शराबबंदी पर श्वेत पत्र प्रकाशित करेगी मणिपुर सरकार

Manipur government to publish white paper on prohibition: CM
शराबबंदी पर श्वेत पत्र प्रकाशित करेगी मणिपुर सरकार
सीएम एन. बीरेन शराबबंदी पर श्वेत पत्र प्रकाशित करेगी मणिपुर सरकार

डिजिटल डेस्क, इंफाल। मणिपुर के मुख्यमंत्री एन. बीरेन सिंह ने शनिवार को कहा कि राज्य सरकार जल्द ही राज्य में शराब के वैधीकरण पर एक श्वेत पत्र प्रकाशित करेगी। मणिपुर में भाजपा सरकार ने राज्य में तीन दशक पुराने शराबबंदी को आंशिक रूप से हटाने का फैसला किया है, जिससे सालाना 600 करोड़ रुपये का राजस्व अर्जित करने की उम्मीद है। इस फैसले का राज्य के अलग-अलग समूहों में विरोध शुरू हो गया है। शराबबंदी को आंशिक रूप से हटाने के सरकार के फैसले को रद्द करने की मांग करते हुए, विभिन्न महिला संगठनों ने शनिवार को इंफाल के अकामपत ममांग में धरना दिया।

ड्रग्स एंड अल्कोहल के खिलाफ गठबंधन (सीएडीए) और महिला समूह भी कैबिनेट के फैसले में संशोधन की मांग कर रहे हैं। मुख्यमंत्री ने कहा कि राज्य सरकार जल्द ही अपनी शराब नीति को स्पष्ट करने के लिए शराब निषेध संशोधन विधेयक लाएगी। उन्होंने मीडिया से कहा, सीएडीए और अन्य संगठनों की मांग को ध्यान में रखते हुए, सरकार एक ब्लूप्रिंट या श्वेत पत्र तैयार कर रही है। ब्लूप्रिंट में शराब बेचने और बनाने के लिए क्या करें और क्या न करें के बारे में बताया जाएगा।

सिंह ने कहा कि इस मामले में आगे कोई फैसला सभी हितधारकों से विचार-विमर्श के बाद ही लिया जाएगा। शराबबंदी को आंशिक रूप से हटाने का एक प्रमुख कारण लोगों को मिलावटी शराब के सेवन से बचना है, मिलावटी शराब के सेवन से स्वास्थ्य को होने वाले खतरों को देखते हुए, सिंह ने कहा कि पुलिस जल्द ही अवैध शराब के खिलाफ अभियान शुरू करेगी।

सरकार के अनुसार, शराब की बिक्री जिला मुख्यालयों, कुछ अन्य चिन्हित स्थानों, पर्यटन स्थलों और रिसॉर्ट्स, सुरक्षा शिविरों और होटलों में कम से कम 20 बेड्स के ठहरने की सुविधा तक ही सीमित होगी। जनजातीय मामलों और पहाड़ी विकास मंत्री लेतपाओ हाओकिप, जो सरकार के प्रवक्ता भी हैं उन्होंने कहा था कि, सरकार की वित्तीय संकट के मद्देनजर राजस्व सृजन को बढ़ावा देने पर विचार करते हुए, हम प्रति वर्ष 600 करोड़ रुपये से अधिक का राजस्व अर्जित करने की उम्मीद करते हैं।

कई अन्य सामाजिक बुराइयों के अलावा, मणिपुर में महिलाएं 1970 के दशक से शराब के खिलाफ लड़ रही हैं, जिसके कारण मणिपुर पीपुल्स पार्टी के नेतृत्व वाली सरकार को 1991 में मणिपुर शराब निषेध अधिनियम पारित करने के लिए मजबूर होना पड़ा। कानून अभी भी कायम है। 1991 के बाद से, मणिपुर आधिकारिक तौर पर एक शुष्क राज्य बन गया, जिसमें अनुसूचित जाति और अनुसूचित जनजाति समुदायों के लोगों को केवल पारंपरिक उद्देश्यों के लिए शराब बनाने की छूट थी।

हालांकि, शराबबंदी के बावजूद शराब की खपत को सफलतापूर्वक नियंत्रित नहीं किया जा सका और शराब व्यापक रूप से उपलब्ध रही, जिससे राज्य के विभिन्न हिस्सों में शराब से संबंधित खतरों के खिलाफ आंदोलन हुए।

सोर्सः आईएएनएस

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Created On :   2 Oct 2022 12:00 AM IST

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