सत्ता में होने के बावजूद भी गुजरात में बीजेपी नहीं लहरा पाई इन दर्जनभर सीटों पर अपना परचम, कांग्रेस भी नहीं खोल पाई इन सीटों पर खाता
डिजिटल डेस्क, गांधीनगर। गुजरात विधानसभा चुनाव का बिगुल बज चुका है। कुछ ही दिन में चुनाव की तारीख की घोषणा भी केंद्रीय चुनाव आयोग करने वाला है। बीजेपी वर्ष 1995 से ही सत्ता पर काबिज है। इस बार चुनाव में बीजेपी पूरी ताकत के साथ मैदान में उतरी है और मुख्य विपक्षी पार्टी कांग्रेस भी सत्ता में वापसी को लेकर संघर्ष कर रही है।
एक तरफ बीजेपी अपनी ताकत उन विधानसभा सीट पर झोंक रही हैं, जहां वह सत्ता में रहने के बावजूद भी डेढ़ दशक से तकरीबन एक दर्जन सीट जीतने में नाकाम रही है। तो वहीं कांग्रेस भी इसी अवधि के दौरान राज्य की करीब चार दर्जन सीटों पर जीत का इंतजार कर रही है।
ये सीटें बनी अभेद्य किला
चुनाव आयोग की वेबसाइट से प्राप्त आंकड़ों के मुताबिक, 1998 से लेकर 2017 तक गुजरात में कुल पांच विधानसभा चुनाव हुए हैं। इस दौरान भाजपा करीब एक दर्जन सीटों पर जीत नहीं दर्ज कर पाई। इस बार बीजेपी के लिए ये सीटें चुनौती बनी हुई हैं। बीजेपी इन सीटों पर करीब 27 साल से अभी तक जीत नहीं दर्ज कर पाई है।
जिला | विधानसभा सीट |
बनासकांठा |
दांता |
साबरकांठा |
खेडब्रह्मा |
अरवल्ली |
भिलोड़ा |
राजकोट |
जसदण और धोराजी |
खेड़ा |
महुधा |
आणंद |
बोरसद |
भरूच |
झगाडिया |
तापी |
व्यारा |
इन विधानसभा सीटों में से दांता, झागड़िया, भिलोड़ा, खेडब्रह्मा और व्यारा अनुसूचित जनजाति के लिए आरक्षित सीटें हैं। जबकि धोराजी, महुधा, जसडण और महुधा सीटें सामान्य श्रेणी में आती हैं। वलसाड जिले की कपराडा एक ऐसी अनुसूचित जनजाति की आरक्षित सीट है। जिसे बीजेपी 1998 के बाद से किसी भी विधानसभा चुनाव में आज तक नहीं जीत पाई।
इसी प्रकार परिसीमन से पहले खेड़ा जिले में कठलाल विधानसभा सीट थी लेकिन आजादी के बाद से इस सीट पर कांग्रेस का ही कब्जा रहा है। बीजेपी ने पहली बार वर्ष 2010 में इस सीट पर उपचुनाव में जीत दर्ज की। उस दौरान पीएम मोदी गुजरात के तत्कालीन मुख्यमंत्री थे। हालांकि परिसीमन के बाद कठलाल सीट को खत्म कर उसका कपडवंज में विलय कर दिया गया। फिर भी कांग्रेस ने 2012 व 2017 के विधानसभा चुनाव में इस सीट पर अपना परचम लहराया था।
अनुसूचित जनजाति वाली सीटें बनी भाजपा की मुसीबत
बीजेपी अभी तक जिन सीटों पर काबिज नहीं हो पाई है, वो सभी सीटें अनुसूचित जनजाति श्रेणी से आती हैं। गुजरात विधानसभा में कुल 182 सदस्य हैं। जिनमें से 27 सीट अनुसूचित जाति व 13 अनुसूचित जनजाति के लिए आरक्षित हैं। इस साल के अंत में गुजरात विधानसभा का चुनाव होना तय है। ऐसे में बीजेपी एक बार फिर इन सीटों पर नजर टिकाए हुए है। गौरतलब है कि बीजेपी का गुजरात में नब्बे के दशक से ही दबदबा रहा है। 1995 के बाद से साल 2017 विधानसभा चुनाव को छोड़ दिया जाए तो भाजपा का प्रदर्शन शानदार रहा है। 2017 में बीजेपी का प्रदर्शन काफी खराब रहा है जबकि इसके उलट कांग्रेस ने जबरदस्त प्रदर्शन किया था। हालांकि सरकार बीजेपी ने ही बनाई थी।
इन सीटों पर रहा कांग्रेस का निराशाजनक प्रदर्शन
कांग्रेस का अभी तक इन सीटों पर प्रदर्शन काफी खराब रहा है। आइए टेबल के माध्यम से समझते हैं।
जिला | विधानसभा सीट |
अहमदाबाद |
दसक्रोई, साबरमती, एलिस ब्रिज, असारवा, मणिनगर और नरोदा |
सूरत |
मांडवी, मंगरोल, ओलपाड़, महुवा और सूरत उत्तर |
वडोदरा |
वडोदरा, रावपुरा और वाघोडिया |
नवसारी |
नवसारी, जलालपुर और गणदेवी |
भरूच |
अंकलेश्वर |
खेड़ा |
नादियाड |
पंचमहल |
सेहरा |
साबरकांठा |
इडर |
मेहसाणा |
विसनगर |
बोताड़ |
बोताड़ |
जूनागढ़ |
केशोद |
पोरबंदर |
कुटियाना |
राजकोट |
गोंडल |
सुरेंद्रनगर |
वधावन |
इन सभी सीटों में ज्यादातर सीटें सामान्य श्रेणी में आती हैं। जबकि कुछ अनसूचित जाति व अनुसूचित जनजाति वर्ग के लिए आरक्षित हैं। इतने लंबे समय तक सत्ता में रहने के बावजूद बीजेपी केवल गुजरात के अधिकांश शहरी क्षेत्रों में ही जीत दर्ज कर सकी है। जबकि आरक्षित वर्ग की सीटों पर निराशा ही हाथ लगी है। हालांकि, कांग्रेस सत्ता से दूर रहने के बावजूद भी बीजेपी को कड़ी टक्कर दी है। माना जा रहा है कि भाजपा ने पिछले दिनों जिन पांच गुजरात गौरव यात्रा को रवाना किया। उनके मार्गों में आदिवासी बहुल इलाकों को तवज्जो दिया गया है।
इससे स्पष्ट है कि इस बार बीजेपी आरक्षित सीटों पर नजर बनाए हुए है। 2017 के विधानसभा चुनाव में बीजेपी को 99 सीटें मिली थीं। इनमें 9 सीट अनुसूचित जनजाति, जबकि 7 सीट अनुसूचित जाति के लिए। कांग्रेस ने पिछले चुनाव में 77 सीटों पर जीत दर्ज की थी। जो कि विधानसभा चुनाव में अब तक का सबसे बेहतर प्रदर्शन माना जा रहा है। इनमें से 15 सीट अनुसूचित जनजाति और 5 सीट अनुसूचित जाति के लिए आरक्षित थी।
Created On :   16 Oct 2022 5:00 PM IST