पृथ्वीराज चौहान राजपूत नहीं थे, गुर्जरों ने फिर किया दावा

डिजिटल डेस्क, जयपुर। बॉलीवुड फिल्म पृथ्वीराज के रिलीज होने से पहले राजस्थान में गुर्जरों ने एक बार फिर दावा किया है कि पृथ्वीराज राजपूत नहीं बल्कि गुर्जर थे। उधर, राजपूतों ने गुर्जरों के इस दावे पर खुली बहस की चुनौती दी है।
पृथ्वीराज 3 जून को रिलीज हो रही है।
अखिल भारतीय वीर गुर्जर महासभा के संयोजक नरेंद्र गुज्जर ने सीबीएसई को एक आरटीआई भेजकर पूछा था कि उनके हिसाब से पृथ्वीराज चौहान कौन थे? उन्होंने जानना चाहा कि सीबीएसई के रिकॉर्ड के मुताबिक वो गुर्जर थे या राजपूत? उन्होंने सीबीएसई से पृथ्वीराज की जाति के बारे में पूछा था।
एक पत्र आईसीएचआर को भी भेजा गया। हालांकि, नरेंद्र गुर्जर ने दावा किया कि उन्हें दोनों में से किसी से भी कोई अच्छा जवाब नहीं मिला।
गुर्जरों के एक समूह के मुताबिक, पृथ्वीराज रासो पिंगल शैली में लिखी गयी है, जो ब्रजभाषा का एक रूप है जिसमें राजस्थानी भी मिली हुई है। इसके रचयिता चांद बरदाई हैं, जो हिन्दी ब्रजभाषा के प्रथम कवि माने जाते हैं। पृथ्वीराज रासो ब्रज भाषा का पहला महाकाव्य है जो लगभग 1400 विक्रम संवत में लिखा गया।
गुर्जर समुदाय के एक सदस्य ने कहा, पृथ्वीराज रासो भाग 1 के आदि पर्व के श्लोक 613 में पृथ्वीराज चौहान के पिता सोमेश्वर को गुर्जर बताया गया है.. जरा सोचिए कि अगर पिता को गुर्जर बताया गया है तो क्या बेटा अलग जाति का होगा?
अखिल भारतीय वीर गुर्जर महासभा के सदस्यों ने कहा, पृथ्वीराज चौहान ने मुहम्मद गोरी को नहीं मारा, पृथ्वीराज को 1193 ईस्वी में मारा गया था और गोरी को 14 मार्च 1206 को खोकर ने मार डाला था। मुहम्मद गोरी का मकबरा पाकिस्तान के सोहावा झेलम में है और उसे वहीं दफनाया गया।
इस बीच, श्री राजपूत करणी सेना के राष्ट्रीय प्रवक्ता वीरेंद्र सिंह कल्याणवत ने कहा: पृथ्वीराज के वंशज अजमेर में रह रहे हैं। उनके पास अपने वंश का पूरा प्रमाण है। भारत में, वंशावली का पता लगाना कठिन नहीं है क्योंकि पीढ़ियों के पुराने रिकॉर्ड गया, हरिद्वार और पुष्कर में संरक्षित हैं। यहां तक कि सरकारें भी उन्हें वैध रिकॉर्ड के रूप में मानती हैं।
उन्होंने पृथ्वीराज पर संदेह करने वाले सभी लोगों को खुली बहस की चुनौती दी और कहा: कम से कम लोगों को पता चल जाएगा कि आपका इतिहास क्या है।
कल्याणवत ने कहा: गुज्जर शब्द गौचर से आया है और ये वे लोग थे जो सिंधु घाटी में रहते थे। यह उसी तरह है जैसे राजपूत शब्द राजपूताना से आया है और जाति के अनुसार हम क्षत्रिय हैं।
इस बीच अखिल भारतीय वीर गुर्जर महासभा के सदस्यों ने 20 मई को जयपुर में प्रेस कांफ्रेंस बुलाई है, जिसे इतिहासकार डॉ जितेश गुर्जर, नरेंद्र गुर्जर और आचार्य वीरेंद्र विक्रम संबोधित करेंगे। इस प्रेस कांफ्रेंस में वो पृथ्वीराज चौहान के गुर्जर होने का प्रमाण देंगे।
हालांकि, गुर्जर समुदाय के अन्य समूहों ने इन दावों को खारिज कर दिया है।
गुर्जर समुदाय के एक वरिष्ठ सदस्य ने नाम न छापने की शर्त पर कहा कि यह मुद्दा जल्द ही समाप्त हो जाएगा।
डिस्क्लेमरः यह आईएएनएस न्यूज फीड से सीधे पब्लिश हुई खबर है. इसके साथ bhaskarhindi.com की टीम ने किसी तरह की कोई एडिटिंग नहीं की है. ऐसे में संबंधित खबर को लेकर कोई भी जिम्मेदारी न्यूज एजेंसी की ही होगी.
Created On :   17 May 2022 8:00 PM IST