वर्षात साक्षात्कार : शिक्षक भर्ती का घोटाला बंगाल की शिक्षा प्रणाली को कमजोर करने की चाल : माकपा सांसद

Pranash interview: Teacher recruitment scam a ploy to weaken Bengals education system: CPI(M) MP
वर्षात साक्षात्कार : शिक्षक भर्ती का घोटाला बंगाल की शिक्षा प्रणाली को कमजोर करने की चाल : माकपा सांसद
पश्चिम बंगाल सियासत वर्षात साक्षात्कार : शिक्षक भर्ती का घोटाला बंगाल की शिक्षा प्रणाली को कमजोर करने की चाल : माकपा सांसद

डिजिटल डेस्क, कोलकाता। पश्चिम बंगाल में करोड़ों रुपये के शिक्षक भर्ती घोटाले में अदालत की निगरानी में चल रही केंद्रीय एजेंसियों की जांच इस समय सबसे ज्वलंत मुद्दा है। अब सभी की निगाहें कलकत्ता हाईकोर्ट पर टिकी हैं, जो इस मामले में काफी सक्रिय हो गया है, वह न केवल सत्तारूढ़ तृणमूल कांग्रेस सरकार की असुविधाओं को बढ़ाने वाले निर्देश पारित कर रहा है और टिप्पणियां दे रहा है, बल्कि केंद्रीय एजेंसियों पर समय-समय पर दबाव डालकर जांच में तेजी लाने के लिए भी कह रहा है।

वरिष्ठ अधिवक्ता और मार्क्‍सवादी कम्युनिस्ट पार्टी (माकपा) के राज्यसभा सदस्य विकास रंजन भट्टाचार्य ने आईएएनएस के साथ एक विशेष साक्षात्कार में घोटाले की व्याख्या की। वह अदालत में वंचित वर्ग के याचिकाकर्ताओं का प्रतिनिधित्व भी कर रहे हैं।

पेश हैं इंटरव्यू के अंश :

आईएएनएस : शिक्षक भर्ती घोटाले की केंद्रीय एजेंसी से जांच अहम चरण में है। आपको क्या लगता है कि आने वाले वर्ष में मामला कैसे आगे बढ़ेगा?

भट्टाचार्य : आपके प्रश्न का उत्तर देने से पहले मैं घोटाले की पृष्ठभूमि पर कुछ प्रकाश डालना चाहूंगा।

एक विशेष राजनीतिक दल के प्रतिनिधि के साथ-साथ एक कानूनी पेशेवर के रूप में जैसा कि मैं इसे देखता हूं, यह पूरा घोटाला राज्य की वर्तमान सत्ताधारी पार्टी के उद्देश्य से शुरू हुआ, जो राज्य द्वारा संचालित शिक्षा प्रणाली को पूरी तरह से कमजोर करने और क्षेत्र में निजी खिलाड़ियों के एकाधिकार को सुगम बनाने के लिए था। साल 2011 में जब तृणमूल कांग्रेस पश्चिम बंगाल में सत्ता में आई, तभी से वह शिक्षा क्षेत्र में निजी खिलाड़ियों को सुविधा देने के लिए बहुत उत्सुक रही है। ऐसा करने के लिए सबसे अच्छा तरीका है, राज्य द्वारा संचालित शिक्षा प्रणाली को कमजोर किया जाए। पार्टी नेतृत्व के उस विशेष प्रयास ने वास्तव में उसके नेताओं को दिखा दिया कि कैसे अपनी जेब भरने के लिए व्यवस्था का शोषण किया जाता है और यही साजिश इस घोटाले की जड़ थी।

जो लोग पहले से ही घोटाले में अपनी कथित संलिप्तता के लिए सलाखों के पीछे हैं, वे पूरे विवाद में सिर्फ कठपुतली हैं, कुछ लोग ऊपर से उनका डोर खींच रहे हैं।

राज्य द्वारा संचालित शिक्षा प्रणाली को कमजोर और बर्बाद करके शिक्षा क्षेत्र में निजी खिलाड़ियों को सुविधा देने के मुद्दे पर भाजपा के नेतृत्व वाली केंद्र सरकार और तृणमूल शासित पश्चिम बंगाल सरकार, दोनों की रणनीतियां एक जैसी हैं।

आईएएनएस : आप मामले की प्रगति को कैसे देखते हैं?

