सरकार के साथ किसानों की मीटिंग से पहले राहुल का केंद्र से सवाल, सूट-बूट के साथियों के प्रति सहानुभूति क्यों?
डिजिटल डेस्क, नई दिल्ली। तीन नए कृषि कानूनों के खिलाफ किसानों के आंदोलन का आज 39वां दिन है। किसानों की सोमवार को सरकार के साथ आठवें दौर की बैठक होने वाली है। इस बीच राहुल गांधी ने सरकार पर एक बार फिर निशाना साधा है। राहुल गांधी ने ट्वीट करते हुए कहा, "किसानों को MSP की लीगल गारंटी ना दे पाने वाली मोदी सरकार अपने उद्योगपति साथियों को अनाज के गोदाम चलाने के लिए निश्चित मूल्य दे रही है। सरकारी मंडियां या तो बंद हो रही हैं या अनाज खरीदा नहीं जा रहा। किसानों के प्रति बेपरवाही और सूट-बूट के साथियों के प्रति सहानुभूति क्यूं?"
उधर, कांग्रेस के प्रवक्ता गौरव वल्लभ ने कहा, पिछले 39 दिनों में भाजपा के नेतृत्व वाली सरकार के लिए जो एक शब्द सही है वो है उदासीनता। एक तरफ, किसानों और उनकी मांगों के प्रति संवेदनशीलता की पूरी कमी है और दूसरी तरफ, सरकार के करीबी दोस्त हैं जिनके लिए इनकी पूरी सहानुभूति और आशीर्वाद है। उन्होंने कहा कि जब किसानों के लिए झूठे वादे किए जा रहे थे, तो ये सरकार अपने दोस्तों की जेब भरने के लिए उन्हें ठेके पर ठेके दे रही थी। उन्होंने कहा, यह गंभीर चिंता का विषय है, क्योंकि यह सब तब हो रहा है जब किसान विरोध जारी रखे हुए हैं।
कांग्रेस प्रवक्ता ने आरोप लगाया कि अदाणी एग्री लॉजिस्टिक लिमिटेड (एएएलएल) को खाद्यान्न भंडारण के लिए भारतीय खाद्य निगम (एफसीआई) के साथ एक विशेष सेवा समझौते के तहत ठेका दिया गया है, जबकि एफसीआई ने छत्तीसगढ़ में अभी तक चावल का स्टॉक उठाना शुरू भी नहीं किया है। उन्होंने दावा किया कि केंद्रीय एजेंसी द्वारा खरीफ सीजन के लिए केंद्रीय पूल के तहत 60 लाख मीट्रिक टन चावल खरीदने की पूर्व सूचना के बावजूद, छत्तीसगढ़ को अभी तक अंतिम सहमति नहीं दी गई है।
वल्लभ ने कहा, छत्तीसगढ़ सरकार ने 1 दिसंबर से खरीद शुरू की, और अब तक 12 लाख किसानों से 47 लाख टन खरीफ की खरीदी की है। लेकिन कई बार फोन करने के बावजूद, भारत सरकार की सहमति का इंतजार है। इससे 21.52 लाख किसान प्रभावित हो रहे हैं। अगर सरकार उनके द्वारा पूर्व-निर्धारित मात्रा में खरीद करने के लिए तैयार नहीं है, वो भी तब जब देश में विरोध प्रदर्शन चल रहा हैं, तो हमें सरकार से क्या उम्मीद करनी चाहिए जब यह मामला सुलझ जाएगा।
वल्लभ ने दावा किया कि लोग अब महसूस कर रहे हैं कि केंद्र सरकार केवल सूट-बूट वाले दोस्तों की जेब भरने में ही रुचि रखती है और उन राज्यों से अनाज नहीं खरीद रही है जहां उसके दोस्तों की कोई मौजूदगी नहीं है। क्या एफसीआई ने छत्तीसगढ़ में सिर्फ इसलिए खरीद को रोक दिया, क्योंकि केंद्र सरकार के सूट-बूट वाले मित्र उस राज्य में भंडारण का प्रबंधन नहीं कर रहे हैं? क्या खरीद तभी शुरू होगी जब केंद्र के दोस्तों को भंडारण का नियंत्रण मिल जाएगा? क्या किसान कृषि कानूनों के विरोध करने के लिए कीमत चुका रहे हैं? क्या इसी तरह सरकार खाद्यान्न की सरकारी खरीद के बारे में झूठे वादे करती रहेगी?
Created On :   3 Jan 2021 6:27 PM IST