अयोध्या की राजनीति से परे दिखती है कांग्रेस

Congress looks beyond Ayodhyas politics
अयोध्या की राजनीति से परे दिखती है कांग्रेस
temple politics अयोध्या की राजनीति से परे दिखती है कांग्रेस
हाईलाइट
  • आम लोगों की राजनीति में लौटना चाहती है कांग्रेस

डिजिटल डेस्क, नई दिल्ली। सुप्रीम कोर्ट के फैसले के बाद अयोध्या में राम मंदिर निर्माण का काम जोरों पर है। कांग्रेस अयोध्या की राजनीति से परे देखना चाहती है और आम लोगों की राजनीति में लौटना चाहती है। मंदिर की राजनीति के कारण ही इसने बड़ा समर्थन खो दिया है।

जब से भाजपा ने मंदिर की राजनीति में खुद को शामिल किया है। 2019 में यह 2 सांसदों से बढ़कर 300 से अधिक हो गई है। आक्रामक रुख अपनाने के बाद यह 1989 में वीपी सिंह सरकार का समर्थन करने के लिए उठी और जब लाल कृष्ण आडवाणी ने रथ यात्रा शुरू की। उसके बाद अंतत: 1992 में बाबरी मस्जिद को ध्वस्त कर दिया गया। पार्टी ने 1996 में केंद्र में अपनी पहली सरकार बनाई हालांकि 13 दिनों के लिए और फिर 1998 में 13 महीने के लिए और 1999 में इसने अटल बिहारी वाजपेयी के नेतृत्व में एक ऐसी सरकार बनाई जिसने पांच साल का कार्यकाल पूरा किया।

यह सब कांग्रेस की कीमत पर हुआ जिसने यूपी और बिहार में अपना महत्व खो दिया क्योंकि उच्च जाति के मतदाता भाजपा और अल्पसंख्यक क्षेत्रीय दलों में चले गए। कांग्रेस यह सब जानती है इसलिए उसके नेता अयोध्या पर किसी चर्चा में नहीं आना चाहते। पार्टी के वरिष्ठ नेता सलमान खुर्शीद ने अपनी नवीनतम पुस्तक, सनराइज ओवर अयोध्या: नेशनहुड इन अवर टाइम्स में कहा है भारतीय राजनीति, जिसे अयोध्या ने किसी न किसी तरह से बंदी बनाया था। अब इस मुद्दे से अपनी मुक्ति की तलाश कर सकती है और कल्याण की खोज। संयोग से खुर्शीद तत्कालीन प्रधानमंत्री पी.वी. नरसिम्हा राव के मंत्रिमंडल में थे।

शकील अहमदने 1992 में विध्वंस के समय राव को बिहार के एक विधायक के रूप में एक पत्र लिखा था और कहा था कि प्रधानमंत्री ने सम्मान खो दिया है। उन्होंने कहा था। कल आयोध्या में हुई घटना ने न केवल अल्पसंख्यक समुदाय बल्कि धर्मनिरपेक्ष देश के पूरे नागरिक के विश्वास को नष्ट कर दिया है। तत्कालीन पीएम को लिखे पत्र में उन्होंने कहा लोग बीजेपी-आरएसएस से ज्यादा कांग्रेस से नाराज हैं। उन्होंने लिखा व्यक्तिगत स्तर पर लोग आपसे और केंद्र की कांग्रेस सरकार से नाराज हैं जिसने धर्मनिरपेक्षता और संविधान की रक्षा का वचन देने के बावजूद चीजों को इतनी आसानी से होने दिया। लेकिन 29 साल बाद वह इस मुद्दे को उठाना नहीं चाहते। एक पत्र से ही पता चलता है कि कांग्रेस नेताओं ने पूरे प्रकरण में राव को खलनायक माना।

 

(आईएएनएस)

Created On :   6 Dec 2021 12:00 AM IST

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