विधानसभा में धर्मातरण विरोधी विधेयक पेश करने पर एसडीपीआई ने की भाजपा की निंदा
- संविधान की मूल भावना के खिलाफ है विधेयक
डिजिटल डेस्क, बेंगलुरू। कर्नाटक में भारतीय जनता पार्टी नीत राज्य सरकार के विधानसभा में धर्मातरण विरोधी विधेयक पेश किए जाने को संविधान विरोधी, निरंकुश और तानाशाही भरा कदम बताते हुए सोशल डेमोक्रेटिक पार्र्टी (एसडीपीआई) के अध्यक्ष अब्दुल माजिद ने आरोप लगाया है कि ऐसा कर सरकार संविधान की भावना का उल्लंघन कर रही है।
उन्होंने इसे संविधान की मूल भावना के खिलाफ करार देते हुए शुक्रवार को कहा कि राज्य में अब तक ईसाई समुदाय पर हमले की 39 घटनाऐं हो चुकी हैं जिनमें हुबली, कोडागु, मांडया और अन्य हिस्सों में किए गए व्यवधान भी शामिल हैं।
उन्होंेने कहा कि इन हमलों के पीछे हिंदुत्ववादी तत्वों का हाथ है लेकिन भ्रष्ट पुलिस मशीनरी क्रिश्चियन समुदाय के खिलाफ ही मामले दर्ज कर रही है। इस दौरान मुस्लिमों को भी नहीं बख्शा जा रहा है और उन्हें झूठे कानृूनी मुकदमों में फंसाया जा रहा है। पीपुल्स यूनियन फॉर सिविल लिबर्टीज के अनुसार वर्ष 2021 में ईसाई समुदाय के 13 लोगों के खिलाफ धर्मातरण विरोधी कानून के तहत फर्जी मामले दर्ज किए गए थे ।
एसडीपीआई के राज्य सचिव अफार कोडिपिटे ने उनका समर्थन करते हुए कहा कि अगर कोई व्यक्ति दलितों का जबरन धर्मातरण करने के मामले में पकडा़ जाता है तो सरकार उसे तीन से दस वर्ष कैद की सजा सुनाएगी लेकिन अगर कोई सरकार के दलित सशक्तीकरण अभियान पर नजर डाले तो पाएंगें कि यह कुछ भी नहीं हैं। सरकार की रहनुमाई में दलितों पर हमले किए जा रहे हैं और उनके खिलाफ जातिवादी कमेंट किए जा रहे हैंे।
उन्होंने कहा कि इस तरह के हमले कुछ नहीं बल्कि संविधान के अनुच्छेद 25 से 28 तक के प्रावधानों का स्पष्ट उललंघन हैं। यह एक प्रकार से अल्पसंख्यकों का अपमान है और एक तरह से उनके खिलाफ डर, तनाव का माहौल बनाया जा रहा हैं।
एसडीपीआई के राज्य सचिव भास्कर प्रसाद ने बताया कि अगर भारतीय जनता पार्टी अपने हिंदुत्ववादी एजेंडे को थोपना चााहती है तो यह साफ है कि कांग्रेस तथा जनता दल सेक्युलर इसके खिलाफ अपना वोट बैंेक बचाने की राजनीति के तहत ही जा रहे हैं।
(आईएएनएस)
Created On :   7 Jan 2022 7:00 PM IST