निराधार आरोपों से कमजोर होता है लोकतंत्र, सुनियोजित तरीके से सदन को बाधित करना उचित नहीं

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ओम बिरला निराधार आरोपों से कमजोर होता है लोकतंत्र, सुनियोजित तरीके से सदन को बाधित करना उचित नहीं

डिजिटल डेस्क, गांधीनगर/नई दिल्ली। संसद के बजट सत्र का पहला चरण समाप्त हो चुका है और दोनों सदनों की कार्यवाही इसी सोमवार को अगले महीने, 13 मार्च तक स्थगित किया जा चुका है, लेकिन अडानी और राहुल गांधी के भाषण को लेकर जारी विशेषाधिकार हनन के नोटिस पर सदन में हुए हंगामे का विवाद फिलहाल थमता नजर नहीं आ रहा है।

बुधवार को लोक सभा अध्यक्ष ओम बिरला ने एक बार फिर से विपक्षी दलों को तीखे शब्दों में नसीहत देते हुए कहा कि निराधार आरोपों से लोकतंत्र कमजोर होता है और सुनियोजित तरीके से सदन की कार्यवाही में बाधा डालना लोकतंत्र के लिए उचित नहीं है।

बिरला ने आज गांधीनगर में गुजरात विधान सभा के सदस्यों के लिए आयोजित प्रबोधन कार्यक्रम का उद्घाटन करते हुए कहा कि, विपक्ष की भूमिका सकारात्मक, रचनात्मक और शासन में जवाबदेही सुनिश्चित करने वाली होनी चाहिए। लेकिन जिस तरह सुनियोजित तरीके से सदनों की कार्यवाही में बाधा डालकर सदनों का कार्य स्थगित करने की परंपरा डाली जा रही है, वह लोकतंत्र के लिए उचित नहीं है।

इसके साथ ही लोक सभा अध्यक्ष ने सदन के अंदर निराधार आरोप लगाने की आदत पर कड़ी टिप्पणी करते हुए कहा, सदस्यों को अपनी बात तथ्यों के साथ रखनी चाहिए। निराधार आरोपों पर आधारित तर्क लोकतंत्र को कमजोर करते हैं।

गुजरात के विधायकों को संबोधित करते हुए बिरला ने आगे कहा कि विधान सभाओं में चर्चा के स्तर में गिरावट चिंता का विषय है। नारे लगाकर और कार्यवाही में बाधा डालकर कोई भी श्रेष्ठ विधायक नहीं बन सकता है।

गुजरात के मुख्यमंत्री भूपेंद्र पटेल, गुजरात विधान सभा के अध्यक्ष शंकर चौधरी और कई अन्य गणमान्य व्यक्तियों की मौजूदगी में बिरला ने आगे कहा कि जनप्रतिनिधि होने के नाते उन पर मतदाताओं की समस्याओं के समाधान की बड़ी जिम्मेदारी है। इसलिए विधानमंडलों में चर्चा और संवाद होना चाहिए और चर्चा का स्तर उच्चतम स्तर का होना चाहिए। उन्होंने जोर देते हुए कहा कि राज्य विधान सभाओं में चर्चा और संवाद का स्तर जितना ऊंचा होगा, कानून उतने ही बेहतर बनेंगे। सदन में सार्थक चर्चा करने के लिए यह आवश्यक है कि सदस्यों को नियमों और प्रक्रियाओं की जानकारी हो। सदन में चर्चा, वाद-विवाद, असहमति हो, लेकिन सदन में गतिरोध कभी नहीं होना चाहिए।इसलिए सदन को चर्चा और संवाद का एक प्रभावी केंद्र बनना चाहिए ताकि हमारा लोकतंत्र मजबूत बने । पीठासीन अधिकारियों की भूमिका का उल्लेख करते हुए बिरला ने कहा कि पीठासीन अधिकारी का यह दायित्व है कि वह सदन की गरिमा बढ़ाने की दिशा में कार्य करें। सदनों में चर्चा के स्तर में गिरावट और सदन की गरिमा में गिरावट हमारे लिए चिंता का विषय है।

(आईएएनएस)

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Created On :   15 Feb 2023 4:30 PM IST

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