एसडीपीआई ने हिंदू कार्यकर्ता की हत्या के आरोपी को उतारा मैदान में, दक्षिण कन्नड़ में बहस
डिजिटल डेस्क, बेंगलुरू। सोशल डेमोक्रेटिक पार्टी ऑफ इंडिया (एसडीपीआई) ने 10 मई को होने वाले विधानसभा चुनाव में भाजपा युवा मोर्चा के नेता प्रवीण कुमार नेतारू की हत्या के आरोपी इस्माइल शफी बेल्लारे और रियाज फरंगीपेट को सांप्रदायिक रूप से संवेदनशील दक्षिण कन्नड जिले में उम्मीदवार बनााया है। यह जिले में चर्चा का विषय बना हुआ है। दक्षिण कन्नड़ जिले के बेल्लारे में पिछले साल 26 जुलाई की रात को बाइक सवार हमलावरों ने नेतारू (32) की चाकू गोदकर हत्या कर दी थी।
एसडीपीआई आगामी विधानसभा चुनाव में 19 उम्मीदवारों को मैदान में उतार रही है। अल्पसंख्यकों की पार्टी के रूप में पहचानी जाने वाली एसडीपीआई को चार से पांच सीटें जीतने और कर्नाटक विधानसभा में प्रवेश करने की उम्मीद है। सूत्रों के मुताबिक एसडीपीआई पूर्व मंत्री और कांग्रेस के वरिष्ठ नेता यू.टी. खादर को मंगलुरु (उलाल) विधानसभा क्षेत्र में कड़ी टक्कर दे सकती है। पार्टी आंदोलनकारी राजनीति पर जोर देती रही है।
एसडीपीआई के राष्ट्रीय सचिव रियाज फरंगीपेट ने आईएएनएस से बात करते हुए कहा कि उनकी पार्टी न केवल चुनाव के दौरान सक्रिय रहती है, बल्कि साल भर वह देश में में किसी न किसी मुद्दे पर लोगों का प्रतिनिधित्व करती है। उन्होंने कहा, सत्ता में नहीं होने के बावजूद एसडीपीआई यह सुनिश्चित करती है कि सरकार की योजनाएं गरीबों तक पहुंचे।
उन्होंने कहा, अन्य राजनीतिक दल जिन्होंने ऑनलाइन सहायता केंद्र खोले हैं, वे अपनी सेवाओं के लिए पैसा वसूल रहे हैं, लेकिन एसडीपीआई इसे मुफ्त में कर रहा है। मैंगलुरु (उलाल) विधानसभा क्षेत्र से चुनाव लड़ रहे फरंगीपेट ने कहा, हम सत्ता के भूखे नहीं हैं। हम सत्ता का हिस्सा बनना चाहते हैं। इसलिए हम केवल उन निर्वाचन क्षेत्रों पर ध्यान केंद्रित कर रहे हैं, जहां हम जीत सकते हैं।
नेतारू की हत्या के मामले में जेल में बंद इस्माइल शफी बेल्लारे पुत्तूर विधानसभा सीट से चुनाव लड़ रहे हैं। हत्या के आरोपी उम्मीदवार को मैदान में उतारने के एसडीपीआई के फैसले ने राष्ट्रीय सुर्खियां बटोरीं। यहां तक कि फरंगीपेट पर भी देशद्रोह के आरोप लगे हैं और उनकी गतिविधियों पर राष्ट्रीय जांच एजेंसी (एनआईए) की कड़ी नजर है।
सूत्रों के मुताबिक, कांग्रेस से मेंगलुरु सीट छीनने के लिए एसडीपीआई ने फरंगीपेट के रूप में एक दुर्जेय उम्मीदवार को मैदान में उतारा है। यह सीट कांग्रेस का गढ़ मानी जाती है।
फरंगीपेट पर 12 जुलाई, 2022 को बिहार के फुलवारीशरीफ क्षेत्र में प्रधान मंत्री नरेंद्र मोदी पर हमला करने की साजिश रचने का आरोप लगाया गया था। जांच में कथित तौर पर आरोपी व्यक्तियों के साथ उसके संबंध का पता चला था। एनआईए ने भी फरंगीपेट के खिलाफ प्राथमिकी दर्ज की थी।
उसके खिलाफ दक्षिण कन्नड़ जिले के बेलथांगडी, मंगलुरु दक्षिण, कोनाजे और मंगलुरु उत्तर में अन्य मामले भी दर्ज हैं। उन पर समूहों के बीच दुश्मनी पैदा करने और पुलिसकर्मियों की ड्यूटी में बाधा डालने के आरोप हैं।
फरंगीपेट ने मंगलुरु निर्वाचन क्षेत्र के लिए अपना नामांकन दाखिल करने के लिए एक विशाल रैली निकाली थी। सूत्रों ने कहा कि हिजाब विवाद और मुस्लिम व्यापारियों के बहिष्कार के आह्वान के मद्देनजर एसडीपीआई आक्रामक रूप से कांग्रेस उम्मीदवार खादर के खिलाफ प्रचार कर रही है।
खादर इस निर्वाचन क्षेत्र से 2008 के बाद से तीन बार भाजपा उम्मीदवारों को हराकर जीते हैं। 2018 में खादर ने बीजेपी के संतोष कुमार राय बोलियारू को 19,000 से ज्यादा वोटों से हराया था. बीजेपी ने 1994 से 2004 के बीच लगातार तीन बार इस सीट पर जीत दर्ज की थी।
एक प्रगतिशील नेता के रूप में पहचाने जाने वाले खादर को इस बार मुस्लिम बहुल निर्वाचन क्षेत्र में एसडीपीआई से कड़ी टक्कर मिल रही है। यह एकमात्र निर्वाचन क्षेत्र था, जिसे कांग्रेस ने 2018 में दक्षिण कन्नड़ जिले में जीता था, अन्य सभी सीटों पर भाजपा का कब्जा था।
उनके खिलाफ देशद्रोह के आरोपों पर प्रतिक्रिया देते हुए फरंगीपेट ने कहा, बड़े आंदोलन करने वाले लोगों के खिलाफ हमेशा मामले दर्ज किए जाते हैं। हम आईपीएस अधिकारी संजीव भट को जेल जाते हुए देख सकते हैं। हमारे प्रधान मंत्री और मुख्यमंत्री जेल गए हैं। मैं मामले में लड़ूंगा। मेरे खिलाफ कोर्ट में केस है।
नेतारे हत्याकांड के आरोपी शफी बेल्लारे के बारे में पूछे जाने पर उसने कहा कि उनकी गिरफ्तारी पूर्व नियोजित थी। उन्होंने दावा किया कि बेल्लारे और उनके भाई इकबाल बेल्लारे को संघ परिवार के दबाव में गिरफ्तार किया गया है। फरंगीपेट ने कहा, हम अदालत में उनकी गिरफ्तारी पर सवाल उठाएंगे।
नेट्टारे की हत्या से पहले स्क्रीनिंग कमेटी की बैठक में बेल्लारे को एसडीपीआई उम्मीदवार के रूप में चुना गया था, लेकिन घोषणा लंबित थी, फरंगीपेट ने दावा किया कि जेल से चुनाव लड़ना भारत में कोई नई बात नहीं है। फरंगीपेट ने कहा, एसडीपीआई ने अपना खुद का वोट बैंक बनाया है। अगर बेल्लारे चुने जाते हैं, तो वह शोषितों और दलितों की आवाज बनेंगे, अन्यथा वह अपने सामाजिक कार्यों को जारी रखेंगे।
(आईएएनएस)
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Created On :   23 April 2023 6:00 AM GMT