सियासी परिवार के एकजुट होने में बाधा बनी सीट और शर्त
- यादव परिवार में बढ़ रही है बनी सियासी खाई
डिजिटल डेस्क, नई दिल्ली। समाजवादी पार्टी संस्थापक मुलायम सिंह यादव के जन्मदिन पर भी यादव परिवार के साथ यादव राजनीतिक कुनबा एक नहीं हो सका। कयास ये लगाए जा रहे थे कि मुखिया के जन्मदिन पर प्रगतिशील समाजवादी पार्टी के अध्यक्ष चाचा शिवपाल यादव और सपा अध्यक्ष भतीजे अखिलेश यादव के बीच बनी सियासी खाई खत्म हो जाएंगी। लेकिन, ऐसा नहीं हो सका। प्रसपा का सपा में गठबंधन या विलय में सैकड़ों सीटों की शर्त बाधा बनी। आपको बता दें शिवपाल यादव ने करीब सौ सीटों की डिमांड रखी है। माना जा रहा है कि पूर्व सीएम अखिलेश यादव के लिए इन शर्त को स्वीकार करना आसान नहीं है। ऐसे में प्रसपा और सपा के बीच गठबंधन या विलय की सारी उम्मीदें और गुंजाइश खत्म होते दिखाई दे रहे है।
मुलायम सिंह यादव के जन्मदिन पर सैफई के दंगल कार्यक्रम में चाचा शिवपाल यादव ने सपा गठबंधन की शर्त में पहली बार सीटों को लेकर सार्वजनिक रुप से पहली बार 100 सीटों की डिमांड रखी है। शिवपाल का कहना है कि इन सीटों में दूसरे दलों और समाजवादी पार्टी के पुराने सहयोगी जमीनी नेताओं को टिकट देना शामिल है लेकिन अखिलेश यादव की ओर से कोई रिएक्शन नहीं आया। आपकों बता दे चाचा शिवपाल अपने कुछ करीबी नेताओं को टिकट देने की पैरवी कर रहे है। उनमें ज्यादातर अखिलेश के विरोधी शामिल है। जिसके चलते अखिलेश इन शार्तों पर सहमत नहीं हो रहे है। यहीं वजह है कि शिवपाल यादव औऱ अखिलेश यादव फिलहाल एक मंच पर नहीं आए और चाचा भतीजे ने मुलायम सिंह का जन्मदिन अलग अलग जगह मनाया।
चाचा भतीजे के बीच जारी सियासी वर्चस्व की जंग के चलते अब यादव परिवार एकजुट होते दिखाई नहीं पड़ रहा है। और परिवार के अन्य सदस्यों ने शिवपाल यादव से दूरी बना रखी है।
उत्तरप्रदेश में आगामी विधानसभा चुनावों में वापस होने के लिए अखिलेश हर संभव प्रयास कर रहे है। कुछ समय से चाचा को लेकर अखिलेश के तेवर कुछ नरम होते दिखाई पड़ रहे है। पूर्व सीएम अखिलेश यादव ने सार्वजनिक मंच से कई बार कहा कि चाचा के सम्मान का पूरा ख्याल रखा जाएगा। सत्ता के सियासी मैदान में चाचा हमारे साथ रहेगे। इतना ही नहीं इससे आगे भी अखिलेश ने शिवपाल की करीबी नेताओं को भी समायोजन करने का आश्वासन दिया है।
Created On :   23 Nov 2021 1:09 PM IST