शिंदे गुट को मिली शिवसेना के बाद से व्यक्ति केंद्रित पार्टियों में चिंता, ईसी ने कहा लोकतांत्रिक तरीके से करना होगा संचालन

Shiv Sena got Shiv Sena, concern among individual centric parties, EC said to operate in a democratic way
शिंदे गुट को मिली शिवसेना के बाद से व्यक्ति केंद्रित पार्टियों में चिंता, ईसी ने कहा लोकतांत्रिक तरीके से करना होगा संचालन
शिवसेना से सबक शिंदे गुट को मिली शिवसेना के बाद से व्यक्ति केंद्रित पार्टियों में चिंता, ईसी ने कहा लोकतांत्रिक तरीके से करना होगा संचालन

डिजिटल डेस्क, नई दिल्ली। छह दशक से जिस परिवार के नाम से शिवसेना पार्टी को जाना जाता था। चुनाव आयोग के एक फैसले ने उस परिवार के एकाधिकार को खत्म कर अन्य राजनैतिक दलों को भी सतर्क रहने के संकेत दिए है। ईसी ने गैर लोकतांत्रिक तरीके से पार्टी में नियुक्त की गई नियुक्तियों को अनुचित बताते हुए इसे लोकतंत्र के लिए खतरा बताया।

चुनाव आयोग के आदेश पर शिंदे गुट को मिला शिवसेना नाम और चुनाव चिह्न से सकते में आया ठाकरे परिवार के साथ साथ देश में अन्य पारिवारिक राजनैतिक दलों को भी चिंता में डाल दिया है। चुनाव आयोग का मामना है कि पार्टी को भी अपने संविधान के मुताबिक लोकतांत्रिक सिस्टम का पालन करना चाहिए, इसी का तर्क देते हुए महाराष्ट्र में शिवसेना को मुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे की पार्टी बताया।  आपको बता दें उद्धव ठाकरे ने शिवसेना विवाद के दौरान पार्टी की कार्यकारिणी में जिन नेताओं को पद बांटे वो अनैतिक और अलोकतांत्रिक तरीके से वितरित किए थे। इसको ईसी ने गलत ठहराया।

अब चुनाव आयोग के फैसले से जो दल चिंतित है, उनमें व्यक्ति केंद्रित और भाई- भतीजावाद से चलने वाली पार्टियां शामिल है। व्यक्तिवादी पार्टियों में शामिल स्टालिन की डीएमके, समाजवादी पार्टी के अखिलेश यादव, तृणमूल कांग्रेस की ममता बनर्जी,  उमर अब्दुल्ला की नेशनल कॉन्फ्रेंस जैसी पार्टियों को खतरा हो सकता है। आयोग ने ऐसी पार्टियों को आगाह भी किया है, जिनमें शिवसेना जैसी व्यवस्था है। अगर इन राजनैतिक दलों में लोकतांत्रिक सुधार नहीं हुआ तो चुनाव आयोग भविष्य में इन्हें भी निशाना बना सकता है।  अब सवाल  ये उठता है कि इन राजनैतिक दलों को क्या करना चाहिए। इन व्यक्ति केंद्रित पार्टियों  को अपने संविधान में बदलाव कर लोकतांत्रिक तरीके से संचालन करना होगा। 

चुनाव आयोग के दलों के भीतर भी डेमोक्रेसी व्यवस्था के संचालन से राजनीति मजबूत तो होगी, लेकिन ये देशभर में तमाम पारिवारिक राजनैतिक घरानों के लिए मुसीबत खड़ी कर सकती है। और उनके विरोधी समय आने पर विद्रोही स्वर उठा सकता है। और भविष्य में शिवसेना जैसी कई राजनैतिक घटना उभर कर सामने आ सकती है। 

Created On :   18 Feb 2023 8:42 AM GMT

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