जैविक बाजार का दोहन करने के लिए प्राकृतिक खेती को प्रोत्साहित करें: पीएम मोदी
- विश्वविद्यालय 500-1000 किसानों को प्राकृतिक खेती की सुविधा प्रदान करने का लक्ष्य रख सकते हैं
डिजिटल डेस्क,नई दिल्ली। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने गुरुवार को कहा कि जैविक बाजार का दोहन करने के लिए प्राकृतिक खेती को बढ़ाया जा सकता है और यह भी सुझाव दिया कि जागरूकता फैलाने और भारतीय बाजरा (मिलेट्स) को लोकप्रिय बनाने के लिए यह आवश्यक है।
मोदी ने कृषि क्षेत्र में केंद्रीय बजट 2022 के सकारात्मक प्रभाव पर एक वेबिनार को संबोधित किया। उन्होंने उन तरीकों पर चर्चा की जिनसे बजट कृषि क्षेत्र को मजबूत करने में योगदान मिलेगा।
मोदी ने कहा, जैविक खेती को प्रोत्साहन देने से जैविक उत्पादों का बाजार 11000 करोड़ तक पहुंच गया है, निर्यात 6 साल पहले के 2000 करोड़ रुपये से बढ़कर अब 7000 करोड़ रुपये से अधिक हो गया है।
उन्होंने कहा, अधिक से अधिक लोग पर्यावरण के अनुकूल जीवन शैली अपना रहे हैं, जिसके कारण जैविक उत्पादों की मांग बढ़ी है और भारत को प्राकृतिक खेती को प्रोत्साहित करके लगातार बढ़ते बाजार में प्रवेश करना चाहिए।
बजट के जिन सात बिंदुओं पर उन्होंने प्रकाश डाला, उनमें से पहला था गंगा के किनारे दोनों किनारों पर पांच किमी तक प्राकृतिक खेती।
मोदी ने कृषि विज्ञान केंद्रों (केवीके) से प्राकृतिक खेती को बढ़ावा देने के लिए एक-एक गांव गोद लेकर प्राकृतिक खेती के प्रति जागरूकता पैदा करने का आग्रह किया। इसके अलावा सलाह दी कि जबकि कृषि विश्वविद्यालय 500-1000 किसानों को प्राकृतिक खेती की सुविधा प्रदान करने का लक्ष्य रख सकते हैं।
प्रधानमंत्री ने कहा, साल 2023 इंटरनेशनल ईयर ऑफ मिलेट्स है। इसमें भी हमारा कॉर्पोरेट जगत आगे आए, भारत के मिलेट्स की ब्रैंडिंग करे, प्रचार करे। उन्होंने यह भी कहा कि हमारे दूसरे देशों में जो बड़े मिशन्स हैं वो भी अपने देशों में बड़े-बड़े सेमीनार करे, वहां के लोगों को जागरूक करे कि भारत के मिलेट्स कितने उत्तम हैं।
प्रधानमंत्री ने कृषि अवशेष यानी पराली के प्रबंधन पर जोर दिया। उन्होंने कहा, इसके लिए इस बजट में कुछ नए उपाय किए गए हैं, जिससे कार्बन उत्सर्जन कम होगा और किसानों की आय भी बढ़ेगी। उन्होंने पैकेजिंग के लिए पराली का उपयोग करने के तरीकों का पता लगाने के लिए भी कहा।
पीएम मोदी ने यह भी कहा कि अनाज की तरह, भारत में प्राकृतिक फलों के रस के कई विकल्प हैं और विदेशों की नकल करने के बजाय, भारत को भारतीय प्राकृतिक फलों के रस को बढ़ावा देने की जरूरत है।
(आईएएनएस)
Created On :   24 Feb 2022 10:00 PM IST