शिवसेना ने एनसीपी -कांग्रेस को दिया झटका, बीजेपी से मिलाया हाथ! मुर्मू के समर्थन पर फैसले को लेकर एकनाथ शिंदे की बढ़ सकती हैं मुश्किलें

शिवसेना ने एनसीपी -कांग्रेस को दिया झटका, बीजेपी से मिलाया हाथ! मुर्मू के समर्थन पर फैसले को लेकर एकनाथ शिंदे की बढ़ सकती हैं मुश्किलें
महाराष्ट्र सरकार संकट शिवसेना ने एनसीपी -कांग्रेस को दिया झटका, बीजेपी से मिलाया हाथ! मुर्मू के समर्थन पर फैसले को लेकर एकनाथ शिंदे की बढ़ सकती हैं मुश्किलें

डिजिटल डेस्क, नई दिल्ली, आनंद जोनवार। शिवसेना चीफ उद्धव ठाकरे ने  एनडीए राष्ट्रपति उम्मीदवार द्रौपदी मुर्मू का समर्थन करने का फैसला लिया है। सूत्रों से मिली जानकारी के मुताबिक शिवसेना ऑफिस से कभी भी इसकी सूचना आ सकती है। सियासी उठापटक से संकट में घिरी शिवसेना और भाजपा के बीच भले ही खाई पैदा हो गई हो, लेकिन राजनीति में कब क्या हो जाए, कुछ नहीं कहा जा सकता। शिवसेना के इस फैसले को कांग्रेस और एनसीपी के लिए झटके के तौर पर माना जा रहा है।

राजनीति के गलियारों में शिवसेना के इस फैसले को मजबूरी के तौर पर देखा जा रहा है, ताकि पार्टी में और बिखराव पैदा न हों, क्योंकि इससे पहले शिवसेना सांसद राहुल शेवाले और राजेंद्र गावित ने ठाकरे को पत्र लिखकर शिवसेना  प्रमुख उद्धव ठाकरे पर एनडीए उम्मीदवार को समर्थन देने की मांग की थी। हो सकता है पार्टी  सांसदों के दबाव में ही शिवसेना ऐसा कदम उठाने जा रही हो। आपको बता दें इससे पहले भी शिवसेना ने एनडीए के सहयोगी दल के होने के बाद भी यूपीए कांग्रेस नेता प्रतिभा पाटिल और प्रणव मुखर्जी को राष्ट्रपति चुनाव में समर्थित किया था। इसी का उदाहरण शिवसेना  सांसद दे रहे हैं। 

शिवसेना सांसद और मुख्य प्रवक्ता संजय राउत ने मीडिया से बातचीत में इस बात का संकेत देते हुए कहा कि पार्टी अध्यक्ष उद्धव ठाकरे एक-दो दिन में फैसला ले सकते हैं। राउत ने स्पष्ट किया, मुर्मू का समर्थन करने का मतलब बीजेपी का समर्थन करना नहीं है। फैसला शिवसेना के कार्यकर्ताओं  और जनता की भावनाओं को ध्यान में रखते हुए लिया जाएगा।

शिवसेना ने अपने सांसदों के साथ मीटिंग कर राष्ट्रपति चुनाव पर डिटेल चर्चा की।  राउत ने कहा,  बैठक में शिंदे के बेटे डॉ श्रीकांत शिंदे और भावना गवली को छोड़कर कल की बैठक में हमारे अधिकांश सांसद मौजूद थे। पार्टी दबाव में कोई निर्णय नहीं लेती है और जो भी अंतिम रूप से तय किया जाता है, वह सभी सांसदों और विधायकों के लिए बाध्यकारी होगा।

राउत ने कहा, बालासाहेब ठाकरे भी मुख्य मुद्दों पर पार्टी नेताओं के साथ इस तरह परामर्श करते थे और निर्णय सहयोगियों के विचार के आधार पर किए जाते थे। कल की बैठक में मुर्मू की उम्मीदवारी पर भी चर्चा हुई। पार्टी ने हालांकि इस बात पर जोर दिया कि मुर्मू का समर्थन का मतलब भाजपा का समर्थन नहीं है, उन्होंने कहा कि शिव सेना सिन्हा के लिए अच्छी भावना रखती है। राउत  ने मीडिया में चल रही अटकलों को भी खारिज किया कि शिवसेना विभाजन के कगार पर है और सांसद विद्रोह कर सकते हैं या मुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे के नेतृत्व वाले समूह में शामिल हो सकते हैं।

इससे पहले शिवसेना के 40 विधायकों ने उद्धव सरकार की कार्यशैली से नाराज होकर पार्टी से बगावत कर दी, और बागी बनकर महाविकास अघाड़ी सरकार को गिरा दिया। और एकनाथ शिंदे के साथ बागी बने गुट ने अपनी पुरानी सहयोगी पार्टी बीजेपी के साथ सरकार बना ली। और एकनाथ शिंदे मुख्यमंत्री बन गए, वहीं बीजेपी के देवेंद्र फडणवीस डिप्टी सीएम बने।

बीजेपी के साथ उद्धव, एकनाथ की मुश्किल

लेकिन अब ये खबर आने लगी है कि उद्धव बीजेपी समर्थित एनडीए राष्ट्रपति उम्मीदवार को समर्थन देकर इस सियासी संकट को खत्म करने की राह पर चलने की कोशिश कर सकते है। इससे एक बार फिर कयास लगाए जा रहे है कि एकनाथ की वजह से मुश्किल में घिरे उद्धव कहीं एकनाथ के लिए फिर से मुश्किल खड़ी ना कर दें।  

 

Created On :   12 July 2022 12:28 PM IST

Tags

और पढ़ेंकम पढ़ें
Next Story