नोएडा अथॉरिटी बोर्ड बैठक : लागू हुई स्ट्रक्च र ऑडिट पॉलिसी, डॉग पॉलिसी को भी मंजूरी

Noida Authority Board meeting: Structural audit policy implemented, dog policy also approved
नोएडा अथॉरिटी बोर्ड बैठक : लागू हुई स्ट्रक्च र ऑडिट पॉलिसी, डॉग पॉलिसी को भी मंजूरी
यूपी नोएडा अथॉरिटी बोर्ड बैठक : लागू हुई स्ट्रक्च र ऑडिट पॉलिसी, डॉग पॉलिसी को भी मंजूरी

डिजिटल डेस्क, नोएडा। नोएडा प्राधिकरण में बोर्ड बैठक की अध्यक्षता करते औद्योगिक विकास आयुक्त उप्र एवं चेयरमैन नोएडा अरविंद कुमार। नोएडा प्राधिकरण की 207वीं बोर्ड बैठक सेक्टर-6 मुख्य प्रशासनिक खंड के कार्यालय में हुई। बैठक में 12 एजेंडा रखे गए। इसमें से छह एजेंडो को स्वीकृत किया गया। बैठक में डॉग पॉलिसी और स्ट्रक्च र ऑडिट पॉलिसी को पास किया गया। इसके बाद लोगों से आपत्ति व सुझाव मांगे गए है। इसके बाद इसे लागू कर दिया जाएगा।

शहर में आए दिन डॉग के काटने की शिकायत मिल रही है। इसको देखते हुए प्राधिकरण ने ऐनिमल वेलफेयर बोर्ड ऑफ इंडिया की गाइडलाइन के अनुपालन में पॉलिसी तैयार की है। 31 मार्च तक एनपीआरए के जरिए नोएडा में डॉग और बिल्ली दोनों का रजिस्ट्रेशन कराना होगा। रजिस्ट्रेशन नहीं होने पर जुर्माना लगाया जाएगा।

पालतू डॉग का स्ट्रेलाइजेशन और एंटीरेबीज वैक्सीनेशन कराना अनिवार्य है। ऐसा नहीं कराने पर एक मार्च 2023 से प्रतिमाह 2000 रुपए का जुर्माना लगाया जाएगा।

नोएडा प्राधिकरण एओए, आरडब्ल्यूए और ग्रामवासियों की सहमति पर अपने खर्च पर डाग्स शेल्टर बनाए जाएंगे। जिनमें बीमार, उग्र और आक्रामक हो चुके डॉग को रखा जाएगा उनकी और उसकी निगरानी की जाएगी। इन शेल्टर के रख रखाव की जिम्मेदारी आरडब्ल्यूए, एओए की होगी।

डॉग फीडर्स की मांग पर उनके सहयोग से आवश्यकता होने पर आरडब्ल्यूए और एओए की ओर से आउटडोर एरिया में फीडिंग स्थल चिह्न्ति किए जाएंगे। जहां पर उनके द्वारा सूचना बोर्ड लगाना अनिवार्य होगा। खाने पीने की व्यवस्था आरडब्ल्यूए, एओए और फीडर्स की ओर से की जाएगी।

डॉग के द्वारा कोई अप्रिय घटना की जाती है, तो मालिक पर 10 हजार रुपए का जुर्माना लगाया जाएगा और उसे घायल का इलाज कराना होगा।

गौरतलब है कि नोएडा में 116 प्रोजेक्ट है। इसमें से 43 प्रोजेक्ट पूरे हो चुके है। इसमें 36710 यूनिट है। वहीं 63 निर्माणाधीन प्रोजेक्ट में 92300 यूनिट का निर्माण कार्य किया जा रहा है। 87 हजार की ओसी जारी की जा चुकी है। पॉलिसी तीन मेजर डिफेक्ट पर आधारित है। पहली इमारत के फाउंडेशन में क्रेक और डैमेज, दूसरी फ्लोर व कॉमन एरिया में क्रेक और डैमेज और तीसरा दीवारों में क्रेक और डेमेज। प्राधिकरण ओसी जारी करने से पहले बिल्डर अपने खर्चे पर स्ट्रक्च र ऑडिट कराएगा। ये ऑडिट उसे प्राधिकरण की ओर से इम्पैनल्ड किए गए आईआईटी और एनआईटी से ही कराना होगा।

यदि स्ट्रक्च र ऑडिट के बाद 25 प्रतिशत फ्लैट बायर्स की ओर से स्ट्रक्च र डिफेक्ट की शिकायत की जाती है तो प्राधिकरण की ओर से गठित समिति द्वारा निर्णय लिया जाएगा कि डिफेक्ट मेजर है या माइनर। इसके बाद अपॉर्टमेंट ऑनर एसोसिएशन एक्ट में स्ट्रक्च र डिफेक्ट को दूर किए जाने की जिम्मेदारी दो साल तक बिल्डर की होगी। वहीं रेरा अधिनियम के तहत पांच साल तक स्ट्रक्च र डिफेक्ट को दूर करने की जिम्मेदारी बिल्डर की और पांच साल बाद एओए की होगी। इस अवधि की गणना अधिभोग प्रमाण पत्र जारी होने के बाद की जाएगी।

 (आईएएनएस)

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Created On :   13 Nov 2022 11:00 AM IST

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