक विश्लेषक अमोदकांत मिश्रा का मानना है कि राज्य में चाहे पिछले कुछ लोकसभा चुनाव रहे हों या फिर विधानसभा चुनाव, कई छोटे दल भी बड़ी भूमिका के साथ सामने आए हैं। चाहे वो अपना दल हो या फिर राष्ट्रीय लोकदल, इनका ठीक ठाक प्रभाव राज्य की राजनीति में देखने को मिलता रहा है। विधानसभा चुनाव में भाजपा और सपा ने समाजिक समीकरण और अपने क्षेत्र में मजबूत नोताओं की पार्टियों से गठबंधन किया। अपने को साबित किया है। भाजपा और सपा दोनों के गठबंधन के सहयोगियों का इस बार काफी मुनाफा हुआ है। वह हर बार से ज्यादा सीटें भी जीते हैं।

Created On :   13 March 2022 11:00 AM IST

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