दिल्ली हाईकोर्ट आप की नेता जैस्मीन शाह की याचिका पर 29 मार्च को करेगी सुनवाई
- विशेषाधिकार और सुविधाओं का उपयोग करने से भी प्रतिबंधित
डिजिटल डेस्क, नई दिल्ली। दिल्ली हाईकोर्ट ने बुधवार को आम आदमी पार्टी (आप) की नेता जैस्मिन शाह की उस याचिका पर सुनवाई स्थगित कर दी, जिसमें उपराज्यपाल विनय कुमार सक्सेना के डायलॉग एंड डेवलपमेंट कमीशन (डीडीसीए) के वाइस चेयरमैन के तौर पर उनके कर्तव्यों के निर्वहन पर रोक लगाने के फैसले को चुनौती दी गई है। हाईकोर्ट ने अगली सुनवाई की तारीख 29 मार्च तय की।
एलजी ने शाह को कार्यालय से जुड़े किसी भी विशेषाधिकार और सुविधाओं का उपयोग करने से भी प्रतिबंधित कर दिया था। अतिरिक्त सॉलिसिटर जनरल संजय जैन ने मामले में स्थगन की मांग की, क्योंकि उन्हें शीर्ष अदालत के समक्ष मृत्यु संदर्भ मामले में बहस करनी थी। उन्होंने कहा कि यह आंशिक रूप से सुना गया था और पूरे दिन सबमिशन में चला जाएगा, क्योंकि यह लाजपत नगर बम विस्फोट मामले से संबंधित है।
जैस्मिन शाह की ओर से पेश हुए वरिष्ठ अधिवक्ता राजीव नायर ने तर्क दिया कि उन्होंने इस मामले में लंबी बहस की है और कोई अंतरिम आदेश नहीं है। इसके बाद कोर्ट ने मामले की सुनवाई स्थगित कर दी। 9 फरवरी को नैयर ने तर्क दिया था कि पूरी शक्ति विधानसभा के पास है और नियुक्ति और हटाने की शक्ति केवल मुख्यमंत्री के पास है। ट्रांजैक्शन ऑफ बिजनेस (संशोधन) नियमों का जिक्र करते हुए उन्होंने कहा था, उपराज्यपाल को मुख्यमंत्री या उनके वकील के संदर्भ में नियमों की कार्रवाई का पालन करना चाहिए।
हाईकोर्ट ने 13 दिसंबर को कहा था कि मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल और एलजी सक्सेना के बीच शाह को डीडीसीडी के अध्यक्ष पद से हटाने पर आम सहमति के अभाव में मामला राष्ट्रपति के पास भेजा गया है। अदालत को यह भी बताया गया कि अनुच्छेद 239एए के तहत शक्तियों के प्रयोग में एलजी ने आदेश दिया है कि जैस्मिन शाह को डीडीसीडी कार्यालय में तब तक अनुमति नहीं दी जाएगी, जब तक राष्ट्रपति इस मुद्दे पर फैसला नहीं लेते।
एलजी ने कहा था कि जब तक राष्ट्रपति इस मामले पर कोई फैसला नहीं लौटाते, तब तक पार्टियों के लिए आगे कोई कार्रवाई नहीं करना समझदारी होगी। 28 नवंबर को जैस्मिन शाह ने एलजी के कार्यो को चुनौती देने के लिए हाईकोर्ट का रुख किया, अदालत ने एलजी से जवाब मांगा।
सक्सेना ने 18 नवंबर को सीएम केजरीवाल से जैस्मिन शाह को डीडीसीडी की उपाध्यक्ष के रूप में अपने कर्तव्यों का निर्वहन करने और कार्यालय से जुड़े किसी भी विशेषाधिकार और सुविधाओं का उपयोग करने से रोकने के लिए कहा था। न्यायमूर्ति प्रतिभा एम. सिंह की एकल-न्यायाधीश की पीठ ने कहा था कि वह यह तय करने से पहले एलजी की प्रतिक्रिया की जांच करेगी कि क्या वह इस तरह का आदेश पारित कर सकते थे।
न्यायाधीश ने कहा था कि वह रिकॉर्ड पर हलफनामे के बिना मुद्दों से नहीं निपट सकती हैं और प्रतिवादियों को सुनवाई की अगली तारीख से पहले हलफनामा दाखिल करने के लिए कहा था। इसने दिल्ली के एनसीटी के निदेशक (योजना) सरकार और स्थानीय सब-डिविजनल मजिस्ट्रेट (एसडीएम) से भी जवाब मांगा था। सिविल लाइंस के एसडीएम द्वारा 17 नवंबर की देर रात शाह के कार्यालय को सील कर दिया गया था। उपराज्यपाल की ओर से पेश एएसजी जैन ने अदालत से कहा था कि इस मामले में बड़े मुद्दे शामिल हैं।
आईएएनएस
डिस्क्लेमरः यह आईएएनएस न्यूज फीड से सीधे पब्लिश हुई खबर है. इसके साथ bhaskarhindi.com की टीम ने किसी तरह की कोई एडिटिंग नहीं की है. ऐसे में संबंधित खबर को लेकर कोई भी जिम्मेदारी न्यूज एजेंसी की ही होगी.
Created On :   15 March 2023 11:30 PM IST