सीएम कुर्सी संकट के बीच कांग्रेस बोली: चुनाव आयोग के फैसले का होगा स्वागत
डिजिटल डेस्क, नई दिल्ली। झारखंड के मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन की कुर्सी पर संकट के बादल मंडरा रहे हैं। मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन की सदस्यता को लेकर निर्वाचन आयोग ने अपनी रिपोर्ट राज्यपाल को सौंप दी है। कांग्रेस वरिष्ठ नेता और झारखंड प्रभारी अविनाश पांडे ने कहा है, झारखंड सीएम के विधानसभा सदस्य्ता को लेकर काफी गहमा गहमी है। मैं कांग्रेस पार्टी के साथ के प्रभारी की हैसियत से कह रहा हूं चुनाव आयोग का जो भी निर्णय होगा हम उसका स्वागत करेंगे।
इससे पहले झारखंड सीएम हेमंत सोरेन ने भाजपा पर सरकारी संस्थाओं के घोर दुरुपयोग का आरोप लगाया है। उन्होंने कहा है कि, उनकी विधानसभा सदस्यता से जुड़े मामले में केंद्रीय निर्वाचन आयोग और राज्यपाल की ओर से अब तक कोई सूचना नहीं मिली है, पर उन्हें ऐसी खबरों के बारे में पता चला है, जिसमें कहा जा रहा है कि निर्वाचन आयोग ने उनकी विधानसभा की सदस्यता रद्द करने की सिफारिश की है।
अविनाश पांडे ने आगे कहा, यह भी बात किसी से छिपी नहीं है कि जिस दिन से झारखंड में महागठबंधन की सरकार बनी है तब से भारतीय जनता पार्टी हर तरीके के मापदंड अपना कर वहां की सरकार को कमजोर करने का प्रयास कर रही है। चाहे फिर वह संवैधानिक संस्थाओं का दुरुपयोग क्यों ना हो, ईडी सीबीआई व अन्य सभी एजेंसी के माध्यम से एक जैसी परेशानी उत्पन्न करके जितने भी विकास कार्य हैं उस में अड़चन ला रही है।
हम अपने घटक दलों के साथ इस मसले पर चर्चा करेंगे और आगे की रणनीति भी बनाएंगे, इसमें बड़े गठक दलों से निश्चित रूप से चाहेंगे कि वह गठक के सभी दलों को सम्मानपूर्वक तरीके से लेकर आगामी दिनों में जो जनता से हमने वायदा किया था, उसे हम पूरा करने में तत्पर हैं।
दरअसल झारखंड के मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन की सदस्यता का मामला खनन का पट्टा देने और छद्म कंपनियों में उनकी हिस्सेदारी से जुड़ा है। भाजपा के नेताओं ने 11 फरवरी को सोरेन के खिलाफ राज्यपाल को एक ज्ञापन सौंपी थी, जिसमें आरोप लगाया गया कि सीएम पद पर रहते हुए सोरेन ने अपने नाम खदान आवंटित की थी।
इसके साथ ही, इस ज्ञापन में सोरेन परिवार पर छद्म कंपनी में निवेश कर संपत्ति अर्जित करने का भी आरोप लगाया गया है। भाजपा की ओर से लगाए गए इन आरोपों के बाद राज्यपाल ने निर्वाचन आयोग को जांच करने की जिम्मेदारी सौंपी थी।
हालांकि राज्यपाल की ओर से अधिसूचना जारी होने के बाद ही यह स्पष्ट होगा कि उनकी सदस्यता रद्द की गई है या नहीं, क्योंकि संविधान के अनुच्छेद 192 के तहत किसी सदस्य को अयोग्य ठहराने के मामले में अंतिम फैसला राज्यपाल करते हैं।
(आईएएनएस)
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Created On :   25 Aug 2022 7:01 PM IST