क्या नीतीश-भाजपा के रिश्ते में आ रही खटास?
- तीनों बैठकों का सियासी असर
डिजिटल डेस्क, नई दिल्ली। कांग्रेस सूत्रों का कहना है कि पार्टी स्थिति पर पैनी नजर बनाए हुई है। हालांकि, नीतीश कुमार की जनता दल-युनाइटेड का कहना है कि उनके दिल्ली नहीं जाने का मतलब यह नहीं है कि वे अलग हो रहे हैं। एनडीए सरकार स्थिर और बरकरार है।
वहीं, अटकलें लगाई गईं कि नीतीश कुमार को उपराष्ट्रपति पद का उम्मीदवार बनाया जा सकता है, लेकिन जदयू नेता ने इसे खारिज कर दिया।
चूंकि, एनडीए में भाजपा सबसे बड़ी पार्टी है, ऐसे में मांग उठी कि बिहार का मुख्यमंत्री पार्टी का ही नेता हो, जो नीतीश कुमार को अच्छा नहीं लगा। इसी बात से खफा होकर नीतीश कुमार ने विरोधी पार्टी राजद की इफ्तार पार्टी में शिरकत की और लाउडस्पीकर विवाद पर भाजपा के खिलाफ खड़े हो गए।
इस बीच नीतीश कुमार और विपक्ष के नेता तेजस्वी यादव के बीच राजनीतिक दूरी कम होती दिख रही है। दोनों पिछले दस दिनों में तीन बार मिले हैं, पटना की इफ्तार पार्टी में 22 अप्रैल को पूर्व सीएम राबड़ी देवी के आवास पर और पूर्व सीएम जीतन राम मांझी के आवास पर मुलाकात हुई।
तीनों बैठकों का असर तेजस्वी यादव और नीतीश कुमार के बयानों पर दिख रहा है। तेजस्वी यादव, जो पहले कभी नीतीश कुमार पर निशाना साधा करते थे, अब वह सिर्फ नरेंद्र मोदी सरकार पर ही आरोप लगाते हैं। वहीं, नीतीश कुमार की विचारधारा और रुख भाजपा से मेल नहीं खा रहे हैं।
आईएएनएस
Created On :   1 May 2022 5:30 PM IST