कांग्रेस विधायक विक्रम मंडावी के काफिले पर नक्सलियों ने किया हमला, नक्सलियों की करतूत ने दिलाई झीरम घाटी की याद

डिजिटल डेस्क,रायपुर। छत्तीसगढ़ के बीजापुर जिले से कांग्रेस विधायक विक्रम मंडावी पर नक्सलियों ने हमला कर दिया है। साथ ही काफिले में शामिल जिला पंचायत सदस्य पार्वती कश्यप के वाहन में भी नक्सलियों ने ताबडतोड फायरिंग किया है।
जिस जगह पर नक्सलियों ने हमला किया है वह पदेड़ा गांव के नजदीक है। बताया जा रहा है नक्सलियों ने इस घटना को उस समय अंजाम दिया जब जिले के नक्सल प्रभावित इलाके गंगालूर हाट बाजार में नुक्कड़ सभा करने के बाद सभी कांग्रेसी नेता मुख्यालय वापस लौट रहे थे।
मिली जानाकारी के अनुसार नक्सलियों के द्वारा की गई फायरिंग में किसी को गंभीर चोट नहीं आई है काफिले पर शामिल सभी लोग सुरक्षित बताए जा रहे हैं। फिलहाल इस घटना के बाद पुलिस बल ने मौके पर पंहुच गया है और इलाके में लगातार सर्चिंग की जा रही है।
बता दें की आज सुबह ही नक्सल प्रभावित जिले बीजापुर के कचलावारी क्षेत्र में पुलिस और नक्सलियों के बीच हुई मुठभेड़ में एक नक्सली के मार गिराया गया था। वहीं एक घायल सहित दो नक्सली के गिफ्तार भी किया गया है। नक्सलियों ने जिस तरह से विक्रम मंडावी के काफिले पर हमला किया उनकी इस करतूत ने 2013 में हुए झीरम घाटी नक्सली हमले की याद ताजा कर दी है।
झीरम घाटी हमला
साल 2013 के अंत में राज्य में विधानसभा चुनाव होने थे। छत्तीसगढ़ में बीते 2 चुनावों में बीजेपी ने जीत हासिल की थी और रमन सिंह सीएम थे। इधर सत्ता से दूर रही कांग्रेस 10 साल बाद फिर से सरकार में आने के लिए पूरी कोशिश में जुटी थी। कांग्रेस ने पूरे राज्य में उस समय परिवर्तन रैली निकालने की तैयारी कर रखी थी। 25 मई को कांग्रेस ने सुकमा में परिवर्तन रैली आयोजित की थी।
परिवर्तन रैली के समाप्त होने के बाद कांग्रेस नेताओं का काफिला जगदलपुर वापस जा रहा था। काफिले में करीब 25 गाड़ियां और 200 लोग सवार थे। जिसमें कांग्रेस प्रदेश अध्यक्ष नंदकुमार पटेल, उनके बेटे दिनेश पटेल और कवासी लखमा, महेन्द्र कर्मा,मलकीत सिंह गैदू,कांग्रेस प्रभारी उदय मुदलियार और कुछ अन्य नेता भी शामिल थे। देखा जाए तो इस काफिले में राज्य में कांग्रेस के सभी टॉप नेता शामिल थे।
काफिला शाम करीब 4 बजे झीरम घाटी से गुजर रहा था। यहीं पर नक्सलियों ने पेड़ों को गिराकर रास्ता को बंद कर दिया था। पेड़ो को गिरा देखकर गाड़ियां रूकीं और इससे पहले के कोई कुछ समझ पाता इससे पहले ही पेड़ों के पीछे छिपे 200 नक्सलियों ने काफिले में शामिल सभी गाड़ियों को निशाना बनाते हुए ताबड़तोड़ फायरिंग शुरू कर दी। फायरिंग करीब डेढ़ घंटे तक होती रही।
फायरिंग करने के बाद नक्सली पहाड़ों से नीचे उतरे और एक एक करके गाड़ियों को चेक करना शुरू कर दिया। कोई भी जिंदा न बचे इसलिए गोलीबारी में मारे जा चुके लोगों को भी नक्सलियों ने फिर से गोली और चाकू से वार किया।
वहीं जो लोग जिंदा बचे थे उनको बंधक बनाया जा रहा था। इसी बीच एक गाड़ी से महेंद्र कर्मा नीचे उतरे और कहा कि मुझे बंधक बना लो,बाकियों को छोड़ दो। लेकिन नक्सलियों ने उन्हें थोड़ी दूर ले जाकर बेरहमी से हत्या कर दी। इस हमले का मुख्य टारगेट बस्तर टाइगर महेंद्र कर्मा ही थे। कहा जाता है कि सलवा जुडूम का नेतृत्व करने की वजह से नक्सली उन्हें अपना दुश्मन मानते थे। नक्सलियों ने उनके शरीर पर 100 से ज्यादा गोलियां मारी और 50 से ज्यादा बार चाकूयों से बार किए। यही नहीं नक्सलियों ने उनके शव के ऊपर चढ़कर डांस भी किया था। हमले में करीब 30 से अधिक लोगों की मौत हुई। जिसमें अजीत जोगी को छोड़कर उस वक्त राज्य कांग्रेस के अधिकांश बड़े नेता और सुरक्षा के जवान शहीद हुए। वहीं केंद्रीय मंत्री रहे विद्याचरण शुक्ल भी 25 मई 2013 को हुए नक्सली हमले में घायल हो गए थे । बाद में उन्हें गुड़गांव के मेदांता ले जाया गया , जहां 11 जून 2013 को उनकी गंभीर चोटों के कारण मृत्यु हो गई
Created On :   18 April 2023 6:13 PM IST