कांग्रेस ने संसदीय समिति की रिपोर्ट के बाद 2019 के हाउडी मोदी कार्यक्रम पर निशाना साधा
डिजिटल डेस्क, नई दिल्ली। कॉर्पोरेट टैक्स में कटौती के कारण हुए नुकसान पर संसदीय प्राक्कलन समिति द्वारा 8 अगस्त को पेश रिपोर्ट में अलग-अलग दावे किए जाने के बाद कांग्रेस ने केंद्र सरकार पर निशाना साधा है और आरोप लगाया है कि टैक्स में कटौती का फैसला गलत था, जो 22 सितंबर, 2019 को अमेरिका में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के हाउडी मोदी कार्यक्रम से ठीक दो दिन पहले लिया गया था।
कांग्रेस ने सवाल उठाया, क्या यह अमेरिका जाने के लिए एक अनिवार्य शर्त थी? पार्टी प्रवक्ता गौरव वल्लभ ने यहां मंगलवार को एक संवाददाता सम्मेलन को संबोधित करते हुए कहा, 20 सितंबर, 2019 को कॉर्पोरेट टैक्स में कटौती से पहले दो वर्षो में 1.84 लाख करोड़ रुपये का राजस्व घाटा होने के बावजूद सरकार ने 30 के बेस रेट से कॉर्पोरेट टैक्स में कटौती की घोषणा की। मौजूदा फर्मो के लिए बिना छूट 22 प्रतिशत और नई विनिर्माण इकाइयों के लिए 18 से 15 प्रतिशत कटौती की घोषणा की गई।
उन्होंने कहा, यह घोषणा 22 सितंबर, 2019 को अमेरिका के ह्यूस्टन में आयोजित हाउडी मोदी कार्यक्रम से ठीक दो दिन पहले की गई थी। राजकोषीय संकट के बीच दर में कटौती की गई थी, जैसा कि उसी महीने वित्तमंत्री ने गोवा की जीएसटी परिषद की बैठक में राज्यों को बताया था कि केंद्र के पास पैसा नहीं है और वह अब जीएसटी मुआवजा नहीं देगा। कांग्रेस ने कहा, पिछले तीन सालों से सरकार ने बार-बार दावा किया था कि कॉर्पोरेट टैक्स में कटौती से कॉर्पोरेट टैक्स कलेक्शन बढ़ाने में मदद मिलेगी, लेकिन संसदीय प्राक्कलन समिति ने 8 अगस्त, 2022 को सौंपी अपनी रिपोर्ट में अलग-अलग दावे किए। पैनल ने कहा कि 2019 के कॉर्पोरेट टैक्स में कटौती से 1.84 लाख करोड़ रुपये का नकारात्मक राजस्व प्रभाव पड़ा।
वल्लभ ने कहा, इस तरह की दरों में कटौती कॉर्पोरेट्स तक ही सीमित क्यों है, मध्यम वर्ग पर 30 प्रतिशत की चरम आयकर दर (वह भी बिना खर्चे को सेट किए) और कॉर्पोरेट्स पर 15 प्रतिशत या 22 प्रतिशत पर कर क्यों लगाया जाता है? उन्होंने कहा, वित्तवर्ष 20 में 87,835.75 करोड़ रुपये का राजस्व घाटा और वित्तवर्ष 21 में 96,399.74 करोड़ रुपये का राजस्व घाटा हुआ। सभी खर्चो के लिए लेखांकन के बाद कॉर्पोरेट लाभ पर कर का भुगतान किया जाता है। सीएमआईई के अनुसार, 30,000 कंपनियों (5,000 सूचीबद्ध और 25,000 गैर-सूचीबद्ध) ने वित्तवर्ष 2015 में शुद्ध लाभ में 138 प्रतिशत की वृद्धि की। वित्तवर्ष 22 में अकेले सूचीबद्ध कंपनियों के मुनाफे में वित्तवर्ष 2011 की तुलना में 66.2 प्रतिशत की वृद्धि हुई।
उन्होंने कहा कि एसबीआई के शोधपत्र के अनुसार, कॉर्पोरेट टैक्स में कटौती ने वित्तवर्ष 21 के लिए शीर्ष पंक्ति में 19 प्रतिशत का योगदान दिया। इसलिए कॉर्पोरेट टैक्स में कटौती ने कॉर्पोरेट मुनाफे में वृद्धि में योगदान दिया, लेकिन कॉर्पोरेट कर संग्रह में वृद्धि नहीं की और आरबीआई के अनुसार, कॉर्पोरेट टैक्स में कटौती का उपयोग कंपनियों द्वारा सीईपीएएक्स चक्र को फिर से शुरू करने के बजाय ऋण सेवा, नकद शेष राशि और अन्य मौजूदा परिसंपत्तियों के निर्माण में किया गया है। वास्तव में वित्तवर्ष 22 में पूंजीगत व्यय महज 2.3 प्रतिशत बढ़ा, जो छह साल का निचला स्तर है। इसलिए, भारत में कॉर्पोरेट टैक्स में कटौती के कारण कोई निवेश या रोजगार सृजन नहीं हुआ था और इसके ऊपर कॉर्पोरेट टैक्स संग्रह वित्तवर्ष 2011 (वास्तविक) में 5,56,876 करोड़ रुपये से गिरकर वित्तवर्ष 2011 (वास्तविक) में 4,57,719 करोड़ रुपये हो गया। कांग्रेस ने कहा कि अमीरों के लिए कर में कटौती से लघु और मध्यम अवधि, दोनों में उच्च आय असमान होती है। इसके विपरीत, इस तरह के सुधार आर्थिक विकास या बेरोजगारी को महत्वपूर्ण रूप से प्रभावित नहीं करते हैं।
(आईएएनएस)
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Created On :   16 Aug 2022 5:00 PM IST