पार्टी के कई नेताओं को रास नहीं आ रहा, जमीनी कार्यकर्ता को ताकतवर बनाने के लिए नवाचार

Many leaders of the party do not like it, innovation to make the grassroot worker strong
पार्टी के कई नेताओं को रास नहीं आ रहा, जमीनी कार्यकर्ता को ताकतवर बनाने के लिए नवाचार
मप्र में बदलती भाजपा को अपनों की चुनौती पार्टी के कई नेताओं को रास नहीं आ रहा, जमीनी कार्यकर्ता को ताकतवर बनाने के लिए नवाचार
हाईलाइट
  • सत्ता और संगठन में बदलाव के आसार

डिजिटल डेस्क, भोपाल। मध्य प्रदेश में भारतीय जनता पार्टी का चेहरा तेजी से बदल रहा है, संगठन की मजबूती के साथ जमीनी कार्यकर्ता को ताकतवर बनाने के लिए नवाचार भी हो रहे हैं, मगर यह पार्टी के कई नेताओं को रास नहीं आ रहा है, यही कारण है कि पार्टी को अंदरूनी तौर पर मिलने वाली चुनौतियां कम नहीं हो रही हैं।

राज्य में संगठन के मुखिया में हुए बदलाव और भाजपा की सत्ता में हुई वापसी को दो साल का वक्त हो गया है। इस दौर में पार्टी के चेहरे को बदलने की बयार सी चली है। नए चेहरों को जगह मिल रही है, इस बदलाव से कई लोगों को अपना अस्तित्व तो संकट में नजर आने लगा है, साथ में अपने समर्थकों को स्थापित कर पाना उनके लिए चिंता का सबब बन गया है।

भाजपा के संगठन में प्रदेश से लेकर जिला स्तर तक पर गठित हुई इकाइयों में नए चेहरों को भरपूर जगह मिली है, तो वहीं कांग्रेस छोड़कर आए ज्योतिरादित्य सिंधिया के समर्थक भी संगठन में जगह पाने में कामयाब हुए हैं। दल बदल कर आए लोगों को स्थान दिए जाने से भाजपा के लोगों की हिस्सेदारी पहले के मुकाबले कम हुई है।

राज्य के भाजपा संगठन की देश में अलग ही पहचान रही है, वर्तमान में भाजपा संगठन अपनी जमीन को और पुख्ता करने की कोशिश में लगा है। इसके लिए राज्य स्तर पर लगातार नवाचार किए जा रहे हैं और पार्टी से ज्यादा से ज्यादा लोगों को जोड़ने की कोशिश में हो रही हैं। एक तरफ जहां संगठन की कोशिश पार्टी की जमीन को और पुख्ता करने की है तो वहीं पार्टी के कई प्रमुख नेता जिनमें राज्य सरकार के कई मंत्री भी शामिल हैं, वे इन कोशिशों का हिस्सा बनने को तैयार नहीं हैं।

राज्य में भाजपा ने बूथ स्तर को नई पहचान दिलाने के साथ उसे मजबूत करने के लिए बूथ विस्तारक अभियान चलाया। इस अभियान का मकसद बूथ के डिजिटलाइजेशन के साथ कार्यकर्ता का फिजिकल वेरिफिकेशन भी करना था। इस अभियान को सफल बनाने की जिम्मेदारी सभी पर थी, प्रदेश अध्यक्ष विष्णु दत्त शर्मा ने इस अभियान के पहले 10 दिन में चार हजार किलोमीटर से ज्यादा का रास्ता सड़क मार्ग से पूरा किया और प्रदेश के लगभग हर हिस्से तक पहुंचने की कोशिश की, तो वहीं दूसरी ओर राज्य के कई बड़े नेता रस्म अदायगी करते ही नजर आए।

पार्टी के अंदर खाने चल रही कोशिशों पर गौर करें तो ऐसा नजर आता है कि इस अभियान को ही कई बड़े नेता सफल नहीं होने देना चाहते थे और उनकी कोशिश तो यहां तक थी कि यह अभियान शुरू ही न हो। जब अभियान चला तो उन नेताओं ने बूथ तक पहुंचने में ज्यादा दिलचस्पी नहीं ली। परिणामस्वरुप अभियान को छह दिन बढ़ाया गया फिर भी बड़े नेता अपने क्षेत्र में ही ज्यादा नजर नहीं आए।

भाजपा के प्रवक्ता रजनीश अग्रवाल का कहना है कि पार्टी ने 65 हजार बूथ के डिजिटलाइजेशन का जो अभियान शुरू किया था, वह पूरा हो चुका है। कुछ बूथ अलग-अलग कारणों से डिजिटलाइज होने से छूट गए हैं, उन्हें भी डिजिटलाइज करने की प्रक्रिया जारी है। इस अभियान के दौरान जिस नेता को जो जिम्मेदारी सौंपी गई थी, उसका संबंधित ने पूरी जिम्मेदारी से निर्वाहन किया।

भाजपा के बूथ विस्तारक अभियान से बड़े नेताओं की दूरी को लेकर कांग्रेस ने भी तंज कसे। कांग्रेस प्रदेशाध्यक्ष के मीडिया समन्वयक नरेंद्र सलूजा ने कहा, भाजपा का बूथ विस्तारक अभियान महाफ्लॉप रहा, इस अभियान में भाजपा के नेताओं के 100-100 घंटे बूथ पर देने के बड़े-बड़े दावे किए गए थे। दावा तो यह भी था कि मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान सहित तमाम केंद्रीय मंत्री, प्रदेश के सभी मंत्री इस कार्यक्रम में 100-100 घंटे बूथ पर देंगे। इसके बावजूद भाजपा के तमाम बड़े नेताओं ने इस अभियान से दूरी बनाए रखी।

 

(आईएएनएस)

Created On :   18 Feb 2022 2:31 PM IST

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