राज्यपाल और मुख्यमंत्री आपसी भेदभाव को करें खत्म

डिजिटल डेस्क, मुंबई। बॉम्बे हाईकोर्ट ने बुधवार को महाराष्ट्र के राज्यपाल भगत सिंह कोश्यारी और मुख्यमंत्री उद्धव ठाकरे के आपसी विवाद पर क्षोभ व्यक्त करते हुये कहा कि वे साथ बैठकर अपने सभी मतभेदों को खत्म करें। चीफ जस्टिस दीपांकर दत्ता और जस्टिस एम एस कार्निक की खंडपीठ ने भारतीय जनता पार्टी के नेता गिरीश महाजन और सामाजिक कार्यकर्ता जनक व्यास की जनहित याचिकाओं को खारिज करते हुये कहा कि यह दुर्भाग्यपूर्ण है कि राज्यपाल और मुख्यमंत्री एक दूसरे पर भरोसा नहीं करते हैं।
अदालत ने कहा कि अगस्त 2021 में उसके आदेश के बावजूद राज्यपाल ने 12 विधान पार्षदों को नामित नहीं किया है। यह मामला छह नवंबर 2020 से ही लंबित है। अदालत ने कहा कि यह राज्यपाल का कत्र्तव्य है कि वह 12 विधानसभा पार्षदों को नामित करने की मंत्रिपरिषद की सिफारिशों पर निश्चित सीमा में निर्णय करें और इसी के कारण अगस्त 2021 को इस मामले में अदालत ने अपना फैसला दिया था। इसके बावजूद राज्यपाल ने कोई कोर्रवाई नहीं की।
खंडपीठ ने कहा कि यह क्षोभ की बात है कि दो शीर्ष संवैधानिक पद एक दूसरे पर विश्वास नहीं करते हैं। खंडपीठ ने कहा कि इस विवाद से किसका नुकसान हो रहा है। दोनों पक्ष बैठकर आपस में इस मामले को निपटायें। आपसी विवाद से राज्य का विकास नहीं हो सकता है। अदालत ने दोनों याचिकायें खारिज करते हुये भाजपा नेता की 10 लाख और व्यास की दो लाख की रकम जब्त करने का आदेश दिया। अदालत ने उन्हें सुनवाई के शुरूआत में ही ये रकम जमा कराने का आदेश दिया था। याचिकाकर्ताओं ने महाराष्ट्र विधानसभा के अध्यक्ष के चुनाव प्रक्रिया में राज्य सरकार द्वारा किये गये संशोधनों को चुनौती दी थी। याचिकाकर्ताओं का कहना था कि ये संशोधन अलोकतांत्रिक, मनमानीपूर्ण, अवैध, असंवैधानिक हैं लेकिन चीफ जस्टिस ने कहा कि याचिकाकर्ता यह साबित करने में नाकामयाब रहे हैं कि यह मामला जनहित से जुड़ा है।
(आईएएनएस)
Created On :   9 March 2022 8:00 PM IST