2021 में अर्धसैनिक बलों में 8 भाईचारे में घात के मामले दर्ज किए गए
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डिजिटल डेस्क, नई दिल्ली। केंद्रीय सशस्त्र पुलिस बलों (सीएपीएफ) में 2021 में भाईचारे में घात (फैट्र्रिसाइड) के कुल आठ मामले और पिछले तीन वर्षो में 25 मामले दर्ज किए गए।
गृह राज्यमंत्री नित्यानंद राय ने लोकसभा को एक प्रश्न के लिखित उत्तर में बताया कि इस वर्ष असम राइफल्स में दो, सीमा सुरक्षा बल में एक, केंद्रीय रिजर्व पुलिस बल (सीआरपीएफ) में पांच, बीएसएफ में तीन, केंद्रीय औद्योगिक सुरक्षा बल में एक, सीआरपीएफ में तीन और सशस्त्र सीमा बल में एक मामला, यानी 2020 में कुल आठ मामले दर्ज किए गए।
उन्होंने कहा कि 2019 में नौ मामले सामने आए थे- बीएसएफ में पांच, सीआरपीएफ में तीन और भारत-तिब्बत सीमा पुलिस में एक मामला सामने आया।
राय ने यह भी कहा कि सीएपीएफ और एआर कर्मियों की कामकाजी परिस्थितियों में सुधार एक निरंतर प्रयास है और जवानों के मानसिक स्वास्थ्य और भलाई को बढ़ावा देने के उपाय किए जा रहे हैं।
उन्होंने कहा कि सीएपीएफ और एआर कर्मियों के स्थानांतरण और छुट्टी से संबंधित पारदर्शी नीतियां पहले से ही लागू हैं और कर्मियों को कठिन क्षेत्रों में सेवा देने के बाद पसंद की पोस्टिंग देने पर विचार किया जाता है।
उन्होंने कहा कि ड्यूटी पर चोटों के कारण अस्पताल में भर्ती होने की अवधि को अब ड्यूटी पर माना जाता है।
अन्य उपाय, जैसे सूचीबद्ध कर्मियों के साथ उनकी शिकायतों का पता लगाने और उनका निवारण करने के लिए अधिकारियों की नियमित बातचीत, ड्यूटी के घंटों को विनियमित करके पर्याप्त आराम और राहत सुनिश्चित करना, रहने के स्थान की स्थिति में सुधार, पर्याप्त मनोरंजन प्रदान करना, खेल, संचार सुविधाएं और महिला कर्मचारियों की सुविधा के लिए विभिन्न प्रतिष्ठानों (जहां संभव हो) में क्रेच की सुविधा भी प्रदान की जाती है।
मंत्रालय ने पूर्वोत्तर राज्यों, जम्मू-कश्मीर और वामपंथी-अतिवाद प्रभावित क्षेत्रों में पदस्थापन के दौरान पिछली पोस्टिंग के स्थान पर (परिवार को रखने के लिए) सरकारी आवास को बनाए रखने की सुविधा भी बनाई है।
इसने सीएपीएफ को बेहतर चिकित्सा सुविधाएं प्रदान करने के साथ-साथ उनकी व्यक्तिगत और मनोवैज्ञानिक चिंताओं को दूर करने के लिए विशेषज्ञों के साथ बातचीत का आयोजन करने और बेहतर तनाव प्रबंधन के लिए नियमित रूप से ध्यान और योग का आयोजन करने का भी निर्देश दिया है, जबकि सुरक्षा कर्मियों को पर्याप्त रूप से मुआवजा मिलता है, अगर उन्हें कठिन क्षेत्रों में तैनात किया जाता है।
सरकार ने पदोन्नति का विशेष ध्यान रखा है जो नियमित रूप से पात्र कर्मियों को रिक्तियों के उत्पन्न होने पर जारी की जाती हैं।
राय ने कहा कि संशोधित सुनिश्चित करियर प्रगति (एमएसीपी) के तहत वित्तीय लाभ 10, 20 और 30 साल की सेवा में दिए जाते हैं, यदि रिक्तियों के अभाव में पदोन्नति नहीं होती है।
(आईएएनएस)
Created On :   22 Dec 2021 12:00 AM IST