आईएएनएस-सीवोटर मूड ट्रैकर : जम्मू-कश्मीर चुनाव में कमाल कर पाएगी आजाद की पार्टी? राय जुदा-जुदा

IANS-CVoter Mood Tracker: Will Azads party do wonders in Jammu and Kashmir elections? differing opinions
आईएएनएस-सीवोटर मूड ट्रैकर : जम्मू-कश्मीर चुनाव में कमाल कर पाएगी आजाद की पार्टी? राय जुदा-जुदा
नई दिल्ली आईएएनएस-सीवोटर मूड ट्रैकर : जम्मू-कश्मीर चुनाव में कमाल कर पाएगी आजाद की पार्टी? राय जुदा-जुदा

डिजिटल डेस्क, नई दिल्ली। पिछले कुछ वर्षो में कांग्रेस के वरिष्ठ नेताओं का पार्टी से पलायन हुआ है। हाल ही में पार्टी छोड़ने वाले नेता हैं जम्मू और कश्मीर के पूर्व मुख्यमंत्री व पूर्व केंद्रीय मंत्री गुलाम नबी आजाद। कांग्रेस के दिग्गज नेता आजाद ने 26 अगस्त को पार्टी की प्राथमिक सदस्यता सहित सभी पदों से इस्तीफा दे दिया। आजाद ने कांग्रेस की अंतरिम अध्यक्ष सोनिया गांधी को एक कड़ा पत्र लिखकर पार्टी छोड़ने के अपने फैसले की जानकारी दी।

आजाद ने अपने पत्र में राहुल गांधी पर तीखा हमला बोलते हुए कहा कि अनुभवहीन चाटुकारों की मंडली पार्टी को चला रही है। आजाद ने अपने इस्तीफे के तुरंत बाद घोषणा की कि वह अपनी पार्टी शुरू करेंगे। आने वाले विधानसभा चुनावों के मद्देनजर पार्टी की पहली इकाई उनके गृह राज्य जम्मू-कश्मीर में होगी। आजाद के समर्थन में जम्मू-कश्मीर कांग्रेस के कई नेताओं ने भी पार्टी से इस्तीफा दे दिया है।

जम्मू-कश्मीर विधानसभा चुनाव में आजाद की पार्टी कितनी कामयाब होगी, यह जानने के लिए सीवोटर-इंडियाट्रैकर ने आईएएनएस की ओर से एक जनमत सर्वेक्षण कराया। सर्वे के दौरान भारतीयों की राय बंटी हुई थी। सर्वेक्षण के आंकड़ों के अनुसार, जहां 28 प्रतिशत उत्तरदाताओं ने कहा कि आजाद का राजनीतिक संगठन बहुत प्रभावी होगा, वहीं 21 प्रतिशत उत्तरदाताओं का मानना है कि यह जम्मू-कश्मीर की चुनावी लड़ाई में पूरी तरह से विफल होगा।

वहीं, जहां 28 प्रतिशत उत्तरदाताओं ने कहा कि आजाद की पार्टी की जम्मू-कश्मीर चुनाव में छोटी भूमिका होगी, वहीं 23 प्रतिशत का मानना है कि सामान्य असर पड़ेगा। शहरी और ग्रामीण, दोनों मतदाताओं के विचार भी विभाजित थे। सर्वेक्षण के दौरान, 27 प्रतिशत शहरी मतदाताओं और 28 प्रतिशत ग्रामीण मतदाताओं ने कहा कि आजाद की पार्टी जम्मू-कश्मीर चुनावों में बहुत प्रभावी होगी। वहीं, 19 फीसदी शहरी मतदाताओं और 21 फीसदी ग्रामीण मतदाताओं ने बिल्कुल विपरीत राय साझा की।

दिलचस्प बात यह है कि सर्वेक्षण के दौरान, जबकि विपक्षी मतदाताओं का एक बड़ा हिस्सा 33 प्रतिशत ने कहा कि आजाद की पार्टी जम्मू-कश्मीर के चुनावों में महत्वपूर्ण भूमिका निभाएगी, एनडीए मतदाताओं का एक बड़ा अनुपात - 33 प्रतिशत का मानना है कि पूर्व कांग्रेस नेता की पार्टी का सीमित प्रभाव पड़ेगा। विशेष रूप से जम्मू-कश्मीर में विधानसभा चुनाव अगस्त 2019 में अनुच्छेद 370 और अनुच्छेद 35ए के निरस्त होने के बाद से रुके हुए हैं, जिसने इसकी विशेष स्थिति को समाप्त कर दिया और तत्कालीन राज्य को जम्मू और कश्मीर और लद्दाख के केंद्र शासित प्रदेशों में विभाजित कर दिया।

 

(आईएएनएस)

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Created On :   30 Aug 2022 3:01 PM IST

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