पश्चिमी यूपी की सबसे हॉट सीट जहां सभी पार्टी ठोंक रही है ताल
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- पलायन विकास या जाति कौन सा मुद्दा कैराना में हावी
डिजिटल डेस्क, लखनऊ। पश्चिमी यूपी की सबसे हॉट सीट जहां केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने मंच के साथ सड़क और डोर टू डोर चुनाव प्रचार किया। बीजेपी ने इसी सीट के मुद्दे को पूरे यूपी चुनाव के लिए एक बड़ा मुद्दा बना डाला। वेस्ट यूपी की इस सीट का नाम है कैराना। उत्तर प्रदेश में होने वाले विधानसभा चुनाव में कैराना विधानसभा काफी महत्वपूर्ण सीट है। कैराना विधानसभा सीट शामली जिले के कैराना लोकसभा के अंतर्गत आती, यहां से हर पार्टी अपने जीतने का दावा ठोंक रही है। लेकिन मुख्य मुकाबला सपा और भाजपा में ही देखने को मिल रहा है। सपा ने यहां से अपने विधायक नाहिद हसन को प्रत्याशी बनाया है। जिन पर कैराना से हिंदुओं के पलायन कराने का आरोप लगा है। नाहिद हसन जेल से ही चुनाव लड़ेगे। भाजपा ने यहां से मृगांका सिंह और बसपा ने राजेंद्र सिंह उपाध्याय को उम्मीदवार बनाया है। कांग्रेस की तरफ से हाजी अखलाक मैदान में हैं।
समाजवादी पार्टी ने कैराना से मौजूदा विधायक नाहिद हसन को तीसरी बार चुनाव मैदान में उम्मीदवार बनाया है। वहीं बीजेपी ने अपने पुराने चेहरे पर भरोसा जताते हुए पूर्व सांसद हुकुम सिंह की बेटी मृगांका सिंह को एक बार और कैंडिडेट बनाकर मौका दिया है। मृगांका सिंह 2017 का विधानसभा चुनाव सपा के नाहिद हसन से हार गई थीं।
जातीय समीकरण पर टिका कैराना का गणित
कैराना विधानसभा सीट पर भाजपा सांसद हुकुम सिंह का कब्जा रहा है। दूसरे नंबर पर हसन परिवार आता है। बीजेपी के हुकुम सिंह ने कैराना सीट पर 1974, 1980, 1985, 1996, 2002, 2007, 2012 में सात बार परचम लहराया है । वहीं हसन परिवार के मुनव्वर हसन 1991 और 1993 विधानसभा चुनावों में फताका लहारा। उसके बाद 2014 में हुकुम सिंह कैराना लोकसभा से सांसद चुने गए, जिससे खाली हुई सीट पर 2015 में उपचुनाव हुआ जिसमें एक बार फिर हसन ने जीत दर्ज की। उसके बाद 2017 के विधानसभा चुनावों में एक बार फिर नहीद हसन ने बीजेपी नेता हुकुम सिंह की बेटी मृगांका सिंह को मात दी थी। इस बार के चुनाव में भी दोनों चेहरे एक बार फिर आमने सामने है। दोनों में ही कड़ा मुकाबला देखने को मिल रहा है।
2017 के चुनाव में समाजवादी पार्टी के नाहिद हसन को 98830 वोट मिले जबकि दूसरे नंबर पर रहीं बीजेपी की मृगांका सिंह को 77668 वोट मिला था। तीसरे पर राष्ट्रीय लोक दल के अनिल कुमार को 19992 वोट, वहीं चौथे नंबर पर बसपा के दिवाकर देसवाल को करीब 7000 वोट मिले।
साल पार्टी वोट फीसदी
2017 सपा 47.26
बीजेपी 37.14
2012 बीजेपी 45.17
बसपा 34.18
साल 2017 में यहां से हिंदू पलायन का मुद्दा जोरों शोरों से उठा। बीजेपी यहां जाट गुर्जर और क्षत्रिय जातीय समीकरण और पलायन मुद्दे को लेकर चुनावी मैदान में है तो वहीं सपा जाट मुस्लिम और यादव समीकरण और योगा सरकार की नाकामियों को लेकर चुनावी मैदान में उतरी है। वहीं बीएसपी ने ब्राह्मण उम्मीदवार उतारकर दलित ब्राह्मण कार्ड खेला है। लेकिन देखना है 10 फरवरी को किस मुद्दे और समीकरण पर वोट पड़ते है। ये 10 मार्च को आने वाले नतीजों में पता चलेगा।
Created On :   9 Feb 2022 12:56 PM IST