केंद्र ने सुप्रीम कोर्ट से कहा, समलैंगिक जोड़ों को समाजिक सुविधाओं पर सरकार सकारात्मक है

Government is positive on social facilities to same-sex couples, Center tells Supreme Court
केंद्र ने सुप्रीम कोर्ट से कहा, समलैंगिक जोड़ों को समाजिक सुविधाओं पर सरकार सकारात्मक है
नई दिल्ली केंद्र ने सुप्रीम कोर्ट से कहा, समलैंगिक जोड़ों को समाजिक सुविधाओं पर सरकार सकारात्मक है

डिजिटल डेस्क, नई दिल्ली। केंद्र सरकार ने बुधवार को सुप्रीम कोर्ट को बताया कि समलैंगिक जोड़ों की बुनियादी सामाजिक सुविधाओं से जुड़ी कुछ चिंताओं को दूर करने के लिए वह कैबिनेट सचिव की अध्यक्षता में एक समिति के गठन के लिए सहमत है जो इसके लिए प्रशासनिक उपाय सुझाएगी।

केंद्र सरकार की ओर से सॉलिसिटर जेनरल तुषार मेहता ने भारत के मुख्य न्यायाधीश डी.वाई. चंद्रचूड़ की अध्यक्षता वाली पांच सदस्यीय खंडपीठ को बताया कि पिछली सुनवाई के संदर्भ में यह मामला मानवीय चिंताओं से जुड़ा है और इस पर प्रशासनिक चर्चा की जरूरत है।

उन्होंने कहा कि कुछ प्रशासनिक कदम उठाने के लिए सरकार सकारात्मक है तथा उसकी राय है कि इसके लिए एक से अधिक मंत्रालयों के बीच तालमेल की जरूरत होगी और इसलिए कैबिनेट सचिव की अध्यक्षता में समिति बनाई जाएगी।

मेहता ने कहा कि याचिकाकर्ताओं के अधिवक्ता उन्हें सुझाव दे सकते हैं या वे जिन समस्याओं का सामना कर रहे हैं उसके बारे में बता सकते हैं। समिति उन पर विचार करेगी और कोशिश करेगी कि कानून के दायरे के तहत जहां तक संभव हो उनका निदान किया जाए।

याचिकाकर्ताओं में एक के अधिवक्ता अभिषेक मनु सिंघवी ने प्रशासनिक शब्द के इस्तेमाल पर आपत्ति दर्ज की। उन्होंने कहा कि जब याचिकाकर्ता वैधानिक प्रावधानों में बदलाव की मांग कर रहे हैं, ऐसे में कुछ लीपापोती से काम नहीं चलेगा। मामले की सुनवाई अभी जारी है।

उच्चतम न्यायालय ने 27 अप्रैल को सुनवाई के दौरान स्वीकार किया था कि समलैंगिक विवाह को मान्यता देने के लिए कानून बनाने का अधिकार केंद्र सरकार के पास है। उसने केंद्र से कहा था कि वह ऐसा तरीका ढूंढे ताकि विवाह को मान्यता दिए बिना भी समलैंगिक जोड़ों को बुनियादी सामाजिक सुविधाएं जैसे ज्वाइंट बैंक अकाउंट, जीवन बीमा में एक-दूसरे को नॉमनी बनाने जैसी सुविधाएं मिल सके।

इस खंडपीठ में मुख्य न्यायाधीश के अलावा अन्य सदस्य न्यायमूर्ति एस.के. कौल, एस. रवींद्र भट, हिमा कोहली और पी.एस. नरसिम्हा हैं। खंडपीठ ने केंद्र सरकार का पक्ष रख रहे सॉलिसिटर जेनरल तुषार मेहता से कहा था, अदालत के रूप में हम अपनी सीमाएं समझते हैं, इसके बारे में कोई प्रश्न नहीं है। कई मुद्दे हैं, निश्चित रूप से आपने वैधानिक पक्ष के बारे में अपने तर्क दिए हैं.. हमारे पास कोई मॉडल नहीं है.. और कोई मॉडल बनाना उचित भी नहीं होगा, लेकिन हम निश्चित रूप से सरकार को बता सकते हैं कि अब तक कानून कहां तक पहुंचा है।

मेहता ने कहा कि श्रेणी विशेष से जुड़ी समस्याओं का समाधान किया जा सकता है।

मुख्य न्यायाधीश ने कहा था, अब सरकार साथ रहने या साथ होने पर आधारित इन संबंधों को सुनिश्चित करने के लिए क्या कर सकती है ताकि उन्हें इस प्रकार मान्यता दी जा सके जिससे उनके लिए सुरक्षा, सामाजिक कल्याण की स्थिति बन सके और ऐसा करने के क्रम में हम यह सुनिश्चित कर सकें कि भविष्य में इस प्रकार के संबंधों का सामाजिक बहिष्कार न हो।

शीर्ष अदालत ने केंद्र से समलैंगिक जोड़ों को वैवाहिक मान्यता दिए बिना उन्हें दी जा सकने वाली सामाजिक सुविधाओं के बारे में 3 मई को अपना जवाब देने के लिए कहा था।

 

(आईएएनएस)

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Created On :   3 May 2023 1:30 PM IST

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