राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू ने धर्म धम्म सम्मेलन का किया उद्धाटन , कार्यक्रम के दौरान सीएम शिवराज ने कही ये बातें

डिजिटल डेस्क, भोपाल। मध्य प्रदेश की राजधानी भोपाल में राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू ने कुशाभाऊ ठाकरे सभागार में हो रहे 7वें अंतर्राष्ट्रीय धर्म धम्म सम्मेलन-2023 का उद्घाटन किया। इस मौके पर प्रदेश के मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान भी वहां पर मौजूद रहे। उन्होंने कहा कि मुझे खुशी है कि धर्म धम्म सम्मेलन का आयोजन भोपाल के सांची बौद्ध भारतीय ज्ञान विश्वविद्यालय में किया जा रहा है। साथ ही सीएम ने विश्वविद्यालय द्वारा प्रांरभ किए गए बौद्ध और भारतीय ज्ञान अध्ययन के सफलताओं पर खुशी जाहिर की।
बता दें कि, नए युग में मानववाद के सिद्धांत पर केंद्रित यह सम्मेलन 5 मार्च तक चलेगा। सम्मेलन के पहले दिन संस्कृति मंत्री उषा ठाकुर और सांची बौद्ध भारतीय ज्ञान अध्ययन विश्वविद्यालय के कुलपति डॉ नीरज गुप्ता भी शामिल रहे। मुख्यमंत्री चौहान ने कहा कि आज भी भारत के गांवों में बच्चा-बच्चा हर धार्मिक आयोजन में उद्घोष करता है कि धर्म की जय हो, अधर्म का नाश हो, प्राणियों में सद्भावना हो और विश्व का कल्याण हो, सभी में एक ही भाव है और एक ही चेतना है। हम सभी ने पशुओं में, पक्षियों में, कीट पतंगों में उसी एक आत्मा को देखा है। हमने नदियों की भी पूजा की और उन्हें मां माना। हमने पेडों की भी पूजा की।
धर्म और धम्म के तीन सिद्धांत
सम्मेलन के दौरान सीएम शिवराज ने कहा कि पीपल और वट वृक्षों में भी वही चेतना है, जो एक मानव में है। जिसके बाद उन्होंने कहा कि धर्म और धम्म का पहला सिद्धांत है, सभी जीवों के साथ दया और सम्मान का व्यवहार करना। दूसरा सिद्धांत ज्ञान और बोध है। तीसरा, आंतरिक शांति, निर्विकार भाव विकसित करना है।
सम्मेलन संबोधन के दौरान राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू ने कहा, महर्षि पतंजलि, गुरु नानक, भगवान बुद्ध ने दुख से निकलने के मार्ग बताएं हैं। मानवता के दुख के कारण का बोध करना और इस दुख को दूर करने का मार्ग दिखाना पूर्व के मानववाद की विशेषताएं रही है। यह सभी चीजें आज के युग में और अधिक महत्वपूर्ण हो गई हैं।
राष्ट्रपति मुर्मू ने कही ये बातें
राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू ने आगे कहा कि धर्म की आधारशिला पर ही आज की पूरी मानवता टिकी हुई है। राग द्वेष से मुक्त होकर मैत्री, करुणा और अहिंसा की भावना से व्यक्ति और समाज का विकास करना, पूर्व के मानववाद का प्रमुख संदेश रहा है। राष्ट्रपति मुर्मू ने कहा कि आजादी मिलने के बाद देशवासियों ने लोकतांत्रिक व्यवस्था को अपनाई उस पर धर्म धम्म का भी गहरा प्रभाव पड़ा है। वहीं हमारे राष्ट्रीय प्रतीक चिह्न को सारनाथ के अशोक स्तंभ से लिया है। राष्ट्रीय ध्वज में भी धर्म चक्र सुशोभित है। महर्षि पतंजलि ने अष्टांग योग की पद्धति स्थापित की। भगवान बुद्ध ने अष्टांगिक मार्ग प्रदर्शित किया। गुरु नानक देव जी ने नाम सिमरन का रास्ता सुझाया, जिसके लिए कहा जाता है- नानक नाम जहाज है, चढ़े सो उतरे पार।
Created On :   3 March 2023 8:46 PM IST