उपचुनाव में हार के बाद भाजपा की पश्चिम बंगाल इकाई में असंतोष

Discontent in BJPs West Bengal unit after bypoll defeat
उपचुनाव में हार के बाद भाजपा की पश्चिम बंगाल इकाई में असंतोष
बीजेपी की बढ़ी बेचैनी उपचुनाव में हार के बाद भाजपा की पश्चिम बंगाल इकाई में असंतोष

डिजिटल डेस्क, नई दिल्ली। आसनसोल लोकसभा और बालीगंज विधानसभा क्षेत्र के उपचुनावों में हालिया हार ने भाजपा की पश्चिम बंगाल इकाई के बीच की खाई को चौड़ा कर दिया है। कई जिला स्तरीय पदाधिकारियों ने अपने पद से इस्तीफा दे दिया है, जबकि वरिष्ठ नेताओं ने राज्य के नेताओं पर सवाल उठाए हैं। सत्तारूढ़ ममता बनर्जी की टीएमसी से भाजपा लोकसभा और विधानसभा दोनों उपचुनाव हार गई है। भाजपा ने 2014 और 2019 में दो बार आसनसोल लोकसभा पर जीत हासिल की थी।

हालांकि इस बार यहां हुए उपचुनाव में अभिनेता से नेता बने शत्रुघ्न सिन्हा ने आसनसोल से भाजपा के अग्निमित्र पॉल को तीन लाख से अधिक मतों से हराया। वहीं दूसरी ओर नरेंद्र मोदी सरकार में पूर्व मंत्री और टीएमसी उम्मीदवार बाबुल सुप्रियो ने बालीगंज विधानसभा क्षेत्र से जीत हासिल की। यहां भाजपा दूसरा स्थान भी प्राप्त नहीं कर पाई और वह वामपंथी उम्मीदवार के बाद तीसरे स्थान पर रही।

उपचुनाव के परिणाम की घोषणा के बाद एक दर्जन से अधिक जिला स्तरीय पदाधिकारियों ने इस्तीफा दे दिया है। इस्तीफा देने वालों में मुर्शिदाबाद के विधायक गौरी शंकर घोष हैं, जो कि राज्य सचिव के पद पर थे। पश्चिम बंगाल बीजेपी के एक वरिष्ठ नेता ने कहा कि टीएमसी से आने वालों को बहुत अधिक महत्व देना और वर्षों से पार्टी का निर्माण करने वाले वफादार कार्यकर्ता को दरकिनार करना कैडर और वर्तमान राज्य नेतृत्व के बीच अंतर का मुख्य कारण है।

उन्होंने कहा, प्रत्येक बीतते दिन के साथ, राज्य नेतृत्व और पार्टी के वफादारों के बीच अंतर बढ़ रहा है। राज्य नेतृत्व सभी को एक साथ रखने के लिए कार्य करने में विफल रहा है। केंद्रीय नेतृत्व को पिछले साल के विधानसभा चुनावों के बाद पार्टी को हुए नुकसान को नियंत्रित करने के लिए हस्तक्षेप करना चाहिए।

बिष्णुपुर से लोकसभा सदस्य सौमित्र खान ने भी कथित तौर पर हार के लिए राज्य नेतृत्व पर निशाना साधा और सुझाव दिया कि तृणमूल का कड़ा मुकाबला किया जाना चाहिए। भाजपा के एक अन्य वरिष्ठ नेता ने कहा, खान ने सुझाव दिया है कि अगर पार्टी टीएमसी से लड़ना चाहती है तो भाजपा नेतृत्व को सुधारात्मक कदम उठाने चाहिए। उन्होंने यह भी सुझाव दिया कि अक्षम और अनुभवहीन नेताओं को राजनीतिक परिपक्वता वाले व्यक्ति के साथ प्रतिस्थापित किया जाना चाहिए अन्यथा टीएमसी को हराना मुश्किल होगा।

पिछले साल हुए विधानसभा चुनाव में टिकट बंटवारे से लेकर टीएमसी से पार्टी में शामिल हुए नेताओं को तवज्जो देने को लेकर बीजेपी कैडर में नाराजगी है। एक अन्य नेता ने कहा, कार्यकर्ता और नेता, जिन्होंने पार्टी को ईंट से ईंट जोड़कर बनाया है, वे टीएमसी से आए नेताओं को महत्व देने के तरीके से उपेक्षित महसूस कर रहे हैं। पार्टी को उनकी मेहनत को नहीं भूलना चाहिए और उन्हें उचित सम्मान देना चाहिए।

(आईएएनएस)

Created On :   19 April 2022 8:00 PM IST

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