हथकड़ी की जिद पर अड़ गईं थीं इंदिरा गांधी, क्या दादी की तरह कुशल राजनीति का परिचय दें पाएंगे,  कानून कचहरी की कठिन परिस्थितियों में फंसे राहुल गांधी?

Efficient like Indira will be able to introduce politics, Rahul Gandhi trapped in difficult situations of law court
हथकड़ी की जिद पर अड़ गईं थीं इंदिरा गांधी, क्या दादी की तरह कुशल राजनीति का परिचय दें पाएंगे,  कानून कचहरी की कठिन परिस्थितियों में फंसे राहुल गांधी?
नेशनल हेराल्ड हथकड़ी की जिद पर अड़ गईं थीं इंदिरा गांधी, क्या दादी की तरह कुशल राजनीति का परिचय दें पाएंगे,  कानून कचहरी की कठिन परिस्थितियों में फंसे राहुल गांधी?
हाईलाइट
  • कुशल राजनीति का परिचय दें पाएंगे राहुल

डिजिटल  डेस्क, नई दिल्ली।  कांग्रेस के पूर्व अध्यक्ष राहुल गांधी आज नेशनल हेराल्ड मामले में ईडी दफ्तर में पेश हुए। इसके लिए कुछ दिन पहले प्रवर्तन निदेशालय की तरफ से आठ साल पुराने केस में गांधी परिवार में कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी और राहुल गांधी को समन भेजा था।

कानून के जाल में फंसते देख शुरू से ही कांग्रेस ने इसे अपने पक्ष में भुनाना शुरू कर दिया, और पहले की तरह ही कांग्रेस ने जांच एजेंसियों के दुरुपयोग को लेकर केंद्र सरकार पर आरोप लगाना शुरू कर दिया। इसके लिए कांग्रेस ने देशभर में सत्याग्रह और प्रेस कॉन्फ्रेस की। और केंद्र की मोदी सरकार पर राजनैतिक द्वेष में जांच एजेंसियों के गलत इस्तेमाल का आरोप लगाया। 

आज जब कांग्रेस नेता राहुल गांधी ईडी दफ्तर पहुंचे, उससे पहले कांग्रेस के हजारों नेताओं ने विरोध प्रदर्शन किए और मोदी सरकार के खिलाफ नारेबाजी की। 
कांग्रेस को कानूनी पेंच में फंसते देख राजनीतिक गलियारों में ये खबरें तैरने लगी कि कानून कचहरी की कठिन परिस्थितियों में कांग्रेस सफलता की सीढ़ी चढ़ेगी। और इंदिरा गांधी की तरह प्रियंका और राहुल गांधी कुशल राजनीति का परिचय दें पाएंगे।

जानकारों के मुताबिक राजनीति के इतिहास में  विपक्ष में रहते हुए कांग्रेस ने कई दफा कानून के पचड़ों से निकलकर सियासी वापसी की है। समय समय पर  अदालतों और कानून की कार्रवाईयों का सामने करते हुए गांधी नेहरू परिवार ने संघर्ष और सफलता का कुशल परिचय देते हुए, निडर लड़ाई का परिचय भी दिया है। 

सहानुभूति और राजनीतिक लाभ के लिए लड़ाई 
इंदिरा गाँधी  दिसंबर 1978 में तिहाड़ जेल में गई थी। और तत्कालीन मोरारजी देसाई सरकार पर कई तरह के आरोप लगे थे।
अब सवाल ये है कि नेशनल हेराल्ड केस का राजनीतिक लाभ कांग्रेस भुनाने में जुटी तो है लेकिन वर्तमान समय 1977,1979 का नहीं है, ना ही सोनिया गाँधी इंदिरा गांधी हैं,हां लेकिन राजनीतिक गलियारों और समाचारों की सुर्खियों में प्रियंका गांधी को जरूर इंदिरा गांधी के तौर पर  माना जा रहा है। अब देखना है कि प्रियंका गांधी इस संघर्ष का कितना लाभ कांग्रेस को दिला पाती हैं। इससे पहले जिस तरह से इंदिरा गाँधी हथकड़ी का सफलतापूर्वक इस्तेमाल कर पाई, ऐसा उनका बेटा संजय गांधी भी नहीं कर पाए थे। कांग्रेस के एक और नेता पूर्व अध्यक्ष व पूर्व पीएम पीवी नरसिम्हा राव  भी एक बार कानून की फंदे में फंसे थे लेकिन दोनों ही नेता जनता से न तो कोई सहानुभूति बटोर पाए, ना ही कोई राजनीतिक लाभ ले सकें।

हथकड़ी की जिद पर अड़ गईं थी इंदिरा
इससे पहले 3 अक्टूबर 1977 को इंदिरा गांधी पर कार्रवाई हुई थी। संजय गांधी को पांच से छह दफा अदालतों के चक्कर काटने पड़ें थे, और कानूनी लड़ाईयां लड़नी पड़ी।जहां तक की जेल भी जाना पड़ा। पूर्व प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी ने इन कानूनी कार्रवाईयों को उपयोग अपने पक्ष में माहौल बनाने में किया और सफलता भी हासिल की। आज कांग्रेस के सामने फिर से वहीं सवाल खड़ा हो गया है कि क्या कानून के फंदे में फंसे राहुल गांधी अपनी दादी के नक्शों कदमों पर चलते हुए उस कौशल को रिपीट कर सकते है। और आने वाले चुनावों में मोदी को मात देकर सत्ता की सफल गद्दी पर बैठ सकते है। हालफिलहाल भविष्य के इस सवाल पर मौन रहना उचित होगा लेकिन समय पलटने में देर लगती और इसे कांग्रेस की कुशल राजनीति और संघर्ष के साथ आने वाले समय पर छोड़ देते है।

हथकड़ी को बनाया राजनीति का हथियार

कोरोना संक्रमित के कारण बिगड़ते स्वास्थ के चलते कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गाँधी कल ही गंगाराम अस्पताल में भर्ती हुई थी। लेकिन सोनिया गांधी को भी ईडी ने नेशनल हेराल्ड मामले में पूछताछ के लिए समन भेजा है। इससे पहले हम आपको बता दें सोनिया गांधी का कहीं अपनी सास इंदिरा गांधी की तरह प्लान तो नहीं है जो सोनिया ने इंदिरा गाँधी के घर में चाय बनाते हुए रसाई से देखा था। 
आपको बता दें 3 अक्टूबर 1977 को जब सीबीआई अधिकारी एनके सिंह इंदिरा गाँधी को अरेस्ट करने आए थे तब सोनिया गाँधी किचन में चाय बना रही थी। सोनिया ने देखा कि सासू मां  इंदिरा गांधी सीबीआई अधिकारी से हथकड़ी लगाकर ले जाने की बात कह रही है। इस समय इंदिरा गांधी ने सीबीआई ऑफीसर को साफ शब्दों में कहा कि बिना हथकड़ी लगाई वे नहीं जाएंगी। बहस बयानबाजी और तीखी नोंक झोंक बढ़ती रही और समय बीतता जा रहा था। इसी बीच संजय गाँधी ने कांग्रेस कार्यकर्ताओं को इकट्ठा कर लिया और  तमाम मीडिया वहां पहुंच गई। ताकि इंदिरा को हथकड़ी लगे और वह कैमरे में दर्ज हो जाए। हालांकि इस हथकड़ी का ड्रामा सिर्फ और सिर्फ राजनीति के लिए किया जा रहा था। जिसका लाभ कांग्रेस को आने वाले चुनावों में मिला भी।

 

Created On :   13 Jun 2022 4:31 PM IST

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