मनरेगा का बजट 1,10,000 करोड़ से घटाकर 73,000 करोड़ कर दिया
डिजिटल डेस्क, नई दिल्ली। कांग्रेस ने केंद्र की मोदी सरकार पर महात्मा गांधी राष्ट्रीय ग्रामीण रोजगार गारंटी अधिनियम (मनरेगा) तहत 1,10,000 करोड़ रुपये का बजट घटाकर 73,000 करोड़ रुपये करने का आरोप लगाया है। राज्यसभा में विपक्ष के नेता मल्लिकार्जुन खड़गे ने गुरुवार को प्रेसवार्ता कर कहा कि, प्रधानमंत्री मोदी ने संसद में जिस मनरेगा को कांग्रेस की समाधि करार दिया था। कोविड महामारी के समय वहीं मनरेगा ग्रामीण लोगों के पेट भरने के काम आई। इसके बाद भी इस कल्याणकारी योजना का बजट मोदी सरकार ने कम कर दिया। गरीब आदमी की कमर तोड़ने जैसा है, गरीब के स्वाभिमान के साथ केंद्र सरकार ऐसा न करे। उन्होंने कहा, जब देश में एक बार फिर महामारी वापस आने के संकेत दिखाई दे रहे हैं। तो मरेगा का बजट लगातार कम किया जा रहा है। कांग्रेस नेता रणदीप सुरजेवाला ने कहा, फासीवादी सरकार ने किसानों, पत्रकारों, युवाओं को अपनी फासीवादी नीतियों की वजह से प्रदर्शन करने पर मजबूर कर दिया है।
सुरजेवाला ने पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री और टीएमसी प्रमुख ममता बनर्जी पर राजनीतिक अवसरवादिता का आरोप लगाते हुए कहा कि कांग्रेस में समरसता है, कांग्रेस की लड़ाई बीजेपी की विचारधारा और सोच से है, वो लड़ाई कांग्रेस का हर नेता बगैर किसी डर के लगातार बीजेपी-आरएसएस से लड़ा रहा है। टीएमसी ऐसा दल है जो, राजनीतिक अवसरवादिता और सच की लड़ाई में अंतर करता है। सुरजेवाला ने कहा, ममता बनर्जी यूथ कांग्रेस से निकली हैं। ममता बनर्जी साल 1999 में बीजेपी शासित बाजपेयी सरकार में शामिल हो गई थीं और बाजपेयी सरकार में रेल मंत्री बन गई थीं। साल 2001 में ममता बनर्जी ने कहा कि बीजेपी मुझे पसंद नहीं और इस्तीफा दे दिया। इसके बाद साल 2001 में कांग्रेस से मिलकर विधानसभा का चुनाव लड़ा।
2003 में फिर कांग्रेस ना पसंद हो गई और 2003 में फिर बीजेपी के साथ मिल गईं। बीजेपी की सरकार में खदान मंत्री बन गई। अलट बिहारी वाजपेयी उन दिनों प्रधानमंत्री थे। ममता बनर्जी ने कहा कि बीजेपी हमारी स्वाभाविक सहयोगी है और बीजेपी के साथ मिलकर चुनाव लड़ा। साल 2009 में फिर ममता बनर्जी कांग्रेस की सरकार में यूपीए का हिस्सा बन गईं और केंद्र में मंत्री बन गईं। सुरजेवाला ने कहा कि, राजनीतिक अवसरवादिता और सिद्धांतों की लड़ाई में अंतर होता। ममता बनर्जी का पिछला इतिहास इसे साफ करता है। ममता बनर्जी ने तो साल 2012 में ही यूपीए से इस्तीफा दे दिया था तो वो यूपीए के बारे में बयानबाजी क्यों कर रही हैं। कांग्रेस पार्टी हमेशा उसूलों पर टिकी रही। लोकतंत्र की लड़ाई, प्रजातंत्र की लड़ाई लड़ रही है। क्या ममता बनर्जी भी वहीं नहीं कर रहीं जो प्रधानमंत्री मोदी कह रहे हैं। बीजेपी की तरह टीएमसी भी कांग्रेस के विधायक-पार्टी तोड़ा रही है। क्या उनका प्रेरणास्रोत ही तो नहीं बदल गया है।
(आईएएनएस)
Created On :   2 Dec 2021 8:30 PM IST