गुजरात में विकास अभियान की शुरुआत, पर सांप्रदायिक बंटवारे का भूत भी छुपा है
डिजिटल डेस्क, गांधीनगर। गुजरात विधानसभा चुनाव में विकास, विपक्ष की विफलता, गुजरात के लोग जो चाहते हैं, उसके लिए योजना, नशीली दवाओं की तस्करी, कानून-व्यवस्था जैसे प्रमुख मुद्दे देखने को मिलेंगे। हालांकि, एक बार जब प्रचार तेज हो जाता है तो सांप्रदायिक ध्रुवीकरण इन सभी मुद्दों से आगे निकल सकता है, जैसा कि पिछले कुछ चुनावों में अनुभव रहा है।
पार्टी के मुख्य प्रवक्ता यमल व्यास ने कहा, भारतीय जनता पार्टी सरकार ने पिछले 20 वर्षो में कई विकास कार्य किए हैं, पार्टी सौराष्ट्र-कच्छ और उत्तरी गुजरात के लिए सौनी, सुजलाम सुफलाम सिंचाई और पेयजल परियोजनाओं को लाने, राज्य में औद्योगिक निवेश से रोजगार पैदा करने जैसे मुद्दों को उठाएगी। रूफ टॉप सोलर प्रोग्राम से लाखों घरों को फायदा हुआ, सब्सिडी देने वाली इलेक्ट्रिक व्हीकल पॉलिसी, कृषि नीति, अहमदाबाद और सूरत के लिए मेट्रो ट्रेन, गुजरात के लिए हाई स्पीड ट्रेन से पार्टी लगातार छठी बार लोगों का दिल जीतेगी। विकास कार्यो के अलावा, पार्टी समाज के कई स्तरों और क्षेत्रों में सर्वेक्षण कर रही है, जिससे नागरिकों की प्रतिक्रिया प्राप्त हो रही है कि भाजपा सरकार से उनकी अपेक्षाएं क्या हैं। व्यास ने कहा कि फीडबैक के आधार पर नया विकास रोड मैप तैयार किया जाएगा और लागू किया जाएगा।
इसमें कोई संदेह नहीं कि चुनाव प्रचार की शुरुआत विकास के मुद्दों से होगी, लेकिन जैसे-जैसे चुनाव नजदीक आता जाएगा, प्रचार का स्वर धीरे-धीरे बदलेगा और सांप्रदायिक आधार पर मतदाताओं का ध्रुवीकरण करने में बदल जाएगा। अर्थशास्त्री और राजनीतिक विश्लेषक हेमंत शाह ने कहा, एक बार उम्मीदवारों का नामांकन पूरा हो जाने के बाद, यह चरम पर पहुंच जाएगा। शाह का मानना है कि राज्य के ज्वलंत मुद्दे गुणवत्तापूर्ण शिक्षा और निजीकरण, 300 यूनिट तक मुफ्त बिजली, संविदात्मक रोजगार हैं, जिन पर अभियान में बहस होनी चाहिए, लेकिन ये ठंडे बस्ते में हैं।
कांग्रेस के वरिष्ठ नेता दीपक बाबरिया कहते हैं, राज्य की जनता महंगाई, उच्च शिक्षा खर्च, लोकतंत्र के लिए सिकुड़ती जगह, भ्रष्टाचार, गुजरात नशे का अड्डा बनने, बिगड़ती कानून व्यवस्था, मानव तस्करी में वृद्धि से जूझ रही है। उन्होंने कहा कि भाजपा इन मुद्दों पर बात नहीं करना चाहेगी, लेकिन कांग्रेस का अभियान इन्हीं पर केंद्रित रहेगा। लेकिन उन्हें यह भी डर है कि अभियान के अंतिम चरण में जाति की राजनीति व सांप्रदायिक ध्रुवीकरण सबसे आगे होंगे और मुख्य मुद्दे छाया में चले जाएंगे।
(आईएएनएस)
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Created On :   13 Aug 2022 4:00 PM IST