झारखंड के पूर्व सीएम शिबू सोरेन की हालत बिगड़ी, प्राथमिक उपचार के लिए रांची के अस्पताल में किए गए भर्ती, जाने झारखंड बनाने में क्या थी भूमिका

Former Jharkhand CM Shibu Sorens condition worsened, admitted to Ranchi hospital
झारखंड के पूर्व सीएम शिबू सोरेन की हालत बिगड़ी, प्राथमिक उपचार के लिए रांची के अस्पताल में किए गए भर्ती, जाने झारखंड बनाने में क्या थी भूमिका
पूर्व सीएम की हेल्थ बिगड़ी झारखंड के पूर्व सीएम शिबू सोरेन की हालत बिगड़ी, प्राथमिक उपचार के लिए रांची के अस्पताल में किए गए भर्ती, जाने झारखंड बनाने में क्या थी भूमिका

डिजिटल डेस्क,रांची। झारखंड की राजनीति से जुड़ी एक बड़ी खबर आई है। झारखंड मुक्ति मोर्चा के सुप्रीमो और पूर्व मुख्यमंत्री शिबू सोरेन की तबीयत खराब होने की खबर आई है। जिन्हें स्वास्थ्य उपचार के लिए राजधानी रांची के मेदांता अस्पताल में भर्ती कराया गया है। मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक, पूर्व मुख्यमंत्री को सांस संबंधित रोग की शिकायत मिली है। जिसके बाद उन्हें तुरंत अस्पताल में शिफ्ट किया गया है। 

हेल्थ बुलेटिन हुआ जारी

राजधानी में स्थित मेदांता अस्पताल के चिकित्सा अधीक्षक अजीत सिंह ने शिबू सोरेन का हेल्थ बुलेटिन जारी करते हुए कहा कि, "सांस फूलने की शिकायत के बाद शिबू सोरेन को एक घंटे पहले अस्पताल लाया गया है। पांच सदस्यीय मेडिकल बोर्ड प्रारंभिक टेस्ट कर रहा है। उन्हें अभी तक भर्ती नहीं किया गया है, लेकिन टेस्ट किया जा रहा है।"

कौन हैं शिबू सोरेन?

झारखंड की राजनीति में शिबू सोरेन एक बड़ा नाम है। शिबू सोरेन का जन्म 11 जनवरी साल 1944 में रामगढ़ जिले में हुआ था। इनका जन्म एक छोटे से गांव में तो हुआ लेकिन आज यह झारखंड की राजनीती में एक बड़ा नाम है।  शिबू सोरेन राजनीति में साल 1970 से सक्रिय हैं। पूर्व मुख्यमंत्री शिबू सोरेन को आदिवासियों का हितधारक माना जाता है। उनका आदिवासियों को बाहरी हितों से उनके जमीन को छुड़ा कर दोबारा उन्हें सौंपना काफी सुर्खियों में रहा था। झारखंड मुक्ति मोर्चा का आंदोलन साल 1973 में शिबू सोरेन और अन्य लोगों के द्वारा किया गया था। जिसका लक्ष्य बिहार राज्य के पूर्वी भाग को दक्षिणी हिस्सों से अलग करना था। जो साल 2000 में हुआ और एक नया राज्य झारखंड का गठन भी हुआ। 

कब बने थे झामुमो के अध्यक्ष?

शिबू सोरेन ने झामुमो को बढ़ाने के लिए अल्पसंख्यक लोगों, और औद्योगिक खदान श्रमिकों को आधार बनाकर पार्टी को विस्तार करने में अपनी अहम भूमिका निभाई थी। बता दें कि, पहली बार साल 1987 में वो झामुमो के अध्यक्ष बनें।

Created On :   9 Feb 2023 6:20 PM IST

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