पहाड़ी समुदाय जम्मू-कश्मीर में अनुसूचित जनजाति के दर्जे पर फैसले से खुश
- भाषा और साहित्य के प्रचार और विकास
डिजिटल डेस्क, जम्मू। भारत के महापंजीयक (आरजीआई) और राष्ट्रीय अनुसूचित जनजाति आयोग (एनसीएसटी) ने अनुसूचित जनजाति (एसटी) श्रेणी में जनजाति को शामिल करने के लिए तीन सदस्यीय पिछड़ा वर्ग आयोग की सिफारिशों पर मुहर लगाने के बाद जम्मू-कश्मीर में पहाड़ी जनजाति खुशी से झूम उठी है।
पहाड़ी नेतृत्व के मुताबिक उन्हें पूरा यकीन है कि मौजूदा सरकार गरीब और मध्यम वर्ग के लोगों के लिए है। आज तक एसटी श्रेणी में पहाड़ियों को शामिल करने की फाइल भारत के महापंजीयक और राष्ट्रीय अनुसूचित जनजाति आयोग के संस्थानों से आगे नहीं बढ़ पाई, लेकिन अब फाइल पर इन संस्थाओं की मुहर लगने से लंबित मांग पूरी होती नजर आ रही है।
केंद्रीय गृहमंत्री अमित शाह ने भी अपने हालिया कश्मीर दौरे के दौरान स्पष्ट किया था कि बहुत जल्द पहाड़ी जनजाति के साथ न्याय होगा। विभाजन के शिकार पहाड़ी जनजाति को न्याय दिलाने के लिए ऑल जम्मू एंड कश्मीर पहाड़ी कल्चरल एंड वेलफेयर फोरम के प्रयास अब रंग ला रहे हैं। इस बैनर तले सत्तर के दशक में एक आंदोलन शुरू हुआ जिसके कारण श्रीनगर के ऑल इंडिया रेडियो स्टेशन से पहाड़ी कार्यक्रम का प्रसारण किया गया, पहाड़ी कार्यक्रम लश्कारा का प्रसारण श्रीनगर के दूरदर्शन केंद्र से किया गया था।
अलग से भाषा और साहित्य के प्रचार और विकास के लिए एक विभाग की स्थापना, जनजाति के विकास के लिए जम्मू और कश्मीर पहाड़ी सलाहकार बोर्ड का गठन, नौ से अधिक पहाड़ी छात्रावासों की स्थापना, पहाड़ी जनजाति के छात्रों के लिए छात्रवृत्ति, जम्मू और कश्मीर में एसटी का दर्जा दिए जाने तक 4 प्रतिशत आरक्षण आदि ने भी समुदाय की मदद की। पहाड़ी लोगों के अनुसार जनजाति के लिए एसटी का दर्जा एक बड़ी सफलता है, जिसका श्रेय प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को जाता है।
जनजाति के एक प्रमुख नेता अब्दुल मजीद जिंदादिल ने केंद्र सरकार को धन्यवाद देते हुए कहा कि इस ऐतिहासिक कदम के साथ, उन्हें विश्वास है कि प्रधानमंत्री मोदी समाज में निम्न और मध्यम वर्ग के लोगों के कल्याण के अपने वादे को निभा रहे हैं। उन्होंने कहा, पहाड़ी जनजाति के साथ न्याय हुआ है, जो लंबे समय से पीड़ित थे। और यह प्रधानमंत्री मोदी की वजह से संभव हुआ है।
आईएएनएस
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Created On :   4 Nov 2022 11:30 PM IST