विधानसभा चुनाव से पहले निकला जिन्ना का जिन्न, अखिलेश और राजभर दोनों ने अलापा जिन्ना के नाम का राग
- जिन्ना को लेकर ओपी राजभर के बिवादित बयान
- यूपी की राजनीति जिन्ना पर टिकी
डिजिटल डेस्क, लखनऊ। उत्तर प्रदेश में कुछ ही माह बाद विधानसभा चुनाव होने वाले हैं। सभी राजनीतिक पार्टियां चुनावी शंखनाद कर चुकी हैं। इस वक्त यूपी राजनीति में आरोप-प्रत्यारोप का दौर चल रहा है। इसी क्रम में बुधवार को सुभासपा पार्टी के अध्यक्ष ओम प्रकाश राजभर ने विवादित बयान देकर राजनीति को गरमा दिया है। बता दें कि ओमप्रकाश राजभर ने पत्रकारों के सवाल पर कहा कि अगर जिन्ना को भारत का पहला प्रधानमंत्री बना दिया गया होता तो देश का बंटवारा नहीं होता। उन्होंने कहा कि अटल बिहारी वाजपेई से लेकर लालकृष्ण आडवाणी तक जिन्ना की तारीफ किया करते थे, इसलिए उनके विचारों को भी पढ़ने की जरूरत है। उनके इस बयान को लेकर सियासत तेज हो गई है।
सवालों पर भड़के राजभर
आपको बता दें कि राजभर पत्रकारों के सवाल पर भड़क गए। उन्होंने कहा कि जिन्ना के अलावा आप लोग महंगाई पर सवाल क्यों नहीं करते? यह भारतीय जनता पार्टी के कारण हो रहा है। उन्होंने बीजेपी को घेरते हुए कहा कि हिंदू-मुसलमान और भारत-पाकिस्तान हटा दीजिए तो भारतीय जनता पार्टी की जुबान बंद हो जाती है। गौरतलब है कि राजभर ने अखिलेश के साथ गठबंधन का एलान किया है और आगामी विधानसभा चुनाव मिलकर लडे़ंगे। हालांकि, सीटों को लेकर अभी तक कोई फैसला नहीं लिया गया है।
बीजेपी ने किया पलटवार
आपको बता दें यूपी की सियासत जिन्ना के बयान पर गरमा गई है। बीजेपी प्रवक्ता राकेश त्रिपाठी ने विपक्षी दलों को घेरते हुए कहा कि जिन्ना को कुछ राजनीतिक दलों और नेताओं ने "अलादीन के चिराग का जिन्न" मान लिया है। जिन्ना का नाम लेकर मनचाही वोटों की मुराद पूरी करने की सोच लेकर चलने वालों को शायद नहीं समझ आता कि "जिन्ना खलनायक था, है और रहेगा।
— Rakesh Tripathi (@rakeshbjpup) November 10, 2021
जिन्ना पर सियासत कब शुरू हुई?
आपको बता दें कि बीते 31 अक्टूबर को सरदार वल्लभ भाई पटेल जी की जयंती के अवसर पर यूपी के हरदोई में एक जनसभा में अखिलेश यादव ने मोहम्मद अली जिन्ना की, भारत की आजादी के लिए उनके योगदान की सराहना की थी। सपा प्रमुख ने कहा कि सरदार वल्लभ भाई पटेल, महात्मा गांधी, जवाहरलाल नेहरू और मोहम्मद अली जिन्ना ने एक ही संस्थान से पढ़ाई की और बैरिस्टर बने और उन्होंने आजादी दिलाई। उन्हें आजादी के लिए किसी भी तरीके से संघर्ष करना पड़ा होगा तो पीछे नहीं हटे। अखिलेश के इस बयान को लेकर बीजेपी, बसपा और एआईएमआईएम ने हमला बोला था। यूपी के सीएम योगी ने अखिलेश यादव से मांफी मांगने की बात कही थी और तालिबानी मानसिकता वाला बताया था। ओवैसी ने अखिलेश को घेरते हुआ कहा था कि सपा प्रमुख इतिहास पढ़े और अपने सलाहकार को बदलें। यहां तक कि ओवैसी ने कहा था कि जिन्ना से भारतीय मुसलमानों का कोई लेना देना नहीं हैं। हालांकि अखिलेश आज भी अपने बयान पर कायम हैं।
Created On :   10 Nov 2021 6:05 PM IST