सांस्कृतिक होने के साथ क्लाइमेट स्मार्ट सिटी होगी राम की अयोध्या
- अयोध्या की परिकल्पना
डिजिटल डेस्क, लखनऊ। मर्यादा पुरुषोत्तम श्रीराम की नगरी अयोध्या को हर लिहाज से श्रेष्ठ बनाने के प्रयास हो रहे हैं। इसी क्रम में इसे क्लाइमेट स्मार्ट सिटी के रूप में विकसित करने की सरकार तैयारी कर रही है। सौर ऊर्जा से जगमग, अधुनातन और पुरातन का संगम दिखने वाली अयोध्या में पर्यावरण के हितों का भी ध्यान रखा जाएगा।
क्लाइमेट चेंज के प्रभाव से बचने के अयोध्या को जलवायु स्मार्ट सिटी बनाने की कोशिश में लगी सरकार इसमें वन एवं पर्यावरण ऊर्जा समेत अनेक विभागों की मदद से इसे अच्छे से विकसित करेगी।
मौजूदा समय में वहां सरकार के करीब तीन दर्जन विभाग काम पर लगे हैं। इन परियोजनाओं की लागत 25,000 करोड़ रुपए से अधिक है। काम तय समय पर हो इसके लिए वहां के कार्यों की निगरानी के लिए अलग से अयोध्या प्रोजेक्ट्स बनाया गया है। इस डैशबोर्ड के जरिए संबंधित विभाग के नोडल अधिकारी नियमित करीब 200 प्रमुख योजनाओं की निगरानी करते हैं। सौर ऊर्जा से जगमग, अधुनातन और पुरातन का संगम दिखने वाली अयोध्या इकोफ्रेंडली भी हो, इसलिए हाल ही में मुख्यमंत्री ने इसे क्लाइमेट स्मार्ट सिटी के रूप में विकसित करने का भी निर्देश दिया था।
अयोध्या का ऐसा शहर बनाने की मंशा है जहां पर साफ-सुथरी चौड़ी-चौड़ी चमचमाती सड़कों के किनारे पक्के फुटपाथ हों। इनके दोनों किनारों पर भरपूर हरियाली हो। सुनियोजित एवं नियंत्रित यातायात हो। बिना शोर मचाए सड़कों पर फर्राटा भरते इको फ्रेंडली वाहन, सोलर लाइट का अधिकतम प्रयोग, साफ पानी से भरे जलाशय, हर सरकारी कार्यालय और निजी घरों पर वाटर हार्वेस्टिंग की अनिवार्य व्यवस्था हो। शहर जिसमें वायु, ध्वनि और जल प्रदूषण न्यूनतम हो। मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने पिछले दिनों नगर विकास से संबंधित चार विभागों की बैठक में इस बाबत कार्ययोजना तैयार करने के निर्देश दिए।
हाल ही में अयोध्या को लेकर मुख्यमंत्री के समक्ष जिस विजन डॉक्यूमेंट- 2047 का प्रस्तुतिकरण किया गया उसमें ऐसी अयोध्या की परिकल्पना की गई है जो खुद में सक्षम, सुगम्य, भावनात्मक, स्वच्छ, सांस्कृतिक और आयुष्मान हो।
दरअसल देश और दुनियां में राम की जो स्वीकार्यता है उसके मद्देनजर आने वाले समय में पर्यटकों की संख्या में भारी बृद्धि होगी। एक अनुमान के अनुसार 2031 तक यहां आने वाले पर्यटकों की संख्या करीब 7 करोड़ हो जाएगी। यह मौजूदा संख्या से करीब तीन गुना होगी। भव्य राम मंदिर बनने के बाद श्रद्धालुओं की होने वाली भारी भीड़ के लिए मूलभूत सुविधाएं जुटाने के साथ ही यहां प्रदूषण न हो इसके इंतजाम किए जा रहे हैं।
बाबासाहेब भीमराव अम्बेडकर विश्वविद्यालय के पर्यावरण विभाग के प्रोफेसर डॉ. वेंकटेश दत्ता ने बताया कि क्लाइमेट सिटी का कॉन्सेप्ट बहुत पुराना है। लो कार्बन सिटी भी चला था। इसकी शुरूआत लंदन से हुई थी। लो कार्बन सिटी बनाने के पीछे की मंशा थी जितना कार्बन का उत्सर्जन हो उतना ही कार्बन फिक्स हो जाए। कार्बन के उत्सर्जन के श्रोत को न्यूट्रल करने के लिए जंगल की जरूरत होती है। अगर हर शहर में जंगल हो जो कार्बन को सोख ले। क्लाइमेट सिटी में ज्यादा पत्थर न हो। यह तापमान को बढ़ाता है। यह अच्छा प्रयोग है। यह यूरोप में हो चुका है। इसके लिए अलग से साइकिल लेन होना चाहिए। नान मोटराइज्ड ट्रैफिक की व्यवस्था होनी चाहिए। क्लाइमेट सिटी में हरे पेड़ पौधे की मात्रा बहुत होती है। शायद यह भारत में पहली ऐसी सिटी होगी।
वन, पर्यावरण व जंतु उद्यान मंत्री डा. अरुण कुमार सक्सेना का कहना है अयोध्या को सांस्कृतिक और पर्यावरण के अनुकूल विकसित किया जा रहा है। इसमें पर्यावरण के हितों का खासा ध्यान रखा जा रहा है। यहां प्रदूषण न हो इसके इंतजाम किए जा रहे हैं। पूरी अयोध्या को हरा-भरा रखने के लिए यहां पौधारोपण पर भी विशेष ध्यान दिया जाएगा।
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Created On :   11 May 2022 12:00 PM IST