न्यायिक बुनियादी ढांचे की कमी पर सीजेआई ने कहा- सरकार से सकारात्मक प्रतिक्रिया की उम्मीद

On the lack of judicial infrastructure, the CJI said - expect a positive response from the government
न्यायिक बुनियादी ढांचे की कमी पर सीजेआई ने कहा- सरकार से सकारात्मक प्रतिक्रिया की उम्मीद
प्रयास न्यायिक बुनियादी ढांचे की कमी पर सीजेआई ने कहा- सरकार से सकारात्मक प्रतिक्रिया की उम्मीद
हाईलाइट
  • कार्यक्रम में दिल्ली उच्च न्यायालय के मुख्य न्यायाधीश डी. एन. पटेल भी मौजूद थे

डिजिटल डेस्क, नई दिल्ली। प्रधान न्यायाधीश एन. वी. रमना ने शनिवार को कहा कि देश में न्यायिक ढांचे में सुधार के लिए केवल धन का आवंटन पर्याप्त नहीं है।

न्यायमूर्ति रमना ने कहा कि वह सकारात्मक प्रतिक्रिया की उम्मीद कर रहे हैं, क्योंकि वह केंद्र और राज्यों दोनों में वैधानिक प्राधिकरण स्थापित कराने का प्रयास कर रहे हैं।

प्रधान न्यायाधीश दिल्ली उच्च न्यायालय द्वारा आयोजित बौद्धिक संपदा अधिकार विवाद पर राष्ट्रीय संगोष्ठी में बोल रहे थे। खास बात यह है कि उन्होंने यह टिप्पणी ऐसे समय पर की, जब वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण भी कार्यक्रम में उपस्थित थीं।

इस दौरान प्रधान न्यायाधीश ने कहा, न्यायिक बुनियादी ढांचे में सुधार की जरूरत है। दुर्भाग्य से, हम इस क्षेत्र में बुनियादी न्यूनतम मानकों को भी पूरा नहीं कर रहे हैं। भारत के प्रधान न्यायाधीश का पद संभालने के बाद से मेरा यह प्रयास रहा है कि न्यायिक बुनियादी ढांचे में सुधार और समन्वय के लिए एक संस्थागत तंत्र स्थापित किया जाए।

इस कार्यक्रम में दिल्ली उच्च न्यायालय के मुख्य न्यायाधीश डी. एन. पटेल भी मौजूद थे।

प्रधान न्यायाधीश ने कहा, केवल धन का आवंटन पर्याप्त नहीं है। चुनौती उपलब्ध संसाधनों को इष्टतम उपयोग में लाने की है। मैं सरकार की ओर से केंद्र और राज्यों दोनों में वैधानिक प्राधिकरण स्थापित कराने के लिए प्रयास कर रहा हूं। मुझे उम्मीद है कि जल्द ही सकारात्मक प्रतिक्रिया मिलेगी।

न्यायमूर्ति रमना ने मुख्य न्यायाधीश दिल्ली उच्च न्यायालय और उनके सभी साथी न्यायाधीशों को बौद्धिक संपदा प्रभाग की स्थापना पर बधाई दी। उन्होंने इस बात पर जोर दिया कि बौद्धिक संपदा अधिकारों के दावों का न्याय करते समय, न्यायाधीशों को समकालीन दावों को भावी पीढ़ियों के स्थायी हितों के साथ संतुलित करना चाहिए।

न्यायमूर्ति रमना ने कहा कि उच्च न्यायालय में बौद्धिक संपदा अधिकार क्षेत्राधिकार का अधिकार ऐसे समय में आया है, जब न्यायपालिका पहले से ही बैकलॉग (पिछला बचा शेष कार्य) के बोझ से दबी है। उन्होंने कहा, हालांकि, यह हमें इस अवसर पर उठने और नई व्यवस्था से निपटने के लिए आवश्यक प्रणालियों को स्थापित करने से नहीं रोकेगा।

न्यायमूर्ति रमना ने कहा, यह हमारे उच्च न्यायालयों में पर्याप्त क्षमता का निर्माण करने के लिए एक उपयुक्त क्षण है, ताकि बौद्धिक संपदा मुकदमे को कुशलतापूर्वक और सुचारू रूप से संचालित किया जा सके। इस संदर्भ में आज आयोजित संगोष्ठी महत्वपूर्ण वाली है।

उन्होंने आगे कहा, जब मैं आईपीआर पर एक सम्मेलन में भाग लेने के लिए 2016 में जापान गया था, तो मुझे उद्यमियों द्वारा बार-बार पूछा गया था कि भारतीय न्यायिक प्रणाली निवेशकों के अनुकूल कैसे है। वास्तव में, जब भी मैं विदेश यात्रा करता हूं, मेजबानों के एक क्रॉस सेक्शन से, मुझे इसी तरह के प्रश्न मिलते रहते हैं।

मेरा उत्तर हमेशा एक ही रहा है कि भारतीय न्यायपालिका पूरी तरह से स्वतंत्र है और यह हमेशा सभी पक्षों के साथ समान व्यवहार करती है।

(आईएएनएस)

Created On :   26 Feb 2022 9:01 PM IST

Tags

और पढ़ेंकम पढ़ें
Next Story