भट्टाचार्य : मेरी राय में, भले ही जांच अपने अंतिम निष्कर्ष पर न पहुंचे, केंद्रीय एजेंसी की जांच अगले साल और अधिक नाटकीय चरण में पहुंच जाएगी, तब अधिक बड़े लोग सलाखों के पीछे जाएंगे और केंद्रीय एजेंसी घोटाले के मुख्य मास्टरमाइंड और लाभार्थियों के करीब पहुंच जाएगी।

ऐसा इसलिए हो रहा है, क्योंकि अदालत लगातार जांच प्रक्रिया की निगरानी कर रही है और समय-समय पर एजेंसी के अधिकारियों पर जांच की गति तेज करने का दबाव बना रही है और जरूरत पड़ने पर जांच अधिकारियों को बदल भी सकती है।

चिट फंड घोटालों की जांच में केंद्रीय एजेंसियों पर अदालत का यह दबाव होता तो उन मामलों में भी और प्रगति होती।

दूसरे, जैसा कि मैं इस मामले में अदालत के मौजूदा दृष्टिकोण को देखता हूं, पश्चिम बंगाल स्कूल सेवा आयोग द्वारा अवैध रूप से नियुक्त शिक्षकों और गैर-शिक्षण कर्मचारियों की सेवाओं की समाप्ति अगले वर्ष की शुरुआत तक अपरिहार्य हो गई है।

एक बार ऐसा होता है, तो तृणमूल कांग्रेस वास्तविक संकट में आ जाएगी, क्योंकि हजारों उम्मीदवार और उनके परिवार के सदस्य पैसे वापस करने की मांग को लेकर सत्तारूढ़ दल के नेताओं के पीछे पड़ जाएंगे। हालांकि, तृणमूल कांग्रेस और भाजपा के बीच संभावित सुलह की आशंका है। यह कहां तक होगा, यह तो समय ही बता सकता है।

आईएएनएस : महंगाई भत्ता बकाया से जुड़े मामले की सुनवाई सुप्रीम कोर्ट में लंबित है। आप मामले को कहां जाते हुए देखते हैं?

भट्टाचार्य : इस मामले पर राज्य सरकार सिर्फ देरी की रणनीति अपना रही है, यह अच्छी तरह से जानते हुए कि वह पहले से ही हारी हुई लड़ाई लड़ रही है, जैसा कि कलकत्ता हाईकोर्ट के पहले के आदेशों से स्पष्ट है, जिसमें कहा गया था कि महंगाई भत्ता कर्मचारी का अधिकार है, दान नहीं।

राज्य सरकार भुगतान प्रक्रिया को कुछ समय के लिए स्थगित कर सकती है, लेकिन अंतत: वह इससे पूरी तरह नहीं बच पाएगी। राज्य सरकार डीए बकाया भुगतान में देरी का बहाना बनाकर अपने खजाने पर बोझ का हवाला दे रही है। लेकिन त्योहारों, मेलों और सामुदायिक दुर्गा पूजा आयोजकों को दान देने पर फालतू खर्च करने से पहले इसे महसूस करना चाहिए था।

आईएएनएस : अगले साल पंचायत चुनाव होने हैं। आपको क्या लगता है कि स्वतंत्र और निष्पक्ष चुनाव सुनिश्चित करने में अदालत की क्या भूमिका हो सकती है?

भट्टाचार्य : सच कहूं, तो मुझे इस मामले में अदालत की ज्यादा भूमिका नहीं दिख रही है, हालांकि चुनाव से पहले और बाद में किसी भी अनियमितता के खिलाफ कानूनी मुकदमे दायर किए जाते रहेंगे। मतदान से पहले और मतदान के दिन तृणमूल कांग्रेस के हमले के खिलाफ वास्तविक लड़ाई सत्ताधारी पार्टी के गुंडों द्वारा हिंसा के खिलाफ संगठित सार्वजनिक प्रतिरोध के जरिए जमीन पर होनी है।

(आईएएनएस)

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Created On :   30 Dec 2022 12:00 AM IST

